कुल्लू: जिला कुल्लू में नए साल का जश्न मनाने के लिए सेलानियों का यहां आना लगातार जारी है. वहीं, सैलानी मनाली के सोलंगनाला, मढ़ी और अटल टनल होते हुए लाहौल घाटी का भी रुख कर रहे हैं. ऐसे में कई ऐसे रमणीय स्थल भी हैं जहां टूरिस्ट अपने परिवार के साथ घूमने का मजा ले सकते हैं. घूमने के अलावा सैलानी यहां पर पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग व जिपलाइन जैसे साहसिक खेलों का भी मजा ले सकते हैं. वहीं, नए साल के जश्न के लिए पर्यटन कारोबारियों के द्वारा कई अन्य तरह की गतिविधियां भी करवाई जा रही हैं.
पर्यटन नगरी मनाली की खासियत: मनाली देश के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक (Famous tourist places in himachal) है. गर्मियों में बर्फ से ढका 13050 फीट ऊंचा रोहतांग, मनमोहक नजारे, हरे-भरे जंगल, खूबसूरत झीलें, शुद्ध हवा यहां की खासियत है. मनाली टूर आपके मन को शांति प्रदान करने के साथ-साथ आपकी यात्रा को रोमांच से भी भरेगा. मनाली के पर्यटन स्थल आपको सौंदर्य में लीन करने के साथ-साथ ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग जैसी अनेकों साहसिक गतिविधियों का भरपूर आनंद भी दिलवाएंगे. (Tourist Places In Manali)
साहसिक खेलों का हब है सोलंग घाटी: मनाली शहर आकर सबसे पहले आप सोलंग घाटी घूमने का आनंद उठा सकते हैं. यह पर्यटन स्थल साहसिक खेलों का हब है. यहां आकर आप पैराग्लाइडिंग, घुड़सवारी, रोपवे, माउंटेन बाइक, स्नो स्कूटर जैसी गतिविधि का आनंद उठा सकते हैं. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोलंग नाला में पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया था. सोलंग घाटी मनाली से 12 किलोमीटर दूरी पर ही है और यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है.
पवित्र तीर्थ स्थल मणिकर्ण: जिला कुल्लू का मणिकर्ण पार्वती नदी के तट पर बसा हुआ है. यहां स्थित ऐतिहासिक मणिकर्ण गुरुद्वारा (Historic Manikarn Gurdwara of Manikarn) हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. गुरुद्वारा हिंदुओं व सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल है. गर्म पानी के कुंड में डुबकी लगाकर आपको पवित्रता का एहसास होने लगेगा. सिखों की यह मान्यता है कि गुरु नानक जी ने यहां अनेकों चमत्कार किए. वहीं, हिन्दुओं की मान्यता यह है कि यहां भगवान शिव और मां पार्वती रहा करते थे. इसलिए मनाली के पर्यटन स्थल में इसकी बहुत मान्यता है. आस-पास का वातावरण शांति और आध्यात्मिकता में लिप्त रहता है और मणिकर्ण कुल्लू शहर से चालीस किलोमीटर दूर है. (manikaran in Manali)
रोहतांग दर्रे का दीदार करना न भूलें: 13050 फीट की ऊंचाई पर स्थित रोहतांग दर्रा मनाली का अभिन्न अंग है. यह देश का ऐसा पर्यटन स्थल है जो जून में भी सैलानियों को बर्फ से रूबरू करवाता है. हालांकि बर्फबारी के कारण रोहतांग दर्रा अभी बंद हैं लेकिन बीते दिन ही मढ़ी तक पर्यटकों को जाने की अनुमति दी गई है. यहां दर्रे के दृश्य आपको अचंभित करेंगे. मनाली के कोठी से लेकर रोहतांग तक के अतुलनीय नजारें आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे. हालांकि एनजीटी के निर्देश के बाद अब मात्र 1200 पर्यटक वाहनों को ही जाने की अनुमति है. लेकिन हिमाचल आ रहे हैं तो इस दर्रे के दीदार करना न भूलें, मनाली शहर से इसकी दूरी 50 किलोमीटर है. (Rohtang Pass Himachal)
