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कुल्लू में लोक नाट्य महोत्सव का रंगारंग आगाज, छात्रों ने बढ़चढ़ कर लिया भाग - District Public Relations Officer Prem Singh Thakur

21 जुलाई से 30 जुलाई तक चले इस 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थानीय स्कूल और कॉलेज के लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया.

कुल्लू में लोक नाट्य महोत्सव का रंगारंग आगाज
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Published : Jul 31, 2019, 6:11 PM IST

कुल्लू: बच्चों को अपनी लोक संस्कृति से परिचित करवाने के उद्देश्य से भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू ने लाल चन्द प्रार्थी कला केन्द्र में बहस नाट्य कला संगम के सहयोग से अभिरूचि कक्षाओं का आयोजन किया. जिला लोक संपर्क अधिकारी प्रेम सिंह ठाकुर ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की.

कुल्लू में लोक नाट्य महोत्सव का रंगारंग आगाज

21 जुलाई से 30 जुलाई तक चले इस 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थानीय स्कूल और कॉलेज के लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया. प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भौउंरू कुल्लू की बहुत ही प्राचीन लोक गायन विधा है, जो पुराने समय में प्रेम-प्यार सहित अनेक प्रकार के संदेश के वाहक माने जाते हैं.

उन्होंने कहा कि गायन के बोल और संदेश बिल्कुल स्पष्ट हैं और इसे एक निराली तरज में प्रस्तुत किया जाता है. उन्होंने कहा कि हॉरन में पर्यावरण, आपसी भाईचारे और देवी-देवताओं के आह्वान का अनूठा संगम देखने को मिलता है.

समापन समारोह के अवसर पर बच्चों ने लोक नाट्य हॉरन व लोकगीत भौउंरू की प्रस्तुतियां दी और साथ ही गत 10 दिनों में बच्चों द्वारा अनुपयोगी सामान द्वारा तैयार की गई सजावटी वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई.

जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने कहा कि भौउंरू तथा हॉरन के पुराने कलाकारों को आमंत्रित करके नई पीढ़ी को इन लोक गीतों व नाटक का बेहतरीन प्रशिक्षण प्रदान किया गया है.

ये भी पढ़े: HRTC प्रबंधन के खिलाफ माकपा ने खोला मोर्चा, सरकार से की ये मांग

कुल्लू: बच्चों को अपनी लोक संस्कृति से परिचित करवाने के उद्देश्य से भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू ने लाल चन्द प्रार्थी कला केन्द्र में बहस नाट्य कला संगम के सहयोग से अभिरूचि कक्षाओं का आयोजन किया. जिला लोक संपर्क अधिकारी प्रेम सिंह ठाकुर ने कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की.

कुल्लू में लोक नाट्य महोत्सव का रंगारंग आगाज

21 जुलाई से 30 जुलाई तक चले इस 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थानीय स्कूल और कॉलेज के लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया. प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भौउंरू कुल्लू की बहुत ही प्राचीन लोक गायन विधा है, जो पुराने समय में प्रेम-प्यार सहित अनेक प्रकार के संदेश के वाहक माने जाते हैं.

उन्होंने कहा कि गायन के बोल और संदेश बिल्कुल स्पष्ट हैं और इसे एक निराली तरज में प्रस्तुत किया जाता है. उन्होंने कहा कि हॉरन में पर्यावरण, आपसी भाईचारे और देवी-देवताओं के आह्वान का अनूठा संगम देखने को मिलता है.

समापन समारोह के अवसर पर बच्चों ने लोक नाट्य हॉरन व लोकगीत भौउंरू की प्रस्तुतियां दी और साथ ही गत 10 दिनों में बच्चों द्वारा अनुपयोगी सामान द्वारा तैयार की गई सजावटी वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई.

जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने कहा कि भौउंरू तथा हॉरन के पुराने कलाकारों को आमंत्रित करके नई पीढ़ी को इन लोक गीतों व नाटक का बेहतरीन प्रशिक्षण प्रदान किया गया है.

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Intro:कुल्लू
कुल्लूत संस्कृति के अभिन्न अंग हैं लोकगीत भौउंरू तथा लोक नाट्य हाॅरन Body:
ग्रीष्मकालीन छुट्टियों का सदुपयोग करने तथा बच्चों को अपनी लोक संस्कृति से परिचित करवाने के उद्देश्य से भाषा एवं संस्कृति विभाग कुल्लू ने लाल चन्द प्रार्थी कला केन्द्र में बहस नाट्य कला संगम के सहयोग से अभिरूचि कक्षाओं का आयोजन किया। 21 जुलाई से 30 जुलाई तक चले इस 10 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में स्थानीय स्कूल तथा काॅलेज के लगभग 40 बच्चों ने भाग लिया। अभिरूचि कक्षाओं के दौरान सुप्रसिद्ध लोक गायिका सरला चम्बयाल ने लोकगीत भौउंरू, ईश्वरी शर्मा व शेरसिंह राणा नें लुप्त प्राय हाॅरन लोक नाट्य की बारीकियों का बच्चों को प्रशिक्षण प्रदान किया।
बहस नाटय कला मंच की ज्योति ने अनुपयोगी सामान से सजावटी वस्तुएं तैयार करने का प्रशिक्षण दिया ।
देव सदन में आयोजित समापन समारोह में जिला लोक संपर्क अधिकारी प्रेम सिंह ठाकुर ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भौउंरू कुल्लू की बहुत ही प्राचीन लोक गायन विधा है जो पुराने समय में प्रेम-प्यार सहित अनेक प्रकार के संदेश के वाहक माने जाते हैं। आज भी इस गायन से लोग भाव-विभोर हो जाते हैं। गायन के बोल और संदेश बिल्कुल स्पष्ट हैं और इसे एक निराली तरज में प्रस्तुत किया जाता है। इसी प्रकार, हाॅरन लोक नाट्य जो निचले क्षेत्रों में करियाला के समरूप है, घाटी में लगभग लुप्त हो रहा है और इसका संरक्षण किया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हाॅरन में पर्यावरण, आपसी भाईचारे और देवी-देवताओं के आह्वान का अनूठा संगम देखने को मिलता है। भावी पीढ़ियों को इस प्रकार की सजीव संस्कृति से अवगत करवाया जाना चाहिए।
समापन समारोह के अवसर पर बच्चों द्वारा लोक नाट्य हाॅरन व लोकगीत भौउंरू की प्रस्तुतियां दी तथा साथ ही गत 10 दिनों में बच्चों द्वारा अनुपयोगी सामान द्वारा तैयार की गई सजावटी वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई।
Conclusion:जिला भाषा अधिकारी सुनीला ठाकुर ने स्वागत किया तथा 10 दिनों तक चलने वाले अभिरूचि व प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भौउंरू तथा हाॅरन के पुराने कलाकारों को आमंत्रित करके नई पीढ़ी को इन लोक गीतों व नाटक का बेहतरीन प्रशिक्षण प्रदान किया गया और अब ये नवोदित कलाकार किसी भी मंच पर लुप्त प्राय इन लोक नाटयों का अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम हैं
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