लाहौल स्पीति: घाटी में बारिश-बर्फबारी का दौर थमने के बाद किसानों ने अपने-अपने खेतों का रुख करना शुरू कर दिया है. लाहौल में मटर, आलू की बिजाई में किसान जुट गए हैं. लाहौल के आलू बीज की मांग पूरे देशभर में रहती है, लेकिन इस साल लाहौल घाटी के किसानों को आलू का बीज खेतों में बिजाई के लिए नहीं मिल पा रहा है.
कृषि विभाग को भी अभी तक 278 क्विंटल आलू का बीज ही मिल पाया है, जिसके चलते घाटी के किसानों की चिंता भी बढ़ गई है. हालांकि हर साल लाहौल में किसानों को 1000 क्विंटल आलू के बीज की आवश्यकता होती है. लाहौल घाटी में ज्योति और चंद्रमुखी के अलावा संताना आलू की बिजाई जोरों पर चल रही है. किसान लगातार एलपीएस से आलू के बीज के लिए संपर्क साध रहे हैं. लाहौल के किसानों को आलू का ब्रीडर सीड कृषि विभाग और एलपीएस उपलब्ध करवाता आया है, लेकिन पिछले कुछ सालों से किसानों को मांग के मुताबिक ब्रीडर सीड उपलब्ध नहीं हो रहा है.
एलपीएस के चेयरमैन सुदर्शन जस्पा ने कहा कि लाहौल के आलू बीज पर पंजाब की कुछ कंपनियों का कब्जा हो गया है. ऐसे में किसानों को बेहद कम ब्रीडर सीड मिल रहा है और आज स्थिति ऐसी है कि लोगों के पास बिजाई करने के लिए बीज ही नहीं है. पिछले साल मई में एलपीएस ने 600 से अधिक क्विंटल ब्रीडर सीड की डिमांड की थी, लेकिन एलपीएस को कुफरी ज्योति और कुफरी चंद्रमुखी की एक भी बोरी ब्रीडर सीड उपलब्ध नहीं हो सकी. लाहौल के आलू उत्पादकों का अग्रणी संगठन होने के नाते एलपीएस किसानों का नेतृत्व करने के लिए सदैव तत्पर रहेगी.
लाहौल-स्पीति के जिला कृषि अधिकारी डॉ. चौधरी राम ने कहा कि विभाग ने 752 क्विंटल बीज की मांग भेजी थी, लेकिन उन्हें 278 क्विंटल आलू बीज मिला है. बता दें कि लाहौल स्पीति का आलू पूरी दुनिया में मशहूर है. इसके स्वाद का दूर दूर तक किसी से कोई मुकाबला नहीं है. यहां कई हेक्टेयर भूमि पर आलू की खेती की जाती है.