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हिमाचल में टैक्सियों से GPS सिस्टम हटाए सरकार, टैक्सी चालकों ने CM से रखी मांग, दी ये चेतावनी - कुल्लू ऑपरेटर यूनियन

हिमाचल प्रदेश के टैक्सी चालकों ने टैक्सियों से लगे GPS सिस्टम को हटाने की मांग की है. चालकों का कहना है कि अगर उनकी मांग नहीं मानी गई तो वह मार्च माह में सालाना टैक्स नहीं भरेंगे. पढ़ें पूरी खबर...

GPS system installed in taxis in Himachal
GPS system installed in taxis in Himachal
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Published : Feb 19, 2023, 10:09 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में करीब 4 सालों से कमर्शियल वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया जा रहा है. ऐसे में अब टैक्सी चालक इस जीपीएस सिस्टम को हटाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, टैक्सी चालकों ने प्रदेश सरकार को यह चेतावनी दी है कि अगर मार्च माह तक उनकी टैक्सी में लगे जीपीएस सिस्टम को नहीं हटाया गया, तो वह मार्च माह में सालाना टैक्स भी नहीं भरेंगे और उनके इस निर्णय के साथ प्रदेश के 90 हजार टैक्सी ऑपरेटर शामिल हैं. ऐसे में टैक्सी ऑपरेटर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस बात की मांग कर रहे हैं कि जीपीएस सिस्टम को हटाकर से उन्हें राहत प्रदान की जाए.

ऑपरेटरों का कहना है कि बाहरी राज्यों में जीपीएस सिस्टम जहां 7 से 8 हजार रुपए में लग रहा है तो उन्हें यहां पर 15 हजार रुपये में ये सिस्टम उपलब्ध करवाया गया है. जबकि इसका सालाना रिचार्ज भी 4500 रुपए है. टैक्सी ऑपरेटरों का कहना है कि जब वे खुद ही टैक्सी के चालक हैं तो उन्हें अपनी गाड़ी पर नजर रखने की कोई आवश्यकता नहीं है. सरकार को चाहिए कि जिन व्यक्तियों के पास काफी अधिक कमर्शियल वाहन हैं, उन पर ही ये नियम लागू किया जाए.

टैक्सी ऑपरेटर प्रेम सिंह का कहना हैं कि जीपीएस सिस्टम लगाने वाली कई कंपनियां प्रदेश से भाग चुकी हैं. केवल एक कंपनी सिस्टम लगा रही है और उसके दाम काफी ज्यादा हैं. टैक्सी चालकों का कहना है कि वह पहले ही 15 हजार रुपये की कीमत वाला जीपीएस सिस्टम अपनी टैक्सी में लगा चुके हैं, लेकिन अब वह कंपनी फरार हो गई है. अब एक ही कंपनी इसे लगा रही है और मंदी के दौर में जीपीएस को रिचार्ज करवाना भी टैक्सी ऑपरेटरों के लिए मुश्किल हो रहा है.

वहीं, कुल्लू ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर वे मनाली में मुख्यमंत्री से भी मिले थे. उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जल्द आप इस जीपीएस सिस्टम को ट्रैक्सियों से हटा देंगे. अगर मार्च माह तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो पूरे प्रदेश के 90 हजार टैक्सी ऑपरेटर अपना सालाना टैक्स जमा नहीं करवाएंगे. बता दें कि परिवहन विभाग के द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से लगाए जा रहे जीपीएस से जहां बसों में सफर करने वाली सवारियां खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर नजर रहेगी और साथ ही बस हादसों को भी आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा.

आए दिन हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों सें सेब से भरे कई ट्रक गायब होते आए हैं. बीती सेब सीजन में कुल्लू से दिल्ली सब्जी मंडी को भेजे गए दो ट्रक रास्ते से अचानक गायब हो गए थे. जिसमें सैकड़ों सेब के बाक्स रखे गए थे. लिहाजा ऐसी वारदातों को रोकने के लिए जीपीएस सिस्टम एक अच्छी पहल है. परिवहन विभाग इस दिशा में काम कर रहा है. वहीं, नियमाें के तहत अगर काेई वाहन मालिक अपनी नई गाड़ी काे कमर्शियल ताैर पर चलाना चाहता है ताे उसे जीपीएस सिस्टम लगाना होगा. जीपीएस काे लगाए बिना न ताे डीलर नए वाहन की आरसी बनाएगा और न ही एमवीआई गाड़ी की फिटनेस पास करेगा.

क्या होता है GPS सिस्टम: जीपीएस का मतलब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है. यह दरअसल एक नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम है, जो किसी की लोकेशन को जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप किसी मुसीबत में हैं और मदद चाहिए तो आप अपने मोबाइल फोन के जरिये इमरजेंसी नंबर पर फोन कर मदद मंगा सकते हैं. आपका फोन मिलते ही डिजास्टर टीमें एक्टिव हो जाएंगी और जीपीएस के जरिये आपकी लोकेशन ट्रेस कर आप तक मदद पहुंचाने में सक्षम होंगी.

