कुल्लू: हिमाचल के जिला कुल्लू की धार्मिक नगरी मणिकर्ण घाटी के शारानीबेहड़ में माता रूपासना और ड्ढ़ेई में माता कैलाशना के सम्मान में सदियाला पर्व मनाया गया. सुबह ठीक 4 बजे बर्फबारी में माइनस डिग्री के बीच पुजारियों ने नंगे पांव मशालें जलाकर जागरा निकाली. घाटी के ड्ढ़ेई गांव में माता कैलाशना और देवता मकाल के समान में बर्फ में सदियाला पर्व मनाया जाता है. यहां मुख्य मशाल खेम चंद पुजारी और मोहर सिंह पुजारी द्वारा मुख्य मशालें जलाई गईं. उसके बाद श्रद्धालुओं ने मशालें जलाकर जागरा निकाली.
जलती मशालों के साथ क्षेत्र की परिक्रमा की: समारोह के दौरान जलती मशालों के साथ मुख्य कारकून, हारियानों और भक्तों ने क्षेत्र की परिक्रमा की. वहीं इस प्राचीन परंपरा के अनुसार, अश्लील जुमलों से परिक्रमा करते हुए बुरी आत्माओं को दूर किया, ताकि क्षेत्र में सुख समृद्धि बनी रहे. इस मौके पर देव रिवायत से परिक्रमा का आगाज किया गया.
देवता के मंदिर से निकाली पहली मशाल: पुजारियों ने पहले देवी-देवताओं के भंडार यानी मंदिर से जलती मशालें निकालीं. इसके बाद बाहर देव स्थल में देवी-देवताओं की मशालों के दर्शन हरियानों, भक्तों को कराए गए. भक्त देवता रूपी मशाल के दर्शन के लिए बर्फबारी में बैठे इंतजार कर रहे थे. इसके बाद देवी-देवताओं के नाम से निकली मशालों से सभी भक्तों ने मशालें जलाई और उसके बाद परिक्रमा का दौर शुरू हुआ.
परिक्रमा के बाद जलाया गया जागरा: श्रद्धालु मशालें लेकर धारला मंदिर तक पैदल नंगे पांव चले. यहां बड़ा जागरा (सभी मसालों को एक साथ जलाया) निकाला गया. सभी मशालों को एक साथ जलाते हुए क्षेत्रवासियों ने इस दौरान दुख बीमारी को दूर नदी पार रहने और सुख शांति, अनाज, साल, अच्छी फसल होने की दुआ मांगी.
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