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मार्च तक बहाल हो जाएगा मनाली लेह सड़क मार्ग, युद्ध स्तर पर जुटी BRO की टीम

बीआरओ के अनुसार मौसम साफ रहने पर पहली बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे क्षेत्रों को मार्च में ही बहाल दिया जाएगा. अटल टनल रोहतांग बनने से इस बार 70 आरसीसी की राहें बहुत आसान हो गई हैं. बीआरओ 70 आरसीसी ने इस बार 182 किलोमीटर लंबे मनाली-सरचू मार्ग पर करीब 122 किलोमीटर सड़क बहाल कर दी है.

manali leh road.
मनाली लेह सड़क मार्ग,
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Published : Feb 23, 2021, 11:23 AM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू व लाहौल में इस साल सर्दियों में कम बर्फबारी होने से इस बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सटे सभी क्षेत्र समय से पहले ही बहाल हो जाएंगे. अटल टनल ने लाहौल स्पीति के लोगों की परेशानी दूर कर दी है. अटल टनल के चलते बीआरओ की भी परेशानी कम हो गई है.

जिंगजिंगबार तक सड़क बहाल

476 किलोमीटर लंबा मनाली-लेह मार्ग अब टनल बनने के बाद 430 किमी ही शेष रह गया है. बीआरओ ने मनाली से 125 किमी दूर जिंगजिंगबार तक सड़क बहाल कर दी है. 430 किमी लंबे मनाली लेह को बीआरओ की दो परियोजनाएं देखती हैं. मनाली से सरचू तक दीपक परियोजना, जबकि लेह से सरचू तक हिमांक परियोजना सड़क की देखरेख के साथ बहाली का कार्य करती है.

अटल टनल से बीआरओ की परेशानी हुई दूर

अटल टनल बनने से इस बार 70 आरसीसी की राहें बहुत आसान हो गई हैं. बीआरओ 70 आरसीसी ने इस बार 182 किलोमीटर लंबे मनाली-सरचू मार्ग पर करीब 122 किलोमीटर सड़क बहाल कर दी है. अब मात्र 60 किलोमीटर सड़क बहाली ही शेष है. दूसरी ओर लेह से भी हिमांक ने सड़क बहाली के कार्य जारी रखा है.

मार्च तक बहाल हो जाएगा मनाली लेह सड़क मार्ग,

बीआरओ के अनुसार मौसम साफ रहने पर पहली बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे क्षेत्रों को मार्च में ही बहाल दिया जाएगा. बीआरओ के अनुसार मार्च महीने में विधिवत पूजा अर्चना कर मार्ग की बहाली शुरू कर दी जाएगी, लेकिन बीआरओ ने मनाली लेह, तांदी संसारी, ग्राम्फू समदो मार्ग बहाली साथ में ही जारी रखी है. बीआरओ ने 15 हजार फीट की ऊंचाई पर शिंकुला दर्रे से वैकल्पिक सड़क के जरिये कारगिल को मनाली से जोड़ दिया है, जिससे भारतीय सेना को पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहुंचना आसान हो गया है.

मनाली से कारगिल की दूरी हुई कम

इस सड़क के बनने से कारगिल बॉर्डर तक पहुंचने के लिए अब सेना को लेह होकर नहीं जाना पड़ता है. साथ ही अब मनाली से कारगिल की दूरी भी 250 किलोमीटर कम हो गई है. पहले लेह होते हुए मनाली से कारगिल की दूरी 750 किमी थी. दारचा-शिंकुला-पदुम-कारगिल मार्ग के दोनों छोरों जुड़ते ही बारालाचा, तंगलंगला और लाचुंगला दर्रों को पार किए बगैर शिंकुला दर्रा होकर जांस्कर से कारगिल पहुंच सकते हैं.

ये भी पढ़ें : पर्यटन विकास निगम ने बढ़ाया अपना बेड़ा, अपनी फ्लीट में शामिल की 2 नई यूरो-6 एसी वाॅल्वो कोच

कुल्लू: जिला कुल्लू व लाहौल में इस साल सर्दियों में कम बर्फबारी होने से इस बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सटे सभी क्षेत्र समय से पहले ही बहाल हो जाएंगे. अटल टनल ने लाहौल स्पीति के लोगों की परेशानी दूर कर दी है. अटल टनल के चलते बीआरओ की भी परेशानी कम हो गई है.

जिंगजिंगबार तक सड़क बहाल

476 किलोमीटर लंबा मनाली-लेह मार्ग अब टनल बनने के बाद 430 किमी ही शेष रह गया है. बीआरओ ने मनाली से 125 किमी दूर जिंगजिंगबार तक सड़क बहाल कर दी है. 430 किमी लंबे मनाली लेह को बीआरओ की दो परियोजनाएं देखती हैं. मनाली से सरचू तक दीपक परियोजना, जबकि लेह से सरचू तक हिमांक परियोजना सड़क की देखरेख के साथ बहाली का कार्य करती है.

अटल टनल से बीआरओ की परेशानी हुई दूर

अटल टनल बनने से इस बार 70 आरसीसी की राहें बहुत आसान हो गई हैं. बीआरओ 70 आरसीसी ने इस बार 182 किलोमीटर लंबे मनाली-सरचू मार्ग पर करीब 122 किलोमीटर सड़क बहाल कर दी है. अब मात्र 60 किलोमीटर सड़क बहाली ही शेष है. दूसरी ओर लेह से भी हिमांक ने सड़क बहाली के कार्य जारी रखा है.

मार्च तक बहाल हो जाएगा मनाली लेह सड़क मार्ग,

बीआरओ के अनुसार मौसम साफ रहने पर पहली बार चीन व पाकिस्तान सीमा से सट्टे क्षेत्रों को मार्च में ही बहाल दिया जाएगा. बीआरओ के अनुसार मार्च महीने में विधिवत पूजा अर्चना कर मार्ग की बहाली शुरू कर दी जाएगी, लेकिन बीआरओ ने मनाली लेह, तांदी संसारी, ग्राम्फू समदो मार्ग बहाली साथ में ही जारी रखी है. बीआरओ ने 15 हजार फीट की ऊंचाई पर शिंकुला दर्रे से वैकल्पिक सड़क के जरिये कारगिल को मनाली से जोड़ दिया है, जिससे भारतीय सेना को पाकिस्तान और चीन की सीमा पर पहुंचना आसान हो गया है.

मनाली से कारगिल की दूरी हुई कम

इस सड़क के बनने से कारगिल बॉर्डर तक पहुंचने के लिए अब सेना को लेह होकर नहीं जाना पड़ता है. साथ ही अब मनाली से कारगिल की दूरी भी 250 किलोमीटर कम हो गई है. पहले लेह होते हुए मनाली से कारगिल की दूरी 750 किमी थी. दारचा-शिंकुला-पदुम-कारगिल मार्ग के दोनों छोरों जुड़ते ही बारालाचा, तंगलंगला और लाचुंगला दर्रों को पार किए बगैर शिंकुला दर्रा होकर जांस्कर से कारगिल पहुंच सकते हैं.

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