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गौ सदनों के निर्माण की घोषणाएं कागजों तक ही सीमित, बेसहारा पशुओं से लोग परेशान - destitute animals

कुल्लू की आनी तहसील में हर सड़क पर बेसहारा पशु घूमते देखे जा रहे हैं जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

आनी में बेसहारा पशुओं से लोग परेशान
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Published : Sep 19, 2019, 2:18 PM IST

कुल्लू: हिमाचल की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही बेसहारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं. कुछ समय पहले बेंसहारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन वह घोषणा कागजों में ही सीमित होकर रह गई है. सरकार की इस नाकामी के चलते बेसहारा पशुओं से लोग परेशान है.

गौ सदनों का निर्माण न होने के कारण बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते हैं जिससे आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. बेसहारा पशु किसानों की फसलें भी तबाह कर रहे हैं. जिला कुल्लू की आनी तहसील में इन दिनों हर सड़क पर बेसहारा पशु घूमते देखे जा रहे हैं जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

बता दें कि प्रदेश में पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वाले लोगों पर नाममात्र जुर्माना लगाया जाता है, जिस कारण बेसहारा पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है. हाईवे पर भी बेसहारा पशुओं घूमते हुए दिखाई देते हैं. वहीं, प्रदेश में कड़ी सजा का प्रावधान न होने के कारण ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी पंचायतों को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए गौसदन बनाने के कड़े निर्देश जारी किए गए थे जिससे पंचायत क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को गौसदन में रखा जा सके.

समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों को भी गौसदन का निरीक्षण करने के आदेश दिए गए थे. अधिकारी पशुओं के स्वास्थ्य की जांच भी करने को भी कहा गया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से लोग रात के अंधेरे में बेसहारा पशुओं को सड़क पर छोड़ देते हैं. सड़कों पर छोड़े गए बेसहारा पशु भी आक्रामक हो गए हैं.

ये भी पढ़े: केसीसी बैंक के कर्मचारियों को मिलेगा महंगाई भत्ता, बीओडी की बैठक में मिली स्वीकृति

प्रदेश में इन दिनों सेब सीजन का कार्य जोरों पर हैं, ऐसे में हर जगह बेसहारा पशुओं के कारण जाम भी देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं आवारा पशुओं से किसान भी काफी परेशान हैं. पशुओं के कारण किसानों की खेती और फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों पर बेसहारा पशुओं को छोड़ने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है.

कुल्लू: हिमाचल की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही बेसहारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं. कुछ समय पहले बेंसहारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा की गई थी, लेकिन वह घोषणा कागजों में ही सीमित होकर रह गई है. सरकार की इस नाकामी के चलते बेसहारा पशुओं से लोग परेशान है.

गौ सदनों का निर्माण न होने के कारण बेसहारा पशु सड़कों पर घूमते हैं जिससे आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है. बेसहारा पशु किसानों की फसलें भी तबाह कर रहे हैं. जिला कुल्लू की आनी तहसील में इन दिनों हर सड़क पर बेसहारा पशु घूमते देखे जा रहे हैं जिससे वाहन चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

बता दें कि प्रदेश में पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वाले लोगों पर नाममात्र जुर्माना लगाया जाता है, जिस कारण बेसहारा पशुओं को सड़कों पर छोड़ने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है. हाईवे पर भी बेसहारा पशुओं घूमते हुए दिखाई देते हैं. वहीं, प्रदेश में कड़ी सजा का प्रावधान न होने के कारण ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी पंचायतों को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए गौसदन बनाने के कड़े निर्देश जारी किए गए थे जिससे पंचायत क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को गौसदन में रखा जा सके.

समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारियों को भी गौसदन का निरीक्षण करने के आदेश दिए गए थे. अधिकारी पशुओं के स्वास्थ्य की जांच भी करने को भी कहा गया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों से लोग रात के अंधेरे में बेसहारा पशुओं को सड़क पर छोड़ देते हैं. सड़कों पर छोड़े गए बेसहारा पशु भी आक्रामक हो गए हैं.

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प्रदेश में इन दिनों सेब सीजन का कार्य जोरों पर हैं, ऐसे में हर जगह बेसहारा पशुओं के कारण जाम भी देखने को मिल रहा है. इतना ही नहीं आवारा पशुओं से किसान भी काफी परेशान हैं. पशुओं के कारण किसानों की खेती और फसलों को भारी नुकसान पहुंच रहा है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सड़कों पर बेसहारा पशुओं को छोड़ने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है.

