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आपदा के कारण मनाली से मंडी तक ब्यास नदी ने बदला रुख, खनन विभाग ने 42 जगहों को किया चिन्हित, 30 गांवों पर मंडराया खतरा - ब्यास नदी के तटीयकरण का काम

Manali To Mandi Beas River Changed Direction: मानसून सीजन में हिमाचल प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदा के कारण भारी नुकसान हुआ. वहीं, आपदा के बाद ब्यास नदी ने मनाली से मंडी तक अपना रुख बदल लिया है. जिससे 30 गांवों पर खतरा मंडराने लगा है. खनन विभाग ने 42 स्थानों को चिन्हित किया. वहीं, नदी से मलबे को हटाने के लिए जल्द टेंडर होंगे. अगले साल मार्च से अप्रैल तक नदी से मलबा हटाने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा. पढ़िए पूरी खबर...

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 21, 2023, 4:48 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जुलाई अगस्त माह में प्राकृतिक आपदा के चलते जहां हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. वहीं, सबसे अधिक नुकसान मंडी और कुल्लू जिला में हुआ है. यहां पर ब्यास नदी ने भी अपना 42 जगहों पर रुख बदला है. जो आने वाले समय में 30 से अधिक गांवों के लिए खतरा बन गया है. ऐसे में अब सरकार द्वारा ब्यास नदी के बदले हुए रुख को मोड़ने की तैयारी की जा रही है. अब अप्रैल माह से पहले ब्यास नदी से मलबा बाहर निकाला जाएगा. यह कार्य केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा. आईआईटी रुड़की, जल शक्ति विभाग व प्रशासन के सर्वे रिपोर्ट के बाद इसके टेंडर किए जाएंगे. वहीं ब्यास नदी के तटीयकरण का काम भी शुरू किया जाएगा.

मिली जानकारी के अनुसार आईआईटी रुड़की की टीम ने ड्रोन के माध्यम से ब्यास नदी का सर्वे किया है. इस सर्वे में पाया गया कि मनाली से आलू ग्राउंड तक आठ, कुल्लू तक 34 जगह पर ब्यास नदी ने अपना रुख बदला है. इसके अलावा मंडी के नगबाई में भी वन विभाग के पार्क के पास ब्यास नदी ने रास्ता बदल दिया है. इससे अब 30 गांव को खतरा है. वही आईआईटी रुड़की की टीम में यह भी लिखा गया है कि पहले ही ब्यास में कुछ स्थानों पर मलबा जमा था और कुछ जगह पर कब्जे भी किए गए थे. ऐसे में जब नदी में बाढ़ आई तो बड़ी मात्रा में मलबे के कारण इसने रुख बदल दिया, जिससे भारी तबाही भी हुई. अब प्रशासन इन स्थानों से मलबे को हटाने के लिए भी कदम उठाएगी और टेंडर निकालने की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है.

Beas river changed direction
आपदा के कारण मनाली से मंडी तक ब्यास नदी ने बदला रुख

गौर रहे कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अगस्त माह में जब कुल्लू का दौरा किया था तो, उन्होंने यह कहा था कि ब्यास नदी में जहां पर मलबा है, उसे निकाला जाएगा और ब्यास नदी को गहरा किया जाएगा. ताकि आने वाले समय में ब्यास नदी से किसी को खतरा न हो सके. ऐसे में अब मार्च व अप्रैल तक ब्यास नदी में जलस्तर भी काम रहता है और इन चार महीना में प्रशासन द्वारा इस कार्य को पूरा करना होगा. सर्वे की रिपोर्ट में सबसे अधिक खतरा मनाली, आलू ग्राउंड, पतली कूहल, लेफ्ट बैंक, बाशिंग, नवोदय स्कूल, रायसन, सेऊ बाग, भुंतर जिया, बजौरा पर सबसे अधिक खतरा पाया गया है.

ब्यास नदी से जो मलबा निकलेगा, उसे खनन विभाग द्वारा कब्जे में लिया जाएगा. वही मलबा निकालने के लिए भी छोटे-छोटे पैच के हिसाब से टेंडर किए जाएंगे, जो भी ठेकेदार या कंपनी उस काम को करेगी, उसकी निगरानी खनन विभाग द्वारा की जाएगी और उसके बाद खनन विभाग द्वारा ही यह तय किया जाएगा कि इस मलबे को किसे नीलाम किया जाना है.

पर्यावरणविद् किशन लाल का कहना है कि "फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान भी पहाड़ी से निकाले गए मलबे को गलत तरीके से ब्यास नदी में डंप किया गया. जिस कारण ब्यास नदी ने अपना कई जगह पर रुख बदला है. आईआईटी रुड़की की टीम में ने भी सर्वे में इस बात को लिखा है. इसके अलावा ब्यास नदी में भी मनाली से लेकर भुंतर तक कई जगह पर अवैध खनन किया गया, जिसके चलते नदी के किनारे खत्म होते गए और नदी ने भी अपना रुख बदल लिया है. जो आने वाले समय में खतरनाक होगा. प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह मलबे की डंपिंग के लिए पहले ही स्थान को चिन्हित करें और अवैध खनन पर रोक लगाएं. ताकि फिर से हिमाचल प्रदेश को ऐसी तबाही न झेलनी पड़े."

