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PhD के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल यूके जाएंगी मनाली की जया, मात्र 22 साल है उम्र - मनाली हिंदी न्यूज

पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते गांव जगतसुख की रहने वाली जया सागर रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल यूके जाएगी. दुनिया की 400 से अधिक आवेदनकर्ताओं में शामिल मनाली की जया सागर एशिया की एकमात्र छात्रा है जिसने दुनिया के टॉप 10 अभ्यर्थियों में जगह बनाई है.

Jaya Sagar of Manali will go to University of Bristol UK to study Phd
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Published : Sep 7, 2020, 5:42 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 7:49 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू की उझी घाटी के जगतसुख गांव की रहने वाली जया सागर मात्र 22 साल की उम्र में ही अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने जा रही है और पूरे एशिया से मात्र भारत की एकमात्र जया सागर का चयन इसके लिए किया गया है.

पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते गांव जगतसुख की रहने वाली जया सागर रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल यूके जाएगी. दुनिया की 400 से अधिक आवेदन कर्ताओं में शामिल मनाली की जय सागर एशिया की एकमात्र छात्रा है जिसने दुनिया के टॉप 10 अभ्यर्थियों में जगह बनाई है.

वीडियो.

4 साल के इस प्रोग्राम के लिए सभी खर्च जुतशी सिमथ स्कॉलरशिप द्वारा उठाया जाएगा जिसकी राष्ट्रीय अढ़ाई करोड़ से अधिक रहेगी. जयासागर एनआईटी हमीरपुर से इसी साल इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियर बनी है, लेकिन इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर ली थी.

अब क्वांटम कंप्यूटिंग में पीएचडी करने जा रही हैं. हाल ही में म्युनिक जर्मनी में हुई क्वांटम टेक्नोलॉजी की वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग में भी जया सागर ने भारत को गौरवान्वित किया था. जय सागर ने बताया कि पीएचडी के इस प्रोग्राम के लिए पूरी दुनिया में से सिर्फ 10 छात्रों का चयन हुआ है जिसमें एशिया से सिर्फ उनका ही चयन हुआ है.

इस छात्रवृत्ति में आने-जाने का खर्च रिसर्च ग्रांट और बाकी खर्च जुतशी सिमथ स्कॉलरशिप की ओर से उठाया जाएगा और 8 सितंबर को यूके के लिए रवाना हो रही है. जया ने बताया कि पिछले साल जेकेयू लिंज यूनिवर्सिटी से रिसर्च इंटर्नशिप की थी जिसका सारा खर्च परमार्था फाउंडेशन द्वारा उठाया गया.

इंटर्नशिप के दौरान जया के रिसर्च के प्रति रुझान और लग्न देख उनके प्रोफेसर डॉक्टर एलेग्जेंडर पालर ने इस कोर्स के लिए उन्हें प्रेरित किया. इस दौरान उनके शोध कार्यों को देखकर प्रोफेसर काफी हैरान हुए. छात्रों के शोध कार्यों और उसके बाद हुए इंटरव्यू के आधार पर ही जया का चयन किया गया.

गौर रहे कि मनाली पब्लिक स्कूल की ओर से दसवीं में राष्ट्रीय स्तर पर चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस में जया ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया था. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मनाली की ओर से साल 2013 में बेंगलुरु में हुए राष्ट्र स्तरीय विज्ञान मेले में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया था.

इसी स्कूल की ओर से साल 2014 में अमेरिका में हुए इंटेल इंटरनेशनल साइंस फेयर में जया ने 80 देशों के बाल वैज्ञानिकों के बीच भारत को दो पुरस्कार दिलाए. जल विद्युत और सेब की खेती को बेहतर करने के क्षेत्र में जया के कार्य को हिमाचल की सबसे छोटी कॉपीराइट प्राप्त करने वाली छात्रा भी बनाया.

वहीं, जया सागर का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में आज भी लड़कियों के लिए बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही है, लेकिन आधुनिकता के दौर में इंटरनेट लड़कियों के लिए पढ़ाई का सशक्त माध्यम बना है. ऐसे में लड़कियां अपने उन्नति के लिए इंटरनेट का अधिक प्रयोग करें और उसमें दी गई जानकारियों का लाभ लेकर वे जीवन में तरक्की करने में सक्षम हो सकती है.

