लाहौल स्पीति: जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के लाहौल घाटी के देवता राजा घेपन और देवी बोटी 12 सप्ताह बाद वापस अपने देवालय लौट आए हैं. 12 सप्ताह तक राजा घेपन और माता देवी बोटी ने लाहौल घाटी के विभिन्न इलाकों की परिक्रमा की और विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में देवी-देवताओं के साथ भी मिलन किया.
बता दें कि 20 अक्टूबर 2023 को राजा घेपन और देवी बोटी लाहौल घाटी की परिक्रमा के लिए निकले थे. यात्रा के दौरान उन्होंने विभिन्न जगहों पर देवी-देवताओं से मिले. इस यात्रा में करीब 100 श्रद्धालु भी लगातार उनके साथ चलते रहे. 83 दिनों में राजा घेपन ने लाहौल के गुचलिंग से लेकर त्रिलोकी नाथ मंदिर, उदयपुर के माता मृकुला मंदिर और कोकसर का दौरा पूरा किया. अब राजा घेपन अपने देवालय में विराज गए हैं. लोगों को उम्मीद है कि अब लाहौल घाटी के साथ-साथ कुल्लू जिला और अन्य इलाकों में भी बारिश और बर्फबारी होगी.
लाहौल घाटी में मान्यता है कि जब तक राजा घेपन अपने मंदिर से बाहर रहते हैं. तब तक मौसम पूरी तरह से साफ रहता है. ऐसे में जिला कुल्लू व लाहौल स्पीति में भी अभी तक बर्फबारी नहीं हो पाई है. अब कुल्लू जिला में स्थानीय लोग भी देवी देवताओं की शरण में जा रहे हैं और देवराज इंद्र से बारिश की मांग कर रहे हैं. वहीं, लाहौल घाटी के लोगों ने भी राजा घेपन से प्रार्थना की है कि अब घाटी में अच्छी बर्फबारी होनी चाहिए. ताकि, आगामी समय में कृषि सीजन व पर्यटन सीजन बेहतर हो सके.
श्रद्धालु सूरज प्रकाश ने बताया कि वे लाहौल घाटी के रहने वाले हैं और जब भी वह कुल्लू से लाहौल घाटी जाते हैं तो देवता के दर्शन अवश्य करते हैं. राजा घेपन की पूरे इलाके में मान्यता है और सभी लोग उन्हें अपना आराध्य मानते हैं. ऐसे में राजा घेपन की कृपा से लाहौल घाटी में फसल भी अच्छी होती हैं. राजा घेपन हर 3 साल के बाद लाहौल घाटी के परिक्रमा कर लोगों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं.
लाहौल घाटी के सेवानिवृत शिक्षक छायाराम का कहना है कि राजा घेपन के बारे में कई कथाएं लाहौल घाटी में प्रचलित है. सभी लोग राजा घेपन को अपना आराध्य मानते हैं. इस साल भी राजा घेपन ने लाहौल घाटी की परिक्रमा को पूरा किया है. वहीं, अब लोगों को भी उम्मीद है कि राजा घेपन के वापस अपने देवालय जाते ही लाहौल घाटी में अच्छी बर्फबारी होगी.
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