ETV Bharat / state

सैंज के कनौन में हूम मेले की देव परंपरा ने पेश की अनूठी मिसाल, जलती मशाल को हारियानों ने कंधे पर उठाया - Unique example of God tradition in Huam fair

देवता ब्रह्मा और देवी भगवती के हूम मेले में देव हारियानों द्वारा लगभग 70 फीट लंबी लकड़ी की जलती मशाल को कंधे पर उठाकर देव कार्य विधि अनुसार गांव की परिक्रमा कर देव कार्य को निभाया. इस परंपरा को देखने के लिए कनौन में देवी भगवती और ब्रह्मा के मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हाजिरी भरी. इस बार कोरोना महामारी के चलते सिर्फ इस बार सिर्फ देव परंपरा को निभाया गया.

Photo
फोटो
author img

By

Published : Jul 13, 2021, 4:01 PM IST

Updated : Jul 13, 2021, 4:57 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में हर एक मेला देव परंपरा के साथ जुड़ा है. मेलों का इतिहास किसी न किसी देवता के साथ जुड़ा है. सैंज घाटी की उप तहसील सैंज की ग्राम पंचायत कनौन में हूम मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली.

देवता ब्रह्मा और देवी भगवती के हूम मेले में देव हारियानों द्वारा लगभग 70 फीट लंबी लकड़ी की जलती मशाल को कंधे पर उठाकर देव कार्य विधि अनुसार गांव की परिक्रमा कर देव कार्य को निभाया. इस परंपरा को देखने के लिए कनौन में देवी भगवती और ब्रह्मा के मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हाजिरी भरी. इस बार कोरोना महामारी के चलते सिर्फ इस बार सिर्फ देव परंपरा को निभाया गया.

मान्यता है कि इस दिन देवी भगवती ज्वाला रूप धारण कर सभी की मनोकामना पूरी करती हैं. हर वर्ष आषाढ़ महीने में देवी भगवती लक्ष्मी अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हूम जगराते पर्व का आयोजन करती हैं. देवी के गुर रोशन लाल, झावे राम ने बताया कि क्षेत्र में घटने वाली प्राकृतिक आपदा या बुरी आत्मा और भूत पिशाच की नजरों से बचने के लिए इस हूम पर्व का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस पर्व में मशाल जलाने का कारण है कि देवी भगवती मशाल में ज्वाला रूप धारण कर उक्त परिस्थितियों से निजात दिलाती है.

देवी भगवती और पराशर ऋषि व ब्रह्मा ऋषि के रथ को पूरे लाव लश्कर के साथ माता के मंदिर देहुरी में पहुंचाया. वहां देव पूजा अर्चना कर बीती रात्रि 12 बजे के करीब यह देव कार्य शुरू हुआ. मंदिर के पास लगभग 70 फुट लंबी मशाल को देव आज्ञा अनुसार मंदिर में जलते दिए के साथ जलाया और देवता के करिंदों ने इस मशाल को कंधे पर उठाकर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कर लगभग 1 किलोमीटर दूर कन्नौन गांव पहुंचाया.

गांव के बीच मशाल को खड़ा कर देव खेल का निर्वाह हुआ और जलती मशाल के साथ देवी भगवती के गुर और उनके अंग संग चलने वाले शूरवीर देवता तूदला, बनशीरा खोडू, पंचवीर और देवता जहल के गुर ने जलती मशाल के आगे देवखेल कर देव परंपरा का निर्वाह किया. इसके पश्चात देव कार्य संपन्न होने के पश्चात इस जलती मशाल को गांव के बीच खड़ा किया और इसके चारों ओर नाटी डाली.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के नए राज्यपाल के रूप में राजेंद्र विश्वनाथ ने ली शपथ, बोले: सरकार के साथ करूंगा पूरा सहयोग

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में हर एक मेला देव परंपरा के साथ जुड़ा है. मेलों का इतिहास किसी न किसी देवता के साथ जुड़ा है. सैंज घाटी की उप तहसील सैंज की ग्राम पंचायत कनौन में हूम मेले में देव परंपरा की अनूठी मिसाल देखने को मिली.

देवता ब्रह्मा और देवी भगवती के हूम मेले में देव हारियानों द्वारा लगभग 70 फीट लंबी लकड़ी की जलती मशाल को कंधे पर उठाकर देव कार्य विधि अनुसार गांव की परिक्रमा कर देव कार्य को निभाया. इस परंपरा को देखने के लिए कनौन में देवी भगवती और ब्रह्मा के मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं ने हाजिरी भरी. इस बार कोरोना महामारी के चलते सिर्फ इस बार सिर्फ देव परंपरा को निभाया गया.

मान्यता है कि इस दिन देवी भगवती ज्वाला रूप धारण कर सभी की मनोकामना पूरी करती हैं. हर वर्ष आषाढ़ महीने में देवी भगवती लक्ष्मी अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हूम जगराते पर्व का आयोजन करती हैं. देवी के गुर रोशन लाल, झावे राम ने बताया कि क्षेत्र में घटने वाली प्राकृतिक आपदा या बुरी आत्मा और भूत पिशाच की नजरों से बचने के लिए इस हूम पर्व का आयोजन किया जाता है. उन्होंने बताया कि इस पर्व में मशाल जलाने का कारण है कि देवी भगवती मशाल में ज्वाला रूप धारण कर उक्त परिस्थितियों से निजात दिलाती है.

देवी भगवती और पराशर ऋषि व ब्रह्मा ऋषि के रथ को पूरे लाव लश्कर के साथ माता के मंदिर देहुरी में पहुंचाया. वहां देव पूजा अर्चना कर बीती रात्रि 12 बजे के करीब यह देव कार्य शुरू हुआ. मंदिर के पास लगभग 70 फुट लंबी मशाल को देव आज्ञा अनुसार मंदिर में जलते दिए के साथ जलाया और देवता के करिंदों ने इस मशाल को कंधे पर उठाकर मंदिर के चारों ओर परिक्रमा कर लगभग 1 किलोमीटर दूर कन्नौन गांव पहुंचाया.

गांव के बीच मशाल को खड़ा कर देव खेल का निर्वाह हुआ और जलती मशाल के साथ देवी भगवती के गुर और उनके अंग संग चलने वाले शूरवीर देवता तूदला, बनशीरा खोडू, पंचवीर और देवता जहल के गुर ने जलती मशाल के आगे देवखेल कर देव परंपरा का निर्वाह किया. इसके पश्चात देव कार्य संपन्न होने के पश्चात इस जलती मशाल को गांव के बीच खड़ा किया और इसके चारों ओर नाटी डाली.

ये भी पढ़ें: हिमाचल के नए राज्यपाल के रूप में राजेंद्र विश्वनाथ ने ली शपथ, बोले: सरकार के साथ करूंगा पूरा सहयोग

Last Updated : Jul 13, 2021, 4:57 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.