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राष्ट्रीय शिक्षा नीति बच्चे बनेंगे रोजगारपरक और आत्मनिर्भर: गोविंद ठाकुर

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुल्लू के सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर सेमिनार आयोजित किया गया. शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने इसकी अध्यक्षता की. शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बच्चों को सर्वांगीण विकास करने और उन्हें रोजगारपरक बनाने में मददगार होगी.

Govind thakur
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Published : Oct 21, 2020, 6:30 PM IST

कुल्लू: शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुल्लू के सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित राज्य स्तरीय सेमीनार की अध्यक्षता की. शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बच्चों को सर्वांगीण विकास करने और उन्हें रोजगारपरक बनाने में मददगार होगी. यह नीति देश को आत्मनिर्भर बनाने और आने वाले समय में विश्व समाज को नया रास्ता दिखाने वाली होगी. सेमीनार में प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों व स्कूलों के शिक्षकों ने भाग लिया.

गोविंद ठाकुर ने कहा कि भारतवर्ष में तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे, जहां बच्चों में संस्कारयुक्त व रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास किया जाता था.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि लाॅर्ड मैकाले का काल भारतवर्ष के लिए काला इतिहास था, जब उन्होंने इस देश में पश्चिमी मूल्यों वाली व समाज को तोड़ने वाली शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित किया ताकि अंग्रेज सदियों तक भारतवर्ष पर राज कर सकें. 2030 तक प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तायुक्त शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित बनाई जाएगी. यह नीति सबके कल्याण की कल्पना करती है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार प्रत्येक राज्य में नया विश्वविद्यालय खोलेगी और इसके लिए धनराशि की भी व्यवस्था करेगी. मेरू नाम के इस विश्वविद्यालय में अनुसंधान व अध्ययन दोनों को महत्वता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि बच्चों में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त करने की सोच को अपने देश में ही पूरा किया जाएगा. इसके लिए विश्व के टाॅप 100 विश्वविद्यालयों को भारतवर्ष में लाने की नीति है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा हिमाचल

भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़े, इसके लिए राष्ट्रीय अुनसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी. उन्होंने कहा कि दूरवर्ती शिक्षा तथा डिजिटल शिक्षा पर विशेष बल दिया जाएगा. गोविंद ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से छात्रों की कम संख्या वाले काॅलेज बंद नहीं होंगे, बल्कि कलस्टर यूनिवर्सिटी के तहत कार्य करेंगे. कलस्टर यूनिवर्सिटी में सूचना एवं प्रोद्योगिकी पर बल दिया जाएगा.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 12वीं कक्षा तक 100 फीसदी नामांकन और स्नात्तक कक्षाओं में 50 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि जो बच्चे आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं अथवा स्कूल जाने में असमर्थ हैं, उन बच्चों के लिए विशेष शिक्षा अंचल बनाएं जाएंगे और इनमें निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी.

हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए व्यापक रोडमैप तैयार किया जा रहा है और प्रदेश इस नीति को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति एवं उच्चतर शिक्षा टास्क फोर्स के राज्याध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने सेमीनार में बतौर मुख्य वक्ता कहा कि शिमला में गत 13 सितम्बर को आयोजित प्रथम बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में अक्षरशः लागू करने को राज्य सरकार ने अपनी मंजूरी प्रदान की थी. इस नीति को अब धरातल पर उतारने में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

नीति पर अनेक स्तरों पर व्यापक परिचर्चा करने की जरूरत है ताकि सभी हितधारक जिनमें शिक्षक, बच्चे, अभिभावक व अन्य शामिल हैं. नीति के स्वरूप को अच्छी तरह से समझ लें. उन्होंने कहा कि कुल्लू में यह 15वां सेमीनार है और इसका उद्देश्य हितधारकों को जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि कोई भी नीति आइसोलेशन में नहीं चलती, इसके लिए सभी को प्रयास करने पड़ते हैं.

मौजूदा शिक्षा निति ने बच्चों को पश्चिमी संस्कृति की ओर धकेला

प्रो. गुप्ता ने कहा कि मौजूदा शिक्षा बच्चों को आरंभ में पश्चिमी संस्कृति की ओर धकेल रही है, जिससे वे अधर में रह जाते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दूसरी कक्षा तक स्थानीय बोली में आचार-व्यवहार सिखाया जाएगा. तीसरी से पांचवी कक्षाएं पढ़ाई करने के लिए तैयारी की कक्षाएं होंगी. किताबों पर एनसीईआरटी ने काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि बच्चे के मानसिक स्तर की 100 फीसदी जानकारी चौथी कक्षा तक प्राप्त हो जाती है.

