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बच्चों को स्कूल भेजने के हक में नहीं हैं लोग, सरकार के फैसले का हो रहा विरोध - opinion on reopening of schools

हिमालच सरकार के प्रदेश में स्कूलों को खोलने को लेकर जिला कुल्लू के लोगों की ओर से विरोध देखने को मिल रहा है. मौजूदा कोरोना मामलों का हवाला देते हुए लोगों ने सरकारके इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं. साथ ही सरकार से स्कूल खोलने को लेकर और इंतजार करने की सलाह दी है.

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Published : Sep 19, 2020, 8:52 PM IST

कुल्लू: केंद्र सरकार की अनुमति के बाद देश की कई राज्य सरकारों ने स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. हिमाचल की जयराम सरकार ने भी स्कूलों को खोलने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है, स्कूल प्रबंधन भी तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में अभिभावक अभी भी पशोपेश में है. सरकार के इस फैसले को लोगों का साथ नहीं मिल रहा है. हिमाचल में बढ़ते हुए कोरोना के मामले लोगों के दिमाग में सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.

कुल्लू जिला के लोगों से जब इस बारे में बात की गई तो, उन्होंने मौजूदा हालात को देखते हुए कहा कि इस समय सरकार की ओर से स्कूलों को खोलने का लिया गया फैसला बिल्कुल भी सही नहीं है. बच्चों के परिजनों ने माना कि कोरोना महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित जरूर हुई है, लेकिन फिलहाल जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती या कोई पुख्ता इंतजाम सरकार की ओर से नहीं किए जाते हैं, तब बच्चों को स्कूल नहीं भेज जाना चाहिए.

वीडियो.

वहीं, सरकार के स्कूलों के इस फैसले पर बुजुर्गों ने भी अपनी राय रखी. क्षेत्र के एक बुजुर्ग ने केंद्र और प्रदेश सरकार को आड़े हाथों में लेते हुए कहा कि सरकार अपनी जिम्मेवारी से बच रही है. अगर सरकार के पास पूरी सुविधाएं नहीं तो, सरकार को स्कूल खोलने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.

वीडियो.

इसके अलावा जो लोग थोड़े बहुत लोग सरकार के फैसले का सर्मथन करते हुए नजर आए, वह भी अपना एकमत नहीं रख पाए. इन लोगों में मिलीजुली सी राय देखने को मिली, जिसमें उन्हें बच्चों के भविष्य की चिंता भी सताती हुई नजर आई और साथ ही बच्चों में कोरोना संक्रमण का डर भी देखने को मिला.

वीडियो.

बता दें कि शुक्रवार को मंत्रिमंडल में लिए गए फैसले के तहत 21 सितंबर से मात्र उन्हीं स्कूलों को खोला जाएगा जो कंटेनमेंट जोन से बाहर है. कंटेनमेंट जोन में जो स्कूल है वह बंद रहेंगे. इसके साथ यह भी सपष्ट कर दें कि स्कूल खोले नहीं जा रहे हैं. यानी कक्षाएं स्कूलों में छात्रों की नहीं लगेगी मात्र परामर्श के लिए ही छात्र स्कूल आ सकेंगे, लेकिन 50 फीसदी शिक्षक जरूर स्कूल आएंगे.

कुल्लू के लोगों की राय के मुताबिक लोग सरकार के इस फैसले से पूरी तरह समर्थन में नहीं हैं. अब सरकार के इस फैसले को लोगों का कितना साथ मिलता है, यह तो 21 सितंबर को ही पता चल सकेगा.

पढ़ें: सरकार के स्कूल खोलने के फैसले पर बोले धर्मशालावासी, अभी करना चाहिए था इंतजार

कुल्लू: केंद्र सरकार की अनुमति के बाद देश की कई राज्य सरकारों ने स्कूलों को खोलने का फैसला लिया है. हिमाचल की जयराम सरकार ने भी स्कूलों को खोलने को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है, स्कूल प्रबंधन भी तैयारियों में जुट गए हैं, लेकिन बच्चों को स्कूल भेजने के बारे में अभिभावक अभी भी पशोपेश में है. सरकार के इस फैसले को लोगों का साथ नहीं मिल रहा है. हिमाचल में बढ़ते हुए कोरोना के मामले लोगों के दिमाग में सरकार के इस फैसले को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं.

कुल्लू जिला के लोगों से जब इस बारे में बात की गई तो, उन्होंने मौजूदा हालात को देखते हुए कहा कि इस समय सरकार की ओर से स्कूलों को खोलने का लिया गया फैसला बिल्कुल भी सही नहीं है. बच्चों के परिजनों ने माना कि कोरोना महामारी के चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित जरूर हुई है, लेकिन फिलहाल जब तक कोरोना की वैक्सीन नहीं बन जाती या कोई पुख्ता इंतजाम सरकार की ओर से नहीं किए जाते हैं, तब बच्चों को स्कूल नहीं भेज जाना चाहिए.

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वहीं, सरकार के स्कूलों के इस फैसले पर बुजुर्गों ने भी अपनी राय रखी. क्षेत्र के एक बुजुर्ग ने केंद्र और प्रदेश सरकार को आड़े हाथों में लेते हुए कहा कि सरकार अपनी जिम्मेवारी से बच रही है. अगर सरकार के पास पूरी सुविधाएं नहीं तो, सरकार को स्कूल खोलने की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.

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इसके अलावा जो लोग थोड़े बहुत लोग सरकार के फैसले का सर्मथन करते हुए नजर आए, वह भी अपना एकमत नहीं रख पाए. इन लोगों में मिलीजुली सी राय देखने को मिली, जिसमें उन्हें बच्चों के भविष्य की चिंता भी सताती हुई नजर आई और साथ ही बच्चों में कोरोना संक्रमण का डर भी देखने को मिला.

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बता दें कि शुक्रवार को मंत्रिमंडल में लिए गए फैसले के तहत 21 सितंबर से मात्र उन्हीं स्कूलों को खोला जाएगा जो कंटेनमेंट जोन से बाहर है. कंटेनमेंट जोन में जो स्कूल है वह बंद रहेंगे. इसके साथ यह भी सपष्ट कर दें कि स्कूल खोले नहीं जा रहे हैं. यानी कक्षाएं स्कूलों में छात्रों की नहीं लगेगी मात्र परामर्श के लिए ही छात्र स्कूल आ सकेंगे, लेकिन 50 फीसदी शिक्षक जरूर स्कूल आएंगे.

कुल्लू के लोगों की राय के मुताबिक लोग सरकार के इस फैसले से पूरी तरह समर्थन में नहीं हैं. अब सरकार के इस फैसले को लोगों का कितना साथ मिलता है, यह तो 21 सितंबर को ही पता चल सकेगा.

पढ़ें: सरकार के स्कूल खोलने के फैसले पर बोले धर्मशालावासी, अभी करना चाहिए था इंतजार

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