ETV Bharat / state

बदलते मौसम चक्र से पर्यावरण विशेषज्ञ चिंतित, औसत से कम हुई बर्फबारी से नहीं बढ़ा ग्लेशियरों का दायरा - Changing weather cycle in kullu

केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में बतौर पर्यावरण विज्ञान और ग्लेशियर के जानकार असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनुराग ने कहा कि हिमालय रेंज में कम बर्फबारी होने से ग्लेशियरों का दायरा नहीं बढ़ना घातक है. इस बार औसत से कम बर्फबारी देखने को मिली है. सर्दी में कम बर्फबारी के बाद अब वैज्ञानिकों की नजर गर्मी के मौसम पर टिकी है.

kullu
kullu
author img

By

Published : Feb 26, 2021, 10:46 AM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी का विख्यात रोहतांग दर्रा में जहां बर्फ की दीवारें नजर आती थी. वहीं, इस साल दर्रे में बर्फ 7 से 8 फीट ही पड़ी है. इसके अलावा जिला के विभिन्न स्थानों पर भी 50 प्रतिशत से भी कम बर्फबारी हुई है. जिससे पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है.

मनाली-लेह मार्ग पर बारालाचा, शिंकुला दर्रा में भी अपेक्षा से बहुत कम बर्फबारी हुई है. हिमालय रेंज में करीब 9500 छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं. पिछले दो दशकों से ये ग्लेशियर लगातार पिघलकर सिकुड़ रहे हैं.

नहीं बढ़ पाया ग्लेशियरों का दायरा

इस सीजन में बर्फ के फाहे कम गिरने से ग्लेशियरों का दायरा नहीं बढ़ पाया है. इसका असर न केवल पर्यावरण संतुलन पर पड़ेगा बल्कि नदी-नालों के जलस्तर के साथ जल स्रोतों पर भी पड़ेगा. सर्दी में कम बर्फबारी के बाद अब ग्लेशियर वैज्ञानिकों की नजर गर्मी के मौसम पर टिकी है.

केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में बतौर पर्यावरण विज्ञान और ग्लेशियर के जानकार असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनुराग ने कहा कि हिमालय रेंज में कम बर्फबारी होने से ग्लेशियरों का दायरा नहीं बढ़ना घातक है.

ग्लेशियर को रिकवर करने में लग सकते हैं पांच साल

अगर सर्दी में बर्फबारी कम हो रही है और गर्मी में ग्लेशियर तेजी से पिघलते हैं तो इसको रिकवर करने में चार से पांच साल का समय लगेगा. उधर, बीआरो के कमांडर उमाशंकर ने कहा कि इस बार रोहतांग दर्रा में बर्फबारी कम हुई है.

औसत के कम हुई इन जगहों पर बर्फबारी

पर्वतारोहण संस्थान मनाली के उपनिदेशक कर्नल नीरज राणा का कहना है कि सोलंगनाला में बर्फबारी नहीं हुई. 8 से 10 फीट बर्फ से लकदक रहने वाले कोठी और सिस्सू में इस बार मुश्किल से 25 सेंटीमीटर बर्फ ही जम पाई है. रोहतांग दर्रा में भी 7 से 8 फीट बर्फ है. पहले रोहतांग में 25 से 30 फीट बर्फ रिकॉर्ड की जाती थी.

वहीं, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के ताजा सर्वे के मुताबिक हिमालय रेंज में कुल 9500 छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं. चिनाब बेसिन में 989, रावी बेसिन में 94, सतलुज बेसिन में 258 और ब्यास बेसिन में 144 ग्लेशियर हैं.

पढ़ें: कोरोना के खिलाफ जारी है जंग, स्कूलों में हो रहे बच्चों के कोरोना टेस्ट

कुल्लू: जिला कुल्लू की पर्यटन नगरी का विख्यात रोहतांग दर्रा में जहां बर्फ की दीवारें नजर आती थी. वहीं, इस साल दर्रे में बर्फ 7 से 8 फीट ही पड़ी है. इसके अलावा जिला के विभिन्न स्थानों पर भी 50 प्रतिशत से भी कम बर्फबारी हुई है. जिससे पर्यावरण विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है.

मनाली-लेह मार्ग पर बारालाचा, शिंकुला दर्रा में भी अपेक्षा से बहुत कम बर्फबारी हुई है. हिमालय रेंज में करीब 9500 छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं. पिछले दो दशकों से ये ग्लेशियर लगातार पिघलकर सिकुड़ रहे हैं.

नहीं बढ़ पाया ग्लेशियरों का दायरा

इस सीजन में बर्फ के फाहे कम गिरने से ग्लेशियरों का दायरा नहीं बढ़ पाया है. इसका असर न केवल पर्यावरण संतुलन पर पड़ेगा बल्कि नदी-नालों के जलस्तर के साथ जल स्रोतों पर भी पड़ेगा. सर्दी में कम बर्फबारी के बाद अब ग्लेशियर वैज्ञानिकों की नजर गर्मी के मौसम पर टिकी है.

केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला में बतौर पर्यावरण विज्ञान और ग्लेशियर के जानकार असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनुराग ने कहा कि हिमालय रेंज में कम बर्फबारी होने से ग्लेशियरों का दायरा नहीं बढ़ना घातक है.

ग्लेशियर को रिकवर करने में लग सकते हैं पांच साल

अगर सर्दी में बर्फबारी कम हो रही है और गर्मी में ग्लेशियर तेजी से पिघलते हैं तो इसको रिकवर करने में चार से पांच साल का समय लगेगा. उधर, बीआरो के कमांडर उमाशंकर ने कहा कि इस बार रोहतांग दर्रा में बर्फबारी कम हुई है.

औसत के कम हुई इन जगहों पर बर्फबारी

पर्वतारोहण संस्थान मनाली के उपनिदेशक कर्नल नीरज राणा का कहना है कि सोलंगनाला में बर्फबारी नहीं हुई. 8 से 10 फीट बर्फ से लकदक रहने वाले कोठी और सिस्सू में इस बार मुश्किल से 25 सेंटीमीटर बर्फ ही जम पाई है. रोहतांग दर्रा में भी 7 से 8 फीट बर्फ है. पहले रोहतांग में 25 से 30 फीट बर्फ रिकॉर्ड की जाती थी.

वहीं, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के ताजा सर्वे के मुताबिक हिमालय रेंज में कुल 9500 छोटे-बड़े ग्लेशियर हैं. चिनाब बेसिन में 989, रावी बेसिन में 94, सतलुज बेसिन में 258 और ब्यास बेसिन में 144 ग्लेशियर हैं.

पढ़ें: कोरोना के खिलाफ जारी है जंग, स्कूलों में हो रहे बच्चों के कोरोना टेस्ट

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.