कुल्लू: विश्व के सबसे बड़े देवमहाकुंभ एवं अनूठी परंपराओं का संगम कुल्लू दशहरा पर्व में शनिवार को लंका दहन की जाएगी. लिहाजा, सात दिनों तक चलने वाले इस महाकुंभ में देवी-देवताओं के साथ रघुनाथ जी लंका पर चढ़ाई करके रावण का अंत करेंगें. इस लंका चढ़ाई में होने वाली रथ यात्रा में यहां पहुंचे सभी देवी-देवता भाग लेगें. लंका दहन के साथ ही अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का समापन होगा.
देवी-देवताओं के महा समागम दशहरा उत्सव में शनिवार को खड़की जाच के बाद देवी-देवताओं के अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा ढालपुर मैदान से लंका बेकर तक जाएगी. गोबर के बने रावण मेघनाथ व कुंभकर्ण को तीर से भेदने के बाद लंका में आग लगाई जाएगी. लंका दहन से पहले पंरपरा के अनुसार सुबह के समय बलि पूजन होगा.
राजमहल के सूत्रों के अनुसार दिन के समय कुल्लू के राजा सुख पाल में बैठकर ढालपुर के कलाकेंद्र मैदान में जाएगें और महाराजा के जमलू, पुंडीर, रैलू देवता नारायण व वीर देवता की दराग और रघुनाथ जी की छड़ व नरसिंह भगवान की घोड़ी भी राजा के साथ कला केंद्र मैदान जाएगी, जहां खड़की जाच का आयोजन होगा, लेकिन इस बार देवता पुंडीर को नहीं बुलाया गया है और यह जाच फीकी रहेगी.
इस जाच में राजा को आवाज लगाई जाएगी कि महाराज लंका दहन के लिए तैयार हो जाओ. इस खड़की जाच के बाद यह शोभा यात्रा भगवान रघुनाथ के कैंप पहुंचेगी, जहां मौजूद देवताओं के समक्ष भगवान रघुनाथ को रथ में बिठाया जाएगा. इस समय राजा तीर बाण अपनी कमर में बांध कर ले जाएगा. लंका बेकर में कोठी सारी के लोगों द्वारा झाड़ियों की लंका सजाई होती है, जहां गोबर से बने रावण परिवार को भेदा जाएगा और उसके बाद लंका जलाई जाएगी.
सांयकाल को सभी देवी-देवता भगवान रघुनाथ के सामने हाजरी देने के बाद अपने-अपने स्थान पर वापस लौट जाएंगे, जबकि भगवान रघुनाथ के मंदिर में सांयकाल राम रास होगा. इसमें अठारह करडू की धड़च्छ, देवी हिडिंबा, त्रिपुरी सुंदरी देवता भी भाग लेंगे.