लाहौल स्पीति: उदयपुर उप मंडल में मंगलवार शाम के समय नालों में आई बाढ़ के चलते अभी भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है. शनिवार को भी सारा दिन रेस्क्यू टीमें पर्यटकों व स्थानीय लोगों को रेस्कयू करने में जुटी रही.
अभी भी 240 से अधिक लोग उदयपुर उप मंडल में फंसे हुए हैं. हालांकि शनिवार को प्रदेश सरकार ने उदयपुर के लिए हवाई उड़ान प्रस्तावित की थी, लेकिन रोहतांग दर्रे पर मौसम के खराब होने के चलते हवाई उड़ान नहीं हो पाई. ऐसे में जिला प्रशासन भी पर्यटकों व स्थानीय लोगों को झूला पुल व अन्य वैकल्पिक मार्गों से घाटी से बाहर निकालने का प्रयास कर रहा है.
बता दें कि मंगलवार शाम आई भारी बाढ़ के चलते जाहलमा व शांशा पुल इसकी चपेट में आ गए थे. दोनों ही पुलों के बहने के कारण उदयपुर उप मंडल में सैकड़ों लोग फंस गए तो वहीं 10 लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ी. रेस्क्यू टीमों के द्वारा 7 शवों को बरामद कर लिया गया है, जबकि 3 लोगों की तलाश अभी भी जारी है. नालों के कारण सड़क मार्ग आपस में पूरी तरह से कट गए तो ऐसे में अब जिला प्रशासन के द्वारा दोनों ही नाली के ऊपर झूला पुल की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.
इसके अलावा बीआरओ ने शांशा नाले में 1 फुट ब्रिज भी तैयार किया है. जिससे लोगों को रेस्कयू करने में प्रशासन को काफी मदद मिलेगी. स्थानीय लोगों ने बताया कि मंगलवार को मात्र 45 मिनट में ही पूरी घाटी का नजारा बदल गया. मंगलवार शाम के समय पहले बारिश का दौर शुरू हुआ और अचानक ही 45 मिनट के भीतर सभी नदी नालों में बाढ़ आ गई और बाढ़ जाहलमा व शांशा नाले पर बने पुलों को बहाकर ले गई.
स्थानीय निवासी का कहना है कि मंगलवार शाम के समय जब नदी नालों का पानी बढ़ने लगा तो उस दौरान भी कुछ लोग पुल पार करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन देखते ही देखते बाढ़ का पानी पुल को अपने साथ ले गया. ऐसे में ग्रामीणों ने उसके बाद वहां से गुजरने वाले लोगों को वहीं रुकने की सलाह दी और स्थानीय लोगों के द्वारा उनके रहने व खाने-पीने का इंतजाम भी किया.
अभी तक 200 से अधिक लोगों को यहां से सुरक्षित निकाला गया है. झूला पुल के जरिए भी लोगों को बाहर निकालने में काफी मदद मिली है. वहीं, तकनीकी शिक्षा मंत्री एवं स्थानीय विधायक डॉ. रामलाल मारकंडे का कहना है कि अभी भी उदयपुर उपमंडल में 200 से अधिक लोग फंसे हुए हैं. हवाई रेस्क्यू खराब मौसम के कारण रद्द हो गया है. ऐसे में जिला प्रशासन के द्वारा सभी लोगों के रहने खाने-पीने की बेहतर व्यवस्था की गई है. अब झूला पुल के माध्यम से भी सभी लोगों को घाटी से बाहर निकाला जा रहा है.
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