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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा: ढालपुर में दूर से ही लोगों ने किए भगवान रघुनाथ के दर्शन

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Published : Oct 26, 2020, 9:31 AM IST

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में हर वर्ष रथयात्रा को देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता था और रथ की डोर को स्पर्श करने के लिए भीड़ लगी रहती थी लेकिन इस साल पहली बार ऐसा हुआ है जब दशहरा में लोग अपने अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ को दूर से ही निहारते रहे.

Kullu Dussehra
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा

कुल्लू: कोरोना संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा शुरी हो गया है. यह पहला ऐसा मौका है जब अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में लोग अपने अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ को दूर से ही निहारते रहे. रथयात्रा निकलने का पता चलते ही लोग घर की छतों से आ गए और रथयात्रा को निकलता देख कई इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आसूं निकल आए.

कुल्लू दशहरा में हर वर्ष रथयात्रा को देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता था और रथ की डोर को स्पर्श करने के लिए भीड़ लगी रहती थी. इस बार मात्र 200 लोगों को रथ खींचने की अनुमति दी गई थी. इसमें भी कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही इन लोगों को रथ की डोर खींचने दिया गया. भगवान रघुनाथ के दर्शन को व्याकुल लोगों के कदम को पुलिस ने कई मीटर दूर पर रोक लगा दी. ऐसे में रथयात्रा के भव्य नजारे को देखने से कई लोग वंचित हुए तो कई छुपते-छिपाते रथ मैदान के साथ दाएं-बाएं झांककर किसी तरह देव दर्शन कर आए.

भगवान रघुनाथ की रथयात्रा
भगवान रघुनाथ की रथयात्रा.

कुल्लू के बुजुर्ग सोमदेव ने बताया कि वह दशहरा उत्सव में हर साल आते हैं लेकिन पहली बार ऐसा देखा कि हमें भगवान रघुनाथ के पास से जाने के लिए रोका गया. देवताओं ने भी गूरों के माध्यम से उनकी बात को दोहराया है. हर वर्ष यहां पर सैकड़ों देवी-देवता आते थे. कोई आगे, कोई पीछे, किसी देवता का रथ दाईं ओर से तो सोने-चांदी के छत्रों व मुख से सुस्सजित कोई देव रथ अन्य कोनों से निकलकर सीधा कुल्लू घाटी के अधिष्ठाता देव रघुनाथ जी से मिलने को आता था लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

दूरदराज आनी निरमंड से एक भी देवी-देवता नहीं आया. हालांकि प्रशासन की ओर से यूट्यूब व फेसबुक पर रथ यात्रा को लाइव भी दिखाया गया. कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए दशहरा उत्सव को अति सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा है.

देवता संग आए देवलुओं को रथ मैदान में आने से रोका

दोपहर बाद एक-एक करके देवी देवता रथ मैदान में अपने पूरे भक्तों के साथ पहुंचने लगे. देवता आदि ब्रह्मा के साथ कई देवलु थे. जैसे-जैसे देवता रथ मैदान के द्वार पर पहुंचे तो इसमें 15 से 20 लोगों को अंदर आने की अनुमति दी गई. देवता के साथ आए अन्य लोगों को वहां से वापस भेज दिया.

पांच जगहों पर पुलिस का कड़ा पहरा

धारा-144 का पालन करवाने के लिए कुल्लू में 635 पुलिस व होमगार्ड मौजूद रहे. सुबह 10 बजे से ही पांच जगहों बजौरा, गैमनपुल, वैली ब्रिज लेफ्ट बैंक, टिक्कर बाउडी, सैनिक चौक पर हर आने जाने वालों से कड़ी पूछताछ की गई. ढालपुर चौक, शीशामाटी चौक और उपायुक्त कार्यालय के सामने लोगों को रथ मैदान में आने से रोका गया. पुलिस कई जगहों पर लोगों के साथ सख्ती से पेश आती दिखाई दी.

ये भी पढ़ें: कुल्लू दशहरा: ढालपुर में निकली भगवान रघुनाथ की रथयात्रा, 8 देवी देवताओं ने लिया भाग

कुल्लू: कोरोना संकट के बीच अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा शुरी हो गया है. यह पहला ऐसा मौका है जब अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में लोग अपने अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ को दूर से ही निहारते रहे. रथयात्रा निकलने का पता चलते ही लोग घर की छतों से आ गए और रथयात्रा को निकलता देख कई इतने भावुक हो गए कि उनकी आंखों से आसूं निकल आए.

कुल्लू दशहरा में हर वर्ष रथयात्रा को देखने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता था और रथ की डोर को स्पर्श करने के लिए भीड़ लगी रहती थी. इस बार मात्र 200 लोगों को रथ खींचने की अनुमति दी गई थी. इसमें भी कोविड-19 टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही इन लोगों को रथ की डोर खींचने दिया गया. भगवान रघुनाथ के दर्शन को व्याकुल लोगों के कदम को पुलिस ने कई मीटर दूर पर रोक लगा दी. ऐसे में रथयात्रा के भव्य नजारे को देखने से कई लोग वंचित हुए तो कई छुपते-छिपाते रथ मैदान के साथ दाएं-बाएं झांककर किसी तरह देव दर्शन कर आए.

भगवान रघुनाथ की रथयात्रा
भगवान रघुनाथ की रथयात्रा.

कुल्लू के बुजुर्ग सोमदेव ने बताया कि वह दशहरा उत्सव में हर साल आते हैं लेकिन पहली बार ऐसा देखा कि हमें भगवान रघुनाथ के पास से जाने के लिए रोका गया. देवताओं ने भी गूरों के माध्यम से उनकी बात को दोहराया है. हर वर्ष यहां पर सैकड़ों देवी-देवता आते थे. कोई आगे, कोई पीछे, किसी देवता का रथ दाईं ओर से तो सोने-चांदी के छत्रों व मुख से सुस्सजित कोई देव रथ अन्य कोनों से निकलकर सीधा कुल्लू घाटी के अधिष्ठाता देव रघुनाथ जी से मिलने को आता था लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ.

दूरदराज आनी निरमंड से एक भी देवी-देवता नहीं आया. हालांकि प्रशासन की ओर से यूट्यूब व फेसबुक पर रथ यात्रा को लाइव भी दिखाया गया. कोविड-19 के नियमों को ध्यान