उन्होंने कहा कि छठी, सातवीं और आठवीं कक्षाओं में औपचारिक शिक्षा आरंभ हो जाती है. उन्होंने कहा कि बदलाव है तो पॉलिसी विजन का. बच्चों के सर्वांगीण विकास को यह नीति सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छठी कक्षा से ही प्रेक्टिल आंरभ हो जाएंगे और कौशल प्रशिक्षण बच्चों को दिया जाएगा. प्रो. गुप्ता ने कहा कि नीति का 9वां चैप्टर उच्चतर शिक्षा का है.

इसमें कला, विज्ञान व वाणिज्य की अवधारणा समाप्त हो जाएगी. कोई भी कॉलेज एफिलिएटिड नहीं रहेगा. केवल ऑटोनामस कॉलेज होंगे. इनमें बहु संकाय की व्यवस्था होगी. बी.एड व प्रबंधन संस्थान भी शिक्षा मंत्रालय के अधीन होंगे. आईआईटी व आईआईएम भी बहु संकाय होंगे ताकि बच्चों का संपूर्ण विकास किया जा सके और उन्हें रोजगारपरक बनाया जा सके.

कॉलेज में डिग्री चार साल की होगी लेकिन इससे शिक्षा अवधि नहीं बढ़ेगी. कॉलेज में चौथा साल पूरा करने पर स्नात्तकोत्तर की डिग्री केवल एक साल में दी जाएगी. बीएड चार साल की हो जाएगी. इसके एनसीईआरटी की कोई भूमिका नहीं रहेगी. पहले तीन सालों में मुख्य विषय पढ़ाएं जाएंगे और चौथे साल में प्रेक्टिकल ही होंगे. बीएड 12वीं कक्षा के बाद की जा सकेगी. वर्ष 2030 के बाद स्कूल अध्यापक के लिए पात्रता केवल नई शिक्षा नीति की मान्य होगी.

पढ़ें: नैना देवी मंदिर में चढ़ावे से मेधावी बच्चों को स्कॉलरशिप व गरीब बेटियों की होती है शादी: हुसन चंद

कुल्लू: शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कुल्लू के सभागार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर आयोजित राज्य स्तरीय सेमीनार की अध्यक्षता की. शिक्षा मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बच्चों को सर्वांगीण विकास करने और उन्हें रोजगारपरक बनाने में मददगार होगी. यह नीति देश को आत्मनिर्भर बनाने और आने वाले समय में विश्व समाज को नया रास्ता दिखाने वाली होगी. सेमीनार में प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों व स्कूलों के शिक्षकों ने भाग लिया.

गोविंद ठाकुर ने कहा कि भारतवर्ष में तक्षशिला व नालंदा जैसे विश्वविद्यालय थे, जहां बच्चों में संस्कारयुक्त व रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास किया जाता था.

वीडियो.

उन्होंने कहा कि लाॅर्ड मैकाले का काल भारतवर्ष के लिए काला इतिहास था, जब उन्होंने इस देश में पश्चिमी मूल्यों वाली व समाज को तोड़ने वाली शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित किया ताकि अंग्रेज सदियों तक भारतवर्ष पर राज कर सकें. 2030 तक प्रत्येक नागरिक को गुणवत्तायुक्त शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित बनाई जाएगी. यह नीति सबके कल्याण की कल्पना करती है.

शिक्षा मंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार प्रत्येक राज्य में नया विश्वविद्यालय खोलेगी और इसके लिए धनराशि की भी व्यवस्था करेगी. मेरू नाम के इस विश्वविद्यालय में अनुसंधान व अध्ययन दोनों को महत्वता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि बच्चों में अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्राप्त करने की सोच को अपने देश में ही पूरा किया जाएगा. इसके लिए विश्व के टाॅप 100 विश्वविद्यालयों को भारतवर्ष में लाने की नीति है.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने वाला पहला राज्य बनेगा हिमाचल

भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़े, इसके लिए राष्ट्रीय अुनसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी. उन्होंने कहा कि दूरवर्ती शिक्षा तथा डिजिटल शिक्षा पर विशेष बल दिया जाएगा. गोविंद ठाकुर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने से छात्रों की कम संख्या वाले काॅलेज बंद नहीं होंगे, बल्कि कलस्टर यूनिवर्सिटी के तहत कार्य करेंगे. कलस्टर यूनिवर्सिटी में सूचना एवं प्रोद्योगिकी पर बल दिया जाएगा.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत 12वीं कक्षा तक 100 फीसदी नामांकन और स्नात्तक कक्षाओं में 50 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि जो बच्चे आर्थिक तौर पर पिछड़े हैं अथवा स्कूल जाने में असमर्थ हैं, उन बच्चों के लिए विशेष शिक्षा अंचल बनाएं जाएंगे और इनमें निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी.