ये भी पढ़ें: HRTC Recruitment 2023: एचआरटीसी में खुला नौकरियों का पिटारा, भरे जाएंगे अनुबंध आधार पर चालकों के 276 पद

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में करीब 4 सालों से कमर्शियल वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगाया जा रहा है. ऐसे में अब टैक्सी चालक इस जीपीएस सिस्टम को हटाने की मांग कर रहे हैं. वहीं, टैक्सी चालकों ने प्रदेश सरकार को यह चेतावनी दी है कि अगर मार्च माह तक उनकी टैक्सी में लगे जीपीएस सिस्टम को नहीं हटाया गया, तो वह मार्च माह में सालाना टैक्स भी नहीं भरेंगे और उनके इस निर्णय के साथ प्रदेश के 90 हजार टैक्सी ऑपरेटर शामिल हैं. ऐसे में टैक्सी ऑपरेटर सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से इस बात की मांग कर रहे हैं कि जीपीएस सिस्टम को हटाकर से उन्हें राहत प्रदान की जाए.

ऑपरेटरों का कहना है कि बाहरी राज्यों में जीपीएस सिस्टम जहां 7 से 8 हजार रुपए में लग रहा है तो उन्हें यहां पर 15 हजार रुपये में ये सिस्टम उपलब्ध करवाया गया है. जबकि इसका सालाना रिचार्ज भी 4500 रुपए है. टैक्सी ऑपरेटरों का कहना है कि जब वे खुद ही टैक्सी के चालक हैं तो उन्हें अपनी गाड़ी पर नजर रखने की कोई आवश्यकता नहीं है. सरकार को चाहिए कि जिन व्यक्तियों के पास काफी अधिक कमर्शियल वाहन हैं, उन पर ही ये नियम लागू किया जाए.

टैक्सी ऑपरेटर प्रेम सिंह का कहना हैं कि जीपीएस सिस्टम लगाने वाली कई कंपनियां प्रदेश से भाग चुकी हैं. केवल एक कंपनी सिस्टम लगा रही है और उसके दाम काफी ज्यादा हैं. टैक्सी चालकों का कहना है कि वह पहले ही 15 हजार रुपये की कीमत वाला जीपीएस सिस्टम अपनी टैक्सी में लगा चुके हैं, लेकिन अब वह कंपनी फरार हो गई है. अब एक ही कंपनी इसे लगा रही है और मंदी के दौर में जीपीएस को रिचार्ज करवाना भी टैक्सी ऑपरेटरों के लिए मुश्किल हो रहा है.

वहीं, कुल्लू ऑपरेटर यूनियन के अध्यक्ष राजेश ठाकुर का कहना है कि इस मुद्दे को लेकर वे मनाली में मुख्यमंत्री से भी मिले थे. उन्हें उम्मीद है कि मुख्यमंत्री जल्द आप इस जीपीएस सिस्टम को ट्रैक्सियों से हटा देंगे. अगर मार्च माह तक उनकी मांगे नहीं मानी गई तो पूरे प्रदेश के 90 हजार टैक्सी ऑपरेटर अपना सालाना टैक्स जमा नहीं करवाएंगे. बता दें कि परिवहन विभाग के द्वारा सुरक्षा की दृष्टि से लगाए जा रहे जीपीएस से जहां बसों में सफर करने वाली सवारियां खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर नजर रहेगी और साथ ही बस हादसों को भी आसानी से ट्रेस किया जा सकेगा.

आए दिन हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों सें सेब से भरे कई ट्रक गायब होते आए हैं. बीती सेब सीजन में कुल्लू से दिल्ली सब्जी मंडी को भेजे गए दो ट्रक रास्ते से अचानक गायब हो गए थे. जिसमें सैकड़ों सेब के बाक्स रखे गए थे. लिहाजा ऐसी वारदातों को रोकने के लिए जीपीएस सिस्टम एक अच्छी पहल है. परिवहन विभाग इस दिशा में काम कर रहा है. वहीं, नियमाें के तहत अगर काेई वाहन मालिक अपनी नई गाड़ी काे कमर्शियल ताैर पर चलाना चाहता है ताे उसे जीपीएस सिस्टम लगाना होगा. जीपीएस काे लगाए बिना न ताे डीलर नए वाहन की आरसी बनाएगा और न ही एमवीआई गाड़ी की फिटनेस पास करेगा.

क्या होता है GPS सिस्टम: जीपीएस का मतलब ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम है. यह दरअसल एक नेविगेशन सेटेलाइट सिस्टम है, जो किसी की लोकेशन को जानने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. अगर आप किसी मुसीबत में हैं और मदद चाहिए तो आप अपने मोबाइल फोन के जरिये इमरजेंसी नंबर पर फोन कर मदद मंगा सकते हैं. आपका फोन मिलते ही डिजास्टर टीमें एक्टिव हो जाएंगी और जीपीएस के जरिये आपकी लोकेशन ट्रेस कर आप तक मदद पहुंचाने में सक्षम होंगी.

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