प्राकृतिक आपदा के चलते ब्यास नदी कई स्थानों पर 20 मीटर से अधिक मुड़ गई है. ऐसे में ब्यास नदी के किनारे कई ऐसे गांव हैं, जो आने वाले समय में बाढ़ की भेंट चढ़ सकते हैं. ब्यास नदी में भारी मलबा आने के चलते कई सिंचाई योजनाएं भी प्रभावित हुई है. स्थानीय लोगों द्वारा ब्यास नदी के किनारे सिंचाई योजना के लिए अपने मोटर पंप स्थापित किए गए हैं, लेकिन मलबा अधिक होने के चलते नदी ने अपना रुख बदल लिया और अब लोगों को सिंचाई के लिए नदी से पानी ले जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अगर जल्द ही ब्यास नदी का रुख वापस नहीं मोड़ा गया तो, इससे कृषि व बागवानी कार्य भी खास से प्रभावित होंगे.

Beas river changed direction
ब्यास नदी का रुख बदलने से 30 गांवों पर मंडराया खतरा

गौर रहे कि ब्यास नदी जिला कुल्लू के रोहतांग दर्रे में स्थित ब्यास कुंड से निकलती है और यह जिला मंडी, जिला हमीरपुर, जिला कांगड़ा से होते हुए पंजाब के कई जिला से होते हुए गुजरती है. ब्यास नदी की लंबाई 630 किलोमीटर के करीब है. ब्यास नदी पर कई हाइड्रो प्रोजेक्ट भी बनाए गए हैं और हिमाचल प्रदेश में कृषि कार्यों के लिए भी ब्यास नदी का पानी सिंचाई के लिए उसे प्रयोग में लाया जाता है. इसके अलावा ब्यास नदी और सतलुज नदी के पानी से भी हाइड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया है.

Beas river changed direction
खनन विभाग ने 42 जगहों को किया चिन्हित

वहीं, एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला का कहना है कि आईआईटी रुड़की की टीम के साथ एक ड्रोन सर्वे किया गया है. जिसमें यह पाया गया की 42 जगह पर ब्यास नदी ने अपना रुख बदला है और भारी मलबा नदी में आया है. अब इसे निकालकर ब्यास नदी को गहरा तथा सीधा करने के लिए भी प्रशासन द्वारा टेंडर लगाए जाएंगे. साथ ही अगले साल मार्च व अप्रैल तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: उत्तरकाशी टनल हादसा से NHAI ने लिया सबक, हिमाचल में सुरंग निर्माण को लेकर की एडवाइजरी जारी

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में जुलाई अगस्त माह में प्राकृतिक आपदा के चलते जहां हजारों करोड़ रुपए का नुकसान हुआ. वहीं, सबसे अधिक नुकसान मंडी और कुल्लू जिला में हुआ है. यहां पर ब्यास नदी ने भी अपना 42 जगहों पर रुख बदला है. जो आने वाले समय में 30 से अधिक गांवों के लिए खतरा बन गया है. ऐसे में अब सरकार द्वारा ब्यास नदी के बदले हुए रुख को मोड़ने की तैयारी की जा रही है. अब अप्रैल माह से पहले ब्यास नदी से मलबा बाहर निकाला जाएगा. यह कार्य केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा. आईआईटी रुड़की, जल शक्ति विभाग व प्रशासन के सर्वे रिपोर्ट के बाद इसके टेंडर किए जाएंगे. वहीं ब्यास नदी के तटीयकरण का काम भी शुरू किया जाएगा.

मिली जानकारी के अनुसार आईआईटी रुड़की की टीम ने ड्रोन के माध्यम से ब्यास नदी का सर्वे किया है. इस सर्वे में पाया गया कि मनाली से आलू ग्राउंड तक आठ, कुल्लू तक 34 जगह पर ब्यास नदी ने अपना रुख बदला है. इसके अलावा मंडी के नगबाई में भी वन विभाग के पार्क के पास ब्यास नदी ने रास्ता बदल दिया है. इससे अब 30 गांव को खतरा है. वही आईआईटी रुड़की की टीम में यह भी लिखा गया है कि पहले ही ब्यास में कुछ स्थानों पर मलबा जमा था और कुछ जगह पर कब्जे भी किए गए थे. ऐसे में जब नदी में बाढ़ आई तो बड़ी मात्रा में मलबे के कारण इसने रुख बदल दिया, जिससे भारी तबाही भी हुई. अब प्रशासन इन स्थानों से मलबे को हटाने के लिए भी कदम उठाएगी और टेंडर निकालने की प्रक्रिया भी पूरी की जा रही है.