हिमाचल प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए व्यापक रोडमैप तैयार किया जा रहा है और प्रदेश इस नीति को लागू करने वाला देश का पहला राज्य बनेगा. हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व उप कुलपति एवं उच्चतर शिक्षा टास्क फोर्स के राज्याध्यक्ष प्रो. सुनील कुमार गुप्ता ने सेमीनार में बतौर मुख्य वक्ता कहा कि शिमला में गत 13 सितम्बर को आयोजित प्रथम बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में अक्षरशः लागू करने को राज्य सरकार ने अपनी मंजूरी प्रदान की थी. इस नीति को अब धरातल पर उतारने में अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

नीति पर अनेक स्तरों पर व्यापक परिचर्चा करने की जरूरत है ताकि सभी हितधारक जिनमें शिक्षक, बच्चे, अभिभावक व अन्य शामिल हैं. नीति के स्वरूप को अच्छी तरह से समझ लें. उन्होंने कहा कि कुल्लू में यह 15वां सेमीनार है और इसका उद्देश्य हितधारकों को जागरूक करना है. उन्होंने कहा कि कोई भी नीति आइसोलेशन में नहीं चलती, इसके लिए सभी को प्रयास करने पड़ते हैं.

मौजूदा शिक्षा निति ने बच्चों को पश्चिमी संस्कृति की ओर धकेला

प्रो. गुप्ता ने कहा कि मौजूदा शिक्षा बच्चों को आरंभ में पश्चिमी संस्कृति की ओर धकेल रही है, जिससे वे अधर में रह जाते हैं. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दूसरी कक्षा तक स्थानीय बोली में आचार-व्यवहार सिखाया जाएगा. तीसरी से पांचवी कक्षाएं पढ़ाई करने के लिए तैयारी की कक्षाएं होंगी. किताबों पर एनसीईआरटी ने काम करना शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा कि बच्चे के मानसिक स्तर की 100 फीसदी जानकारी चौथी कक्षा तक प्राप्त हो जाती है.

उन्होंने कहा कि छठी, सातवीं और आठवीं कक्षाओं में औपचारिक शिक्षा आरंभ हो जाती है. उन्होंने कहा कि बदलाव है तो पॉलिसी विजन का. बच्चों के सर्वांगीण विकास को यह नीति सुनिश्चित करेगी. उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत छठी कक्षा से ही प्रेक्टिल आंरभ हो जाएंगे और कौशल प्रशिक्षण बच्चों को दिया जाएगा. प्रो. गुप्ता ने कहा कि नीति का 9वां चैप्टर उच्चतर शिक्षा का है.

इसमें कला, विज्ञान व वाणिज्य की अवधारणा समाप्त हो जाएगी. कोई भी कॉलेज एफिलिएटिड नहीं रहेगा. केवल ऑटोनामस कॉलेज होंगे. इनमें बहु संकाय की व्यवस्था होगी. बी.एड व प्रबंधन संस्थान भी शिक्षा मंत्रालय के अधीन होंगे. आईआईटी व आईआईएम भी बहु संकाय होंगे ताकि बच्चों का संपूर्ण विकास किया जा सके और उन्हें रोजगारपरक बनाया जा सके.

कॉलेज में डिग्री चार साल की होगी लेकिन इससे शिक्षा अवधि नहीं बढ़ेगी. कॉलेज में चौथा साल पूरा करने पर स्नात्तकोत्तर की डिग्री केवल एक साल में दी जाएगी. बीएड चार साल की हो जाएगी. इसके एनसीईआरटी की कोई भूमिका नहीं रहेगी. पहले तीन सालों में मुख्य विषय पढ़ाएं जाएंगे और चौथे साल में प्रेक्टिकल ही होंगे. बीएड 12वीं कक्षा के बाद की जा सकेगी. वर्ष 2030 के बाद स्कूल अध्यापक के लिए पात्रता केवल नई शिक्षा नीति की मान्य होगी.

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