इन मंदिरों के जरूर करें दर्शन: मनाली स्थित माता हिडिंबा का यह मंदिर मनाली के दर्शनीय स्थलों का महत्वपूर्ण हिस्सा है. हिडिंबा मंदिर भीम की पत्नी हिडिंबा को समर्पित है. यह बाकि मंदिरों की तुलना में एकदम भिन्न है. इसका प्रवेश द्वार लकड़ी से बना है और इसकी छत एक छतरी के आकार की है. वहीं, मनाली गांव में मनु ऋषि का मंदिर मनु ऋषि से जुड़ा है. मान्यता है कि पृथ्वी पर जब प्रलय आई थी तो मनु महाराज की नाव मनाली आकर रुकी थी. इसके साथ ही वशिष्ठ गांव में ऋषि वशिष्ठ का मंदिर है. ऋषि वशिष्ठ ने यहां तपस्या की थी. यह मंदिर भी ऐतिहासिक है और धार्मिक आस्था का केंद्र है. यह सभी मंदिर शांतिप्रिय यात्रियों के लिए एकदम उचित माने जाते है. हर तरफ शांति का माहौल व देवदार के लंबे-लंबे पेड़ों का जाल बेहद खूबसूरत नजारा बनाता है. सभी मंदिर मनाली शहर से जुड़े हुए हैं और दो तीन किमी की दूरी पर हैं. (hidimba devi temple manali)
अटल टनल रोहतांग का करें दीदार: मनाली आने पर रोहतांग दर्रे के नीचे पीर पंजाल की पहाड़ी को भेदकर बनाई अटल टनल रोहतांग का भी दीदार करने का मौका मिलेगा. यह टनल भारतीय इंजीनियरिंग का नमूना है. नौ किलोमीटर इस टनल को पार करने में दस मिनट का समय लगता है और पर्यटक यहां रुककर इसके निर्माण की विधि से भी अवगत हो सकते हैं. अटल टनल द्वारा 10 मिनट में कुल्लू की वादियों से लाहौल की खुबसूरत वादियों में पहुंच जाते हैं. मनाली से अटल टनल की दूरी 18 किलोमीटर है. (Atal Tunnel Rohtang)
नग्गर भी सैलानियों की पहली पसंद: जिला कुल्लू की राजधानी रही नग्गर भी सैलानियों की पहली पसंद है. यहां जगत पट्ट व करोड़ों देवी देवताओं का वास भी है. धार्मिक पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ यह स्थल निकोलस रोरिक से भी जुड़ा है. रोरिक आर्ट गैलरी भी यहां आने वाले पर्यटकों की पसंद रहती है. यहां आकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं.
ब्यास कुंड ट्रेक: ब्यास कुंड जिसे एक पवित्र झील माना जाता है. यह ब्यास नदी का मूल स्रोत है. ऐसा माना जाता है कि हनुमान टिब्बा और सात बहनों की गोद में 3,650 मीटर की ऊंचाई पर बसी इस झील के प्राचीन जल में ऋषि व्यास अपना दैनिक स्नान किया करते थे. सोलंग घाटी से होकर ब्यास कुंड तक का रास्ता दिल को सुकून देने वाला होता है. ब्यास कुंड ट्रेक, जिसे हिमाचल के हिमालयी क्षेत्र में सबसे आसान ट्रेक में से एक माना जाता है. मनाली के लोकप्रिय हिल स्टेशन में तीन दिनों का एक छोटा ट्रेक है जो 2,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. ब्यास कुंड ट्रेक मनाली से शुरू होता है और सोलंग नाले के माध्यम से 3,150 मीटर की दूरी पर धूंधी की ओर जाता है. धुंधी से मार्ग ऊपर की ओर बकारथच तक जाता है, जो 3,300 मीटर की ऊंचाई पर है और मोराइन पर धीरे-धीरे चढ़ाई के बाद ब्यास कुंड की ओर जाता है.
बेहद खुबसूरत है दशहर झील: 15500 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह झील बहुत की खूबसूरत है. हालांकि झील के समीप पर्यटन स्थल रोहतांग दर्रे तक हर पर्यटक दस्तक देता है, लेकिन यहां बहुत कम पर्यटक ही पहुंच पाते हैं. यहां पहुंचना इसलिए आसान है क्योंकि मनाली से रोहतांग तक गाड़ी में पहुंचा जा सकता है. मढ़ी से भी पैदल ट्रेक है लेकिन इस ट्रेक से अधिक चलना पड़ता है. रोहतांग पहुंचकर आप आसानी से पैदल चलकर इस ऐतिहासिक झील तक पहुंच सकते हैं. इस झील का दीदार करने के लिए मई से अक्टूबर के बीच बेहतर समय है.
भृगु झील का भी करें दीदार: भृगु झील अपनी खूबसूरती के चलते मशहूर है. पर्यटक 15400 फीट ऊंची भृगु झील घूमने और इसके आस-पास ट्रेकिंग का आनंद ले सकते हैं. भृगु झील मनाली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसका नाम ऋषि भृगु के नाम पर पड़ा है. जिनके बारे में कहा जाता है कि वे इस झील के पास ध्यान लगाते थे. भृगु झील रोहतांग दर्रे के पूर्व में स्थित है. यहां पहुंचने के लिए गुलाबा तक वाहन में आ सकते हैं जबकि गुलाबा से पैदल झील तल पहुंचा जा सकता है. दूसरा ट्रेक कुलंग गांव से है, लेकिन इस ट्रेक में खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है. इस झील का दीदार भी मई व अक्टूबर के बीच ही कर सकते हैं.