कुल्लू: जिला कुल्लू की उझी घाटी के जगतसुख गांव की रहने वाली जया सागर मात्र 22 साल की उम्र में ही अमेरिका की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पीएचडी करने जा रही है और पूरे एशिया से मात्र भारत की एकमात्र जया सागर का चयन इसके लिए किया गया है.

पर्यटन नगरी मनाली के साथ लगते गांव जगतसुख की रहने वाली जया सागर रिसर्च के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल यूके जाएगी. दुनिया की 400 से अधिक आवेदन कर्ताओं में शामिल मनाली की जय सागर एशिया की एकमात्र छात्रा है जिसने दुनिया के टॉप 10 अभ्यर्थियों में जगह बनाई है.

वीडियो.

4 साल के इस प्रोग्राम के लिए सभी खर्च जुतशी सिमथ स्कॉलरशिप द्वारा उठाया जाएगा जिसकी राष्ट्रीय अढ़ाई करोड़ से अधिक रहेगी. जयासागर एनआईटी हमीरपुर से इसी साल इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन इंजीनियर बनी है, लेकिन इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी कर ली थी.

अब क्वांटम कंप्यूटिंग में पीएचडी करने जा रही हैं. हाल ही में म्युनिक जर्मनी में हुई क्वांटम टेक्नोलॉजी की वर्चुअल कॉन्फ्रेंसिंग में भी जया सागर ने भारत को गौरवान्वित किया था. जय सागर ने बताया कि पीएचडी के इस प्रोग्राम के लिए पूरी दुनिया में से सिर्फ 10 छात्रों का चयन हुआ है जिसमें एशिया से सिर्फ उनका ही चयन हुआ है.

इस छात्रवृत्ति में आने-जाने का खर्च रिसर्च ग्रांट और बाकी खर्च जुतशी सिमथ स्कॉलरशिप की ओर से उठाया जाएगा और 8 सितंबर को यूके के लिए रवाना हो रही है. जया ने बताया कि पिछले साल जेकेयू लिंज यूनिवर्सिटी से रिसर्च इंटर्नशिप की थी जिसका सारा खर्च परमार्था फाउंडेशन द्वारा उठाया गया.

इंटर्नशिप के दौरान जया के रिसर्च के प्रति रुझान और लग्न देख उनके प्रोफेसर डॉक्टर एलेग्जेंडर पालर ने इस कोर्स के लिए उन्हें प्रेरित किया. इस दौरान उनके शोध कार्यों को देखकर प्रोफेसर काफी हैरान हुए. छात्रों के शोध कार्यों और उसके बाद हुए इंटरव्यू के आधार पर ही जया का चयन किया गया.

गौर रहे कि मनाली पब्लिक स्कूल की ओर से दसवीं में राष्ट्रीय स्तर पर चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस में जया ने हिमाचल का प्रतिनिधित्व किया था. राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला मनाली की ओर से साल 2013 में बेंगलुरु में हुए राष्ट्र स्तरीय विज्ञान मेले में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल किया था.

इसी स्कूल की ओर से साल 2014 में अमेरिका में हुए इंटेल इंटरनेशनल साइंस फेयर में जया ने 80 देशों के बाल वैज्ञानिकों के बीच भारत को दो पुरस्कार दिलाए. जल विद्युत और सेब की खेती को बेहतर करने के क्षेत्र में जया के कार्य को हिमाचल की सबसे छोटी कॉपीराइट प्राप्त करने वाली छात्रा भी बनाया.

वहीं, जया सागर का कहना है कि ग्रामीण परिवेश में आज भी लड़कियों के लिए बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही है, लेकिन आधुनिकता के दौर में इंटरनेट लड़कियों के लिए पढ़ाई का सशक्त माध्यम बना है. ऐसे में लड़कियां अपने उन्नति के लिए इंटरनेट का अधिक प्रयोग करें और उसमें दी गई जानकारियों का लाभ लेकर वे जीवन में तरक्की करने में सक्षम हो सकती है.

Last Updated : Sep 27, 2020, 7:49 PM IST
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