कुल्लू: देशभर में जहां 19 सितंबर को धूमधाम से गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी. वहीं, 18 सितंबर को कलंक चतुर्थी भी आ रही है. पौराणिक मान्यता के अनुसार 18 सितंबर की रात अगर कोई व्यक्ति गलती से चंद्रमा के दर्शन कर ले तो उसे झूठे लांछन का आरोप भी सहना पड़ता है. ऐसे में कलंक चतुर्थी की रात चंद्र देव के दर्शन न करने की सलाह दी जाती है. वहीं, कलंक चतुर्थी को पत्थर चौथ के नाम से भी जाना जाता है.
कलंक चतुर्थी का समय: जानकारी के अनुसार गणेश चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12:39 पर शुरू हो जाएगी. 18 सितंबर की शाम को ही कलंक चतुर्थी का समय भी शुरू हो जाएगा. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश के द्वारा चतुर्थी के दिन ही चंद्र देव को शाप दिया गया था. इसीलिए चंद्रमा के दर्शन को इस तिथि के दिन वर्जित माना गया है.
कलंक चतुर्थी की मान्यता: पौराणिक धार्मिक मान्यता के अनुसार एक बार भगवान गणेश आसन पर विराजमान होकर अपना मनपसंद भोग खा रहे थे. इस दौरान चंद्र देव भी वहां से गुजर रहे थे. भगवान गणेश को भोग खाता देख चंद्र देव हंसने लग लगे और भगवान गणेश के पेट और सूंड का भी मजाक उड़ाया. चंद्रदेव के इस बर्ताव को देखकर भगवान गणेश को गुस्सा आया और उन्होंने चंद्र देव को शाप देते हुए कहा कि तुम्हें अपने रूप का बहुत घमंड है, इसलिए मैं तुम्हें शाप देता हूं कि तुम अपना रूप खो दोगे. वहीं, तुम्हारी सारी कलाएं भी नष्ट हो जाएंगी. जो व्यक्ति तुम्हें देखेगा, उसे भी कलंकित होना पड़ेगा. जिस दिन यह घटना हुई उस दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी थी.
चंद्र देव के शाप का निवारण: धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश जी से शाप मिलने के बाद चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ. उन्होंने सभी देवी देवताओं के साथ मिलकर भगवान गणेश की पूजा अर्चना की और अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. तब भगवान गणेश ने प्रसन्न होकर देवी देवताओं को एक वरदान मांगने को कहा. इस दौरान सभी देवी देवताओं ने भगवान गणेश से प्रार्थना की वह अपना शाप वापस ले लें. ऐसे में भगवान गणेश ने कहा कि वह अपना शाप तो वापस नहीं ले सकते हैं, लेकिन इसे सीमित कर सकते हैं. भगवान गणेश ने चंद्र देव का शाप कम करते हुए कहा कि महीने के 15 दिन चंद्र देव की कलाएं बढ़ेगी और 15 दिन क्षीण रहेंगी. कलंकित होने के कारण केवल चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन करना वर्जित होगा.
शाप से मुक्ति के उपाय: आचार्य पुष्पराज ने बताया कि मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति भूल से भी इस रात चंद्रमा के दर्शन करले तो उसे भी शाप लग जाता है. इस शाप से मुक्ति पाने के लिए उसे पांच पत्थर किसी अन्य व्यक्ति की छत पर फेंकने पड़ते हैं, ताकि उसे कोई दोष न लगे. तभी से इस तिथि को कलंक चतुर्थी या पत्थर चौथ भी कहा जाने लगा. इसके अलावा आचार्य पुष्पराज ने बताया कि कंलकित व्यक्ति को कपूर की कालिख को अपने मुंह पर लगा कर बैठना होता है. जिससे लोग उसे ऐसे देखकर उस पर हंसे और उसे कलंक से मुक्ति मिलेगी.
श्री कृष्ण पर भी लगा था कलंक: आचार्य पुष्पराज का कहना है कि भगवान कृष्ण भी इसी वजह से कलंकित हुए थे. भगवान श्री कृष्ण पर भी सय्य मन्तक नाम की बहुमूल्य मणि की चोरी का आरोप लगा था, क्योंकि उन्होंने भी कलंक चतुर्थी के दिन चंद्र देव के दर्शन किए थे. वहीं, ज्योतिष के अनुसार यदि चंद्रमा और बुद्ध की भी युति हो तो ऐसे व्यक्ति पर भी कलंक लगता है. घर की छत पर पत्थर फेंकने के चलते ही से पत्थर चौथ भी कहा जाता है. कलंक से मुक्ति पाने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन व्रत के विधान का भी कहा गया है.
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(उपरोक्त दी गई सभी जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. ईटीवी भारत उपरोक्त दी गई किसी भी जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.)