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Kullu News: ढालपुर प्रदर्शनी मैदान में उमड़ी भीड़, कोदरे के सिड्डू और चाय बनी लोगों की पंसद, औषधीय गुणों से भरपुर मोटे अनाजों की लगी स्टॉल - Exhibition in Kullu Dussehra

कुल्लू जिला मुख्यालय के ढालपुर प्रदर्शनी मैदान में लोगों कोदरे के सिड्डू, कोदरे की चाय खूब पसंद आ रही है. यहां कृषि विभाग द्वारा स्टॉल लगाया गया है, जहां हिमाचल के औषधीय गुणों से भरपुर मोटे अनाजों के बारे में लोगों को जानकारी दी जा रही है. (Kullu People like Kodra Siddu and tea) (International Kullu Dussehra Festival) (Himachal Millet Specialty)

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 28, 2023, 9:19 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के मैदान में जहां इन दिनों अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की धूम है. वहीं, यहां प्रदर्शनी मैदान में खरीदारी करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. दशहरा घूमने आए लोगों को स्टॉलों पर कोदरे के आटे से बने सिड्डू, बाजरे की खिचड़ी, कोदरे के आटे से बनी चाय भी पीने को मिल रही है. इस प्रदर्शनी में लोगों को पारंपरिक अनाजों के बारे में जहां जानकारी दी जा रही है. वहीं, इससे होने वाले फायदे के बारे में भी विशेष रूप से बताया जा रहा है.

बाहरी राज्यों से भी व्यापारी यहां पर अपना सामान बेचने के लिए पहुंचे हैं. सरकारी योजनाओं के बारे में भी लोगों को प्रशासन द्वारा जानकारी दी जा रही है. ढालपुर के प्रदर्शनी मैदान में भी कृषि विभाग द्वारा एक स्टॉल लगाया गया है, जहां पर मोटे अनाज के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

कृषि विभाग के इस स्टॉल में इन पारंपरिक अनाजों के बारे में लोगों को बताया जा रहा है. साथ ही इनकेस सेवन से किस तरह लोगों को विभिन्न बीमारियों से मुक्ति मिलती है, इसके बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में किस तरह से इसकी खेती की जाती है, उसके बारे में भी विभाग लोगों को जागरुक कर रहा है. प्रदर्शनी मैदान में बने लगाए गए स्टॉल में कोदरे के आटे से बनी चाय लोगों की पसंद बनी हुई है. इसके अलावा कोदरे के आटे से बना हुआ डोसा, सिड्डू, चिल्डू सहित अन्य उत्पाद भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

गौरतलब है हिमाचल में औषधीय गुणों वाले मोटे अनाज के उत्पादन की पुरानी परंपरा अब धीरे-धीरे समाप्त होने लगी है. इन फसलों में पौष्टिकता भरपूर मात्रा में पाई जाती है. कोदरे का आटा दिल संबंधी रोग, रक्तचाप और डायबिटीज बीमारियों को ठीक करने में काफी सहायक माना जाता है. पौष्टिक तत्वों और प्रचुर कैल्शियम करने वाली परंपरागत कोदरा काउंणी की खेती को बचाने का विभाग प्रयास भी कर रहा है.

स्टॉल में पहुंचे लोगों का कहना है कि जैसे-जैसे बीमारियां बढ़ रही है तो लोग अब वही पुराने अनाजों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. कोदरे के फायदे भी अब लोगों के बीच काफी प्रचलित हो रहे हैं. लोग कोदरे से बने उत्पादों का भी सेवन कर रहे हैं. ऐसे में प्रदर्शनी मैदान में भी लोग कोदरे से बने खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं. ताकि वे अपने आप को बीमारियों से मुक्त रख सके.

ये भी पढ़ें: Kullu Dussehra Fire: ढालपुर मैदान में आधी रात को आग लगने से मचा हंडकप, 13 टेंट समेत 5 दुकानें जलकर राख, 2 लोग झुलसे

कुल्लू: जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर के मैदान में जहां इन दिनों अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव की धूम है. वहीं, यहां प्रदर्शनी मैदान में खरीदारी करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है. दशहरा घूमने आए लोगों को स्टॉलों पर कोदरे के आटे से बने सिड्डू, बाजरे की खिचड़ी, कोदरे के आटे से बनी चाय भी पीने को मिल रही है. इस प्रदर्शनी में लोगों को पारंपरिक अनाजों के बारे में जहां जानकारी दी जा रही है. वहीं, इससे होने वाले फायदे के बारे में भी विशेष रूप से बताया जा रहा है.

बाहरी राज्यों से भी व्यापारी यहां पर अपना सामान बेचने के लिए पहुंचे हैं. सरकारी योजनाओं के बारे में भी लोगों को प्रशासन द्वारा जानकारी दी जा रही है. ढालपुर के प्रदर्शनी मैदान में भी कृषि विभाग द्वारा एक स्टॉल लगाया गया है, जहां पर मोटे अनाज के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

कृषि विभाग के इस स्टॉल में इन पारंपरिक अनाजों के बारे में लोगों को बताया जा रहा है. साथ ही इनकेस सेवन से किस तरह लोगों को विभिन्न बीमारियों से मुक्ति मिलती है, इसके बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में किस तरह से इसकी खेती की जाती है, उसके बारे में भी विभाग लोगों को जागरुक कर रहा है. प्रदर्शनी मैदान में बने लगाए गए स्टॉल में कोदरे के आटे से बनी चाय लोगों की पसंद बनी हुई है. इसके अलावा कोदरे के आटे से बना हुआ डोसा, सिड्डू, चिल्डू सहित अन्य उत्पाद भी लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

गौरतलब है हिमाचल में औषधीय गुणों वाले मोटे अनाज के उत्पादन की पुरानी परंपरा अब धीरे-धीरे समाप्त होने लगी है. इन फसलों में पौष्टिकता भरपूर मात्रा में पाई जाती है. कोदरे का आटा दिल संबंधी रोग, रक्तचाप और डायबिटीज बीमारियों को ठीक करने में काफी सहायक माना जाता है. पौष्टिक तत्वों और प्रचुर कैल्शियम करने वाली परंपरागत कोदरा काउंणी की खेती को बचाने का विभाग प्रयास भी कर रहा है.

स्टॉल में पहुंचे लोगों का कहना है कि जैसे-जैसे बीमारियां बढ़ रही है तो लोग अब वही पुराने अनाजों की ओर आकर्षित हो रहे हैं. कोदरे के फायदे भी अब लोगों के बीच काफी प्रचलित हो रहे हैं. लोग कोदरे से बने उत्पादों का भी सेवन कर रहे हैं. ऐसे में प्रदर्शनी मैदान में भी लोग कोदरे से बने खाद्य पदार्थों का सेवन कर रहे हैं. ताकि वे अपने आप को बीमारियों से मुक्त रख सके.

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