पांडु रोपा भी घूमने के लिए बेस्ट: ऐतिहासिक पांडु रोपा भी घूमने के लिए सबसे अच्छा पर्यटन स्थल है. 11500 फीट ऊंचे पांडु रोपा के लिए पैदल यात्रा वशिष्ठ से शुरू होती है. हरे-भरे सेब के बागों से होते हुए गांव के ऊपर घने और सुगंधित देवदार के जंगल में चढ़ाई के साथ सफर शुरू होता है. गर्मियों के महीनों में इस मार्ग पर भेड़ों के कई झुंड मिलते हैं. कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञात वास के दौरान यहां समय व्यतीत किया था और पांडु रोपा में धन की खेती करते थे. जून और जुलाई के महीनों में यहां का मैदान हिमालयी वनस्पतियों का रंगीन कालीन है यह ट्रेक सात घंटे का है और मई से नवंबर मध्य तक इसके दीदार कर सकते हैं.
ट्रेकरों की पहली पसंद बनने लगा है लामा डुग: लगभग 10 हजार फीट की उंचाई पर स्थित लामा डुग घूमने के लिए बहुत ही मजेदार पर्यटन स्थल है. हालांकि यह पर्यटन स्थल भी अनछुए पर्यटन स्थलों में आता है लेकिन अब यह ट्रेकरों की पहली पसंद बनने लगा है. हिडिंबा माता के दर्शन करने के बाद इस ट्रेक का सफर शुरू होता है. लामा डुग से मनाली के खूबसूरत दृश्य, मनाल्सु ग्लेशियर का विहंगम दृश्य, धौलाधार और पीरपंजाल पर्वतमाला जिसमें हनुमान टिब्बा, देव टिब्बा और रोहतांग पास शामिल हैं सभी के यहां से दीदार किए जा सकते हैं.
रुमसु चंद्रखणी मलाणा ट्रेक: रुमसु गांव एक प्राचीन गांव है. गांव की पौराणिक सुंदरता देखते ही बनती है. चंद्रखनी ट्रेक के लिए जाने के लिए ये गांव बेस कैंप का काम करता है. यह ट्रेक तीन भागों में बंटा है. रूमसु से चंद्रखणी बेस कैंप तक भी आप जा सकते हैं. ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो चंद्रखणी जा सकते हैं और दूसरे दिन मलाणा गांव होते हुए वापस कुल्लू आ सकते हैं. इस ट्रेक में साढ़े 13 हजार उंची चंद्रखणी चोटी सबसे खूबसूरत है. जहां से समस्त चोटियों के दीदार होते हैं. मनाली से रूमसु तक गाड़ी में जाने की सुविधा है. छक्की नाला से भी रुमसु गांव को जाने वाली खड़ी चढ़ाई है. आसपास सेब के बाग और देवदार के जंगल, रास्ते में आने वाले लकड़ी के घर और चारों ओर हरियाली देख कर आप आनंदमयी हो जाएंगे.
अर्जुन गुफा में रहे थे पांडव: मनाली के शुरु गांव के ऊपर स्थित अर्जुन गुफा बहुत ही सुंदर पर्यटन स्थल है. हालांकि बड़ा पत्थर गिर जाने के बाद इस गुफा के द्वार बंद हो गया है, लेकिन आज यह गुफा पांडवों के यहां रहने का प्रमाण दे रही है. कहा जाता है कि महाभारत में पांडव अज्ञात काल के समय इन पहाड़ियों में ही रहे. इस गुफा तक पहुंचने के लिए मनाली से शुरु तक छह किमी गाड़ी में जबकि शुरू से माता शावर्णी के दर्शन कर दो घंटे की चढ़ाई के बाद अर्जुन गुफा पहुंच सकते हैं. कहते हैं कि अर्जुन से इस गुफा में रहकर तपस्या की थी. इस गुफा के दीदार कर शाम को वापस मनाली लौट सकते हैं.
वाटरफॉल जाना: जाना वाटर फॉल भी घूमने के लिए बेहतर स्थल है. वाहन में नग्गर से दो घंटे के सफर के बाद जाना पहुंच सकते हैं. जाना के खूबसूरत गांव के दीदार करने के बाद वाटर फॉल पहुंचते हैं. यहां झरने के पास ढाबा भी है. इस ढाबे में राजमाह व लाल चावल मिलते हैं जिनका स्वाद हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है. जाना वाटरफॉल से हल्की की चढ़ाई पैदल चढ़ने के बाद आप झरने, बर्फीले पहाड़ों और देवदार के हरे भरे जंगलों का नजारा ले सकते हैं. दिनभर इन वादियों का आनंद लेने के बाद आप शाम को मनाली लौट सकते हैं.
पर्यटकों के लिए मनाली जन्नत के समान है. हर साल काफी संख्या में पर्वतारोही मनाली आते हैं. यहां सैलानी ट्रेकिंग, क्लाइंबिंग और पैराग्लाइडिंग का आनंद उठा सकते हैं. इसके लिए सैलानी मनाली में किसी एजेंसी से संपर्क कर सकते हैं. जो कम दामों में सैलानियों को साहसिक खेल का रोमांच उपलब्ध करवाती है.
ये भी पढ़ें: डलहौजी में सीजन का पहला हिमपात, बर्फ देख झूम उठे सैलानी