Beas river changed direction
आपदा के कारण मनाली से मंडी तक ब्यास नदी ने बदला रुख

गौर रहे कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अगस्त माह में जब कुल्लू का दौरा किया था तो, उन्होंने यह कहा था कि ब्यास नदी में जहां पर मलबा है, उसे निकाला जाएगा और ब्यास नदी को गहरा किया जाएगा. ताकि आने वाले समय में ब्यास नदी से किसी को खतरा न हो सके. ऐसे में अब मार्च व अप्रैल तक ब्यास नदी में जलस्तर भी काम रहता है और इन चार महीना में प्रशासन द्वारा इस कार्य को पूरा करना होगा. सर्वे की रिपोर्ट में सबसे अधिक खतरा मनाली, आलू ग्राउंड, पतली कूहल, लेफ्ट बैंक, बाशिंग, नवोदय स्कूल, रायसन, सेऊ बाग, भुंतर जिया, बजौरा पर सबसे अधिक खतरा पाया गया है.

ब्यास नदी से जो मलबा निकलेगा, उसे खनन विभाग द्वारा कब्जे में लिया जाएगा. वही मलबा निकालने के लिए भी छोटे-छोटे पैच के हिसाब से टेंडर किए जाएंगे, जो भी ठेकेदार या कंपनी उस काम को करेगी, उसकी निगरानी खनन विभाग द्वारा की जाएगी और उसके बाद खनन विभाग द्वारा ही यह तय किया जाएगा कि इस मलबे को किसे नीलाम किया जाना है.

पर्यावरणविद् किशन लाल का कहना है कि "फोरलेन सड़क निर्माण के दौरान भी पहाड़ी से निकाले गए मलबे को गलत तरीके से ब्यास नदी में डंप किया गया. जिस कारण ब्यास नदी ने अपना कई जगह पर रुख बदला है. आईआईटी रुड़की की टीम में ने भी सर्वे में इस बात को लिखा है. इसके अलावा ब्यास नदी में भी मनाली से लेकर भुंतर तक कई जगह पर अवैध खनन किया गया, जिसके चलते नदी के किनारे खत्म होते गए और नदी ने भी अपना रुख बदल लिया है. जो आने वाले समय में खतरनाक होगा. प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह मलबे की डंपिंग के लिए पहले ही स्थान को चिन्हित करें और अवैध खनन पर रोक लगाएं. ताकि फिर से हिमाचल प्रदेश को ऐसी तबाही न झेलनी पड़े."

प्राकृतिक आपदा के चलते ब्यास नदी कई स्थानों पर 20 मीटर से अधिक मुड़ गई है. ऐसे में ब्यास नदी के किनारे कई ऐसे गांव हैं, जो आने वाले समय में बाढ़ की भेंट चढ़ सकते हैं. ब्यास नदी में भारी मलबा आने के चलते कई सिंचाई योजनाएं भी प्रभावित हुई है. स्थानीय लोगों द्वारा ब्यास नदी के किनारे सिंचाई योजना के लिए अपने मोटर पंप स्थापित किए गए हैं, लेकिन मलबा अधिक होने के चलते नदी ने अपना रुख बदल लिया और अब लोगों को सिंचाई के लिए नदी से पानी ले जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अगर जल्द ही ब्यास नदी का रुख वापस नहीं मोड़ा गया तो, इससे कृषि व बागवानी कार्य भी खास से प्रभावित होंगे.

Beas river changed direction
ब्यास नदी का रुख बदलने से 30 गांवों पर मंडराया खतरा

गौर रहे कि ब्यास नदी जिला कुल्लू के रोहतांग दर्रे में स्थित ब्यास कुंड से निकलती है और यह जिला मंडी, जिला हमीरपुर, जिला कांगड़ा से होते हुए पंजाब के कई जिला से होते हुए गुजरती है. ब्यास नदी की लंबाई 630 किलोमीटर के करीब है. ब्यास नदी पर कई हाइड्रो प्रोजेक्ट भी बनाए गए हैं और हिमाचल प्रदेश में कृषि कार्यों के लिए भी ब्यास नदी का पानी सिंचाई के लिए उसे प्रयोग में लाया जाता है. इसके अलावा ब्यास नदी और सतलुज नदी के पानी से भी हाइड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण किया गया है.

Beas river changed direction
खनन विभाग ने 42 जगहों को किया चिन्हित

वहीं, एसडीएम कुल्लू विकास शुक्ला का कहना है कि आईआईटी रुड़की की टीम के साथ एक ड्रोन सर्वे किया गया है. जिसमें यह पाया गया की 42 जगह पर ब्यास नदी ने अपना रुख बदला है और भारी मलबा नदी में आया है. अब इसे निकालकर ब्यास नदी को गहरा तथा सीधा करने के लिए भी प्रशासन द्वारा टेंडर लगाए जाएंगे. साथ ही अगले साल मार्च व अप्रैल तक इस काम को पूरा कर लिया जाएगा.

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