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SPECIAL: प्रदेश में कोरोना से बचने के लिए निजी वाहनों व ऑटो का सहारा ले रहे हैं लोग - corona pandemic

हिमाचल में लोग कोरोना के डर के चलते बस में सफर करने से परहेज कर रहे हैं. मौजूदा समय में लोग नए निजी वाहन खरीद कर या टैक्सी व ऑटो में ज्यादा पैसे देकर सफर रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग मजबूरी में टू व्हीलर या फोर व्हीलर भी खरीद रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुल्लू में कोरोना काल के बाद व्हीकल रजिस्ट्रेशन भी बढ़ा है.

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Published : Aug 30, 2020, 10:55 PM IST

कुल्लू: देश प्रदेश में लोगों को कोरोना महामारी से जूझते हुए छह महीने से ज्यादा का समय हो गया है, फिर भी लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को महामारी के इस माहौल में नहीं ढाल पार रहे हैं.

हालांकि धीरे-धीरे लोग अपने काम काज पर लौट रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोगों को बसों व अपने निजी वाहनों में सफर करने की अनुमति दे दी गई है. जिसके बाद सड़कों पर गाड़ियां दौड़ना शुरू हो गई हैं, बावजूद इसके स्थिति पहले जैसी नहीं है.

हिमाचल में लोगों की भरोसेमंद सवारी कही जाने वाली एचआरटीसी की बसें कोरोना संकट से पहले तक सवारियों से भरी हुई नजर आती थीं. अब परिवहन निगम ने प्रदेश के काफी सारे रूट पर सवारियां न होने के कारण बस सेवा बंद कर दी है. वहीं, निजी बस ऑपरेटरों ने भी घाटे क चलते बसे सेवा शुरू करने से हाथ पीछे खींच लिए हैं.

वीडियो.

कोरोना संक्रमण का डर

इन सब की वजह है लोगों के दिलों दिमाग में कोरोना संक्रमण का डर. लोग बसों में सफर करने से कतरा रहे हैं. मौजूदा स्थिति में हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, जिनके पास सफर करने के लिए एचआरटीसी ही एक मात्र सहारा था.

वहीं, शहरी इलाकों में लोगों के पास कई विकल्प हैं. लोग बसों में सफर से बचते हुए नए निजी वाहन खरीद कर या टैक्सी व ऑटो में ज्यादा पैसे देकर सफर रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग मजबूरी में टू व्हीलर या फोर व्हीलर भी खरीद रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुल्लू में कोरोना काल के बाद व्हीकल रजिस्ट्रेशन भी बढ़ा है.

ऑटो चालकों को मिली राहत

कुल्लू के मुख्य बाजार तक आने-जाने के लिए भी लोग बसों से किनारा करते हुए अपने वाहनों या फिर ऑटो का इस्तेमाल रहे हैं. इससे ऑटो चालकों की आर्थिक स्थिति में तो कुछ सुधार तो जरूर हुआ है.

इसके साथ ही निजी वाहन का इस्तेमाल करने वालों को पेट्रोल और डीजल की कीमतें सता रही हैं. ऑटो में सफर करने वाले लोगों का कहना है कि बसें काफी कम चल रही हैं, साथ ही बसों में भीड़ भी काफी है, ऐसे में बढ़ते कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बसों में सफर करना सही नहीं है.

कार व बाइक की बढ़ी डिमांड

वहीं, कोरोना संकट काल में कार व बाइक डीलरों का कहना है कि टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर्स की मांग बढ़ी है. लोगों को आने जाने के लिए दूरदराज के इलाकों में बसें समय पर नहीं मिल रही हैं, जिस वजह लोग खासकर टू व्हीलर खरीद रहे हैं. साथ ही बाजार में लोग सेकेंड हैंड गाड़ियों को भी विकल्प के तौर पर देख रहे हैं.

कोरोना महामारी के चलते सफर करने के लिए लोगों की बदलती प्राथमिकता को लेकर एसडीएम कुल्लू डॉ. अमित गुलेरिया ने बताया कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नए वाहनों की रजिस्ट्रेशन बढ़ी है. अब एक दिन में करीब 20 नए वाहनों की रजिस्ट्रेशन हो रही है, जबकि कोरोना से पहले 10 नए वाहनों की एक दिन में रजिस्ट्रेशन होती थी.

सरकारी आंकड़ों और जमीनी हालात पर नजर डालते हुए यह समझा जा सकता है कि लोग बस में सफर करने बजाए आर्थिक तंगी झेलते हुए भी नए वाहन खरीद रहे हैं, या फिर दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि वह सफर करते समय सुरक्षित महसूस कर सकें.

पढ़ें: हिमाचल में पर्यटन क्षेत्र पर छाए हैं कोरोना के 'बादल', देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

कुल्लू: देश प्रदेश में लोगों को कोरोना महामारी से जूझते हुए छह महीने से ज्यादा का समय हो गया है, फिर भी लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी को महामारी के इस माहौल में नहीं ढाल पार रहे हैं.

हालांकि धीरे-धीरे लोग अपने काम काज पर लौट रहे हैं, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लोगों को बसों व अपने निजी वाहनों में सफर करने की अनुमति दे दी गई है. जिसके बाद सड़कों पर गाड़ियां दौड़ना शुरू हो गई हैं, बावजूद इसके स्थिति पहले जैसी नहीं है.

हिमाचल में लोगों की भरोसेमंद सवारी कही जाने वाली एचआरटीसी की बसें कोरोना संकट से पहले तक सवारियों से भरी हुई नजर आती थीं. अब परिवहन निगम ने प्रदेश के काफी सारे रूट पर सवारियां न होने के कारण बस सेवा बंद कर दी है. वहीं, निजी बस ऑपरेटरों ने भी घाटे क चलते बसे सेवा शुरू करने से हाथ पीछे खींच लिए हैं.

वीडियो.

कोरोना संक्रमण का डर

इन सब की वजह है लोगों के दिलों दिमाग में कोरोना संक्रमण का डर. लोग बसों में सफर करने से कतरा रहे हैं. मौजूदा स्थिति में हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण इलाकों के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं, जिनके पास सफर करने के लिए एचआरटीसी ही एक मात्र सहारा था.

वहीं, शहरी इलाकों में लोगों के पास कई विकल्प हैं. लोग बसों में सफर से बचते हुए नए निजी वाहन खरीद कर या टैक्सी व ऑटो में ज्यादा पैसे देकर सफर रहे हैं. इतना ही नहीं कुछ लोग मजबूरी में टू व्हीलर या फोर व्हीलर भी खरीद रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कुल्लू में कोरोना काल के बाद व्हीकल रजिस्ट्रेशन भी बढ़ा है.

ऑटो चालकों को मिली राहत

कुल्लू के मुख्य बाजार तक आने-जाने के लिए भी लोग बसों से किनारा करते हुए अपने वाहनों या फिर ऑटो का इस्तेमाल रहे हैं. इससे ऑटो चालकों की आर्थिक स्थिति में तो कुछ सुधार तो जरूर हुआ है.

इसके साथ ही निजी वाहन का इस्तेमाल करने वालों को पेट्रोल और डीजल की कीमतें सता रही हैं. ऑटो में सफर करने वाले लोगों का कहना है कि बसें काफी कम चल रही हैं, साथ ही बसों में भीड़ भी काफी है, ऐसे में बढ़ते कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए बसों में सफर करना सही नहीं है.

कार व बाइक की बढ़ी डिमांड

वहीं, कोरोना संकट काल में कार व बाइक डीलरों का कहना है कि टू व्हीलर से लेकर फोर व्हीलर्स की मांग बढ़ी है. लोगों को आने जाने के लिए दूरदराज के इलाकों में बसें समय पर नहीं मिल रही हैं, जिस वजह लोग खासकर टू व्हीलर खरीद रहे हैं. साथ ही बाजार में लोग सेकेंड हैंड गाड़ियों को भी विकल्प के तौर पर देख रहे हैं.

कोरोना महामारी के चलते सफर करने के लिए लोगों की बदलती प्राथमिकता को लेकर एसडीएम कुल्लू डॉ. अमित गुलेरिया ने बताया कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद नए वाहनों की रजिस्ट्रेशन बढ़ी है. अब एक दिन में करीब 20 नए वाहनों की रजिस्ट्रेशन हो रही है, जबकि कोरोना से पहले 10 नए वाहनों की एक दिन में रजिस्ट्रेशन होती थी.

सरकारी आंकड़ों और जमीनी हालात पर नजर डालते हुए यह समझा जा सकता है कि लोग बस में सफर करने बजाए आर्थिक तंगी झेलते हुए भी नए वाहन खरीद रहे हैं, या फिर दूसरे विकल्पों का इस्तेमाल कर रहे हैं ताकि वह सफर करते समय सुरक्षित महसूस कर सकें.

पढ़ें: हिमाचल में पर्यटन क्षेत्र पर छाए हैं कोरोना के 'बादल', देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

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