कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू की धार्मिक नगरी मणिकर्ण का ब्रेऊना गांव अब भूस्खलन के कारण खतरे की जद में आ गया है. गांव में भूस्खलन से बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं और गांव के छह मकान, मंदिर व स्कूल पूरी तरह झुक गए हैं. गांव की स्थिति अब गिरा की तब गिरा की हो गई है और लोगों ने मकान खाली कर रिश्तेदारों के घर शरण ले ली है. गांव के प्रभावितों रमेश कुमार, हरी चंद, दिलीप सिंह ने बताया कि गांव एक दो दिनों में गिरने की कगार पर हैं और ग्रामीणों में भय का माहौल है.
ग्रामीणों ने बताया कि ब्रेऊना गांव के नीचे भूस्खलन हुआ है और इसकी दरारें गांव में पड़ गई हैं. जिस कारण छह घर धंस चुके हैं और स्कूल व मंदिर भी धंस गए हैं. जैसे ही यह घर गिरते हैं तो गांव के बाकी घरों के धंसने की आशंका बन गई है. ऐसे में वह अन्य गांव के लोगों के साथ मणिकर्ण पहुंचे और उन्होंने वहां से जिला प्रशासन व सरकार को फोन से अवगत करवाया है और सहायता की अपील की है. वहीं, ग्रामीणों ने कुल्लू प्रशासन से मांग की है कि जल्द उनके रहने की व्यवस्था की जाए और भूस्खलन से बाकी घरों को बचाने की भी कोई व्यवस्था की जाए.
वहीं, उपमंडल बंजार के तीर्थन घाटी के बंदल गांव में भी 10 मकान भूस्खलन के कारण खतरे में आ गए हैं. तो इसके अलावा कई घरों को भी खतरा पैदा हो गया है. बंजार प्रशासन के द्वारा भी बंदल गांव का दौरा किया गया और भूस्खलन से प्रभावित परिवारों को राहत प्रदान की गई है. इसके अलावा गड़सा घाटी के खोड़ा आगे में भी 30 परिवार अपने घरों को छोड़कर खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि वहां पर भी पहाड़ी में भूस्खलन के कारण दरार आ गई हैं और मलबे के कारण इन घरों को नुकसान हो सकता है.
डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग का कहना है कि जिला कुल्लू में राहत कार्य में तेजी लाई गई है. भूस्खलन से जो भी परिवार प्रभावित हुए हैं उन्हें राहत राशि व अन्य सामग्री दी गई है. इसके अलावा बंद सड़कों को खोलने का भी काम किया जा रहा है. जो भी परिवार भूस्खलन से प्रभावित हो रहे हैं. उनके रहने की भी प्रशासन के द्वारा व्यवस्था की जा रही है.
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