Intro:रामपुर बुशहर, 19 सितंबर Body:


सरकार घोषणाएं तो कर देती है पर उस पर अमल नहीं कर पाती सरकार की नाकामी का खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। हिमाचल की पिछली सरकार और वर्तमान सरकार दोनों ही आवारा पशुओं के लिए उचित व्यवस्था करने में नाकाम साबित हुई हैं । आवारा पशुओं के लिए पंचायत स्तर पर गौ सदन बनाने की घोषणा की गई थी। घोषणा तो हुई पर वो कागजों में ही सीमित होकर रह गई। सरकार की नाकामी के चलते आवारा पशु से लोग परेशान है। गौ सदनों का निर्माण नहीं होने से आवारा पशु सड़कों पर घुमते है जिससे आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। इसके साथ ही किसानों की फसलें भी तबाह हो रही है । यही अलाम है जिला कुल्लू की आनी तहसील का । आनी में आजकल हर सड़क पर आवारा पशु घूमते देखे जा सकते हैं जिससे वाहन चालक खासे परेशान है।लेकिन सुध लेने वाला कोई नहीं है।आनी तहसील में इस समय प्रशासन की नाक तले सैंकड़ों बेसहारा पशु घूम रहे हैं। वजह कोई भी हो, परेशानी तो लोग ही भुगत रहे हैं। प्रदेश में पशुओं को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले लोगों पर नाममात्र जुर्माना लगाया जाता है, जिस कारण पशुओं को सड़कों पर बेसहारा छोड़ने वाले लोगों का हौसला बढ़ता जा रहा है। अब तो आवारा पशुओं को हाइवे पर भी आसानी से देखा जा सकता है ।।वहीं, अब कड़ी सजा का प्रावधान न होने के कारण प्रदेश में ऐसे मामलों में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। हालांकि प्रदेश उच्च न्यायालय ने सभी पंचायतों को बेसहारा पशुओं के संरक्षण के लिए गौसदन बनाने के कड़े निर्देश जारी किए गए हैं ताकि पंचायत क्षेत्र में घूम रहे पशुओं को वहां रखा जा सके। इसका पूरा खर्च भी जिला प्रशासन और पंचायत द्वारा वहन किया जाएगा और समय-समय पर पशुपालन विभाग के अधिकारी भी गौसदन का निरीक्षण कर पशुओं के स्वास्थ्य की जांच करेंगे लेकिन फिलहाल अभी तक इस दिशा में कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाए गए हैं। कई सालों से सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या में काफी बढ़ौतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों से लोग रात के अंधेरे में उन्हें सड़क पर छोड़ रहे हैं। सड़कों पर छोड़े गए बेसहारा पशु भी अब आक्रामक हो गए हैं। कई बार पशुओं के हमले के कारण बुजुर्ग व महिलाएं घायल हो चुके हैं।क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे आवारा पशुओं के कारण हादसों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है।सड़कों के किनारे घूम रहे आवारा पशु अचानक भागकर सड़कों पर आ जाते है।जिससे दोपहिया वाहन चालक चोटिल हो जाते है। वहीं बड़े वाहन की चपेट में आने से कई बार पशु भी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते हैं या फिर कूड़ा-कचरा प्लास्टिक खाने से प्रतिदिन मौत के आगोश में समा रहे हैं । आजकल क्षेत्र में सेब सीजन का कार्य ज़ोरों पर हैं । ऐसे में हर जगह आवारा पशुओं के कारण जाम भी देखने को मिल रहा है ।इतना ही नहीं आवारा पशुओं से किसान भी काफ़ी खफ़ा हैं । इन पशुओं के कारण किसानों की खेती ,फसलों को भारी नुकसान पहुँच रहा है ।क्षेत्र के लोगों ने कहा कि आज के समय में सड़कों पर बेसहारा पशुओं को छोड़ने वालों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत है। पंचायत द्वारा अगर कोई पशु मालिक पकड़ा जाता है, तो वह नाममात्र जुर्माना देकर छूट जाता है। इतना कम जुर्माना होने के कारण भी लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। प्रदेश सरकार को चाहिए कि पशुओं के संरक्षण के लिए कड़े कानून लागू करे ताकि पशुओं को अच्छा संरक्षण प्राप्त हो सके*।Conclusion:
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