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नागरिक केंद्रित है 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' व्यवस्था: उपायुक्त

उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार ने कहा कि 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' व्यवस्था पूरी तरह से नागरिक केंद्रित है. उपायुक्त शनिवार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व्यवस्था के लिए नोडल विभाग के तौर पर कार्य कर रहे उद्योग विभाग के तत्वावधान में 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत हुए सुधारों' पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे.

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Published : Jul 24, 2021, 6:44 PM IST

कुल्लू: उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार ने कहा कि 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' व्यवस्था पूरी तरह से नागरिक केंद्रित है. इस व्यवस्था के लागू होने से लोगों को अब अपने विभिन्न तरह के कार्य करवाने या अनुमति लेने के लिए कार्यालयों में नहीं जाना पड़ता है.

उपायुक्त शनिवार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व्यवस्था के लिए नोडल विभाग के तौर पर कार्य कर रहे उद्योग विभाग के तत्वावधान में 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत हुए सुधारों' पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी सुगम हिमाचल- उन्नत हिमाचल के मूल मंत्र के साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व्यवस्था को शुरू किया है. राज्य सरकार ने इस व्यवस्था के तहत विभिन्न विभागों में कई तरह की पहल शुरू की हैं. उद्योग विभाग में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम में सेल्फ सर्टिफिकेशन की शुरुआत की जा चुकी है. इसके अलावा सात विभिन्न अधिनियमों में भी स्वतः पंजीकरण की व्यवस्था मौजूद है.

उपायुक्त ने कहा कि इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे मुख्य लक्ष्य यह है कि व्यक्ति को स्वयं कार्यालय में ना जाकर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन और अनुमति की सुविधाएं मिलना सुनिश्चित हो सकें. इससे जहां लोगों के समय की बचत होगी वहीं विभागीय व्यवस्था में भी तत्परता, पारदर्शिता और जवाबदेही रहेगी.

उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति जिला भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है जहां आबादी का घनत्व कम है. कुछ आबादी सर्दियों में प्रवास भी करती है. ऐसी परिस्थितियों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की यह व्यवस्था लाहौल- स्पीति जैसी जिले के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है.

पहले की व्यवस्था में कार्य दिवस की समय अवधि के दौरान ही लोग अपने विभागीय कार्यों को करवा पाते थे, लेकिन अब इस व्यवस्था के चलते वे ऑनलाइन 24 घंटे किसी भी समय आवेदन कर सकते हैं या ईमेल के माध्यम से घर बैठे कार्य के पूरा होने की अनुमति अथवा सूचना प्राप्त कर सकते हैं.

उपायुक्त ने ये भी बताया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की ऑल इंडिया रैंकिंग में हिमाचल प्रदेश वर्ष 2015 में 17वें स्थान पर था, लेकिन 2019 में हिमाचल प्रदेश की यह रैंकिंग अब 7वें स्थान पर आ चुकी है. इससे जाहिर होता है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की इस व्यवस्था से लोगों को लाभ मिल रहा है और विभाग भी इस दिशा में तत्परता के साथ कार्य कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश निवेशक मित्र राज्य के तौर पर भी उभर रहा है.

इससे पूर्व उद्योग विभाग के उप निदेशक संजय शर्मा ने कार्यशाला में भाग लेने वाले विभिन्न विभागों के अधिकारियों और उद्यमियों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के बारे में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में केवल मात्र उद्योग विभाग के कार्यकलापों को ही शामिल नहीं किया गया है बल्कि विभागों की विभिन्न सेवाओं को भी इस दायरे में लाया गया है.

ये भी पढ़ें- मैं कम बोलता हूं इसका ये मतलब नहीं मैं कम जानता हूं, शालीनता मेरा स्वभाव: सीएम जयराम

कुल्लू: उपायुक्त लाहौल-स्पीति नीरज कुमार ने कहा कि 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' व्यवस्था पूरी तरह से नागरिक केंद्रित है. इस व्यवस्था के लागू होने से लोगों को अब अपने विभिन्न तरह के कार्य करवाने या अनुमति लेने के लिए कार्यालयों में नहीं जाना पड़ता है.

उपायुक्त शनिवार को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व्यवस्था के लिए नोडल विभाग के तौर पर कार्य कर रहे उद्योग विभाग के तत्वावधान में 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत हुए सुधारों' पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला के आयोजन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी सुगम हिमाचल- उन्नत हिमाचल के मूल मंत्र के साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस व्यवस्था को शुरू किया है. राज्य सरकार ने इस व्यवस्था के तहत विभिन्न विभागों में कई तरह की पहल शुरू की हैं. उद्योग विभाग में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम में सेल्फ सर्टिफिकेशन की शुरुआत की जा चुकी है. इसके अलावा सात विभिन्न अधिनियमों में भी स्वतः पंजीकरण की व्यवस्था मौजूद है.

उपायुक्त ने कहा कि इस व्यवस्था को लागू करने के पीछे मुख्य लक्ष्य यह है कि व्यक्ति को स्वयं कार्यालय में ना जाकर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन और अनुमति की सुविधाएं मिलना सुनिश्चित हो सकें. इससे जहां लोगों के समय की बचत होगी वहीं विभागीय व्यवस्था में भी तत्परता, पारदर्शिता और जवाबदेही रहेगी.

उन्होंने कहा कि लाहौल-स्पीति जिला भौगोलिक दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला है जहां आबादी का घनत्व कम है. कुछ आबादी सर्दियों में प्रवास भी करती है. ऐसी परिस्थितियों में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की यह व्यवस्था लाहौल- स्पीति जैसी जिले के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकती है.

पहले की व्यवस्था में कार्य दिवस की समय अवधि के दौरान ही लोग अपने विभागीय कार्यों को करवा पाते थे, लेकिन अब इस व्यवस्था के चलते वे ऑनलाइन 24 घंटे किसी भी समय आवेदन कर सकते हैं या ईमेल के माध्यम से घर बैठे कार्य के पूरा होने की अनुमति अथवा सूचना प्राप्त कर सकते हैं.

उपायुक्त ने ये भी बताया कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की ऑल इंडिया रैंकिंग में हिमाचल प्रदेश वर्ष 2015 में 17वें स्थान पर था, लेकिन 2019 में हिमाचल प्रदेश की यह रैंकिंग अब 7वें स्थान पर आ चुकी है. इससे जाहिर होता है कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की इस व्यवस्था से लोगों को लाभ मिल रहा है और विभाग भी इस दिशा में तत्परता के साथ कार्य कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश निवेशक मित्र राज्य के तौर पर भी उभर रहा है.

इससे पूर्व उद्योग विभाग के उप निदेशक संजय शर्मा ने कार्यशाला में भाग लेने वाले विभिन्न विभागों के अधिकारियों और उद्यमियों को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के बारे में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में केवल मात्र उद्योग विभाग के कार्यकलापों को ही शामिल नहीं किया गया है बल्कि विभागों की विभिन्न सेवाओं को भी इस दायरे में लाया गया है.

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