कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में बड़े स्तर पर सेब का कारोबार होता है. खास कर प्रदेश के ऊंचाई वाले अधिकांश इलाके में लोग सेब कारोबार पर निर्भर रहते हैं. मगर सेब बागवानों को कई समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. कई बार सेब की फसल खराब हो जाना तो कई बार सेब का सही मूल्य न मिल पाना. इसके अलावा सरकार की नीतियां भी सेब बागवानों को प्रभावित करती हैं. सेब बागवानों की इन समस्याओं पर चर्चा करने के लिए रामपुर में सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.
हिमाचल प्रदेश में 5000 करोड़ से ज्यादा सेब का कारोबार होता है, लेकिन केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते इसका फायदा बड़ी-बड़ी कंपनियों को ही हो रहा है. ऐसे में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश के बागवानों के साथ बड़ी कंपनियों की लूट लगातार बढ़ रही है और सेब उत्पादक संघ बागवानों की समस्याओं को मांगों को लेकर जल्द प्रदेश में आंदोलन करेगा. - डॉक्टर ओंकार शाद, प्रदेश महासचिव, सेब उत्पादक संघ
1.5 लाख से ज्यादा परिवार सेब बागवानी पर निर्भर: जिला कुल्लू के मुख्यालय सरवरी के अशोक भवन में कुल्लू सेब उत्पादक संघ की बैठक आयोजित की गई. जिसमें सेब बागवानों को पेश आ रही समस्याओं पर चर्चा की गई. डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि केंद्र व प्रदेश सरकार की बागवान विरोधी नीतियों के चलते मौजूदा समय में सेब बागवानों की आर्थिकी खतरे में पड़ गई है. इसके अलावा बागवानों को मिलने वाली सब्सिडी भी बंद हो गई है. जिससे बागवानों की समस्या और ज्यादा बढ़ गई है. प्रदेश में 1 लाख 75,000 परिवार बागवानी से अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
25 दिसंबर को रामपुर में सम्मेलन: डॉक्टर ओंकार शाद ने कहा कि सेब बागवानी से हर साल हजारों लोगों को रोजगार मिलता है, लेकिन केंद्र सरकार रिलायंस, अदानी जैसी बड़ी कंपनियों को ही फायदा पहुंचा रही है. ऐसे में अब 25 दिसंबर को रामपुर में राज्य स्तर का सम्मेलन आयोजित किया जाएगा. जिसमें आगामी रणनीति को तैयार किया जाएगा. डॉ. ओंकार शाद ने कहा कि इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा जो खाद और कीटनाशक पर सब्सिडी खत्म की गई है, उसे भी शुरू करने की मांग रखी जाएगी. वहीं, जिला स्तर पर सीए स्टोर निर्माण करने, मंडियों में बागवानों की लूट रोकने को लेकर भी सेब उत्पादक संघ के द्वारा आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि आने वाले समय में जिला कुल्लू में सेब उत्पादक संघ द्वारा 5000 सदस्य जोड़े जाएंगे.
ये भी पढ़ें: हिमाचल के कुल्लू में बढ़ी विदेशी सेब की प्रजातियों की मांग, इस साल 1 लाख 78 हजार पौधों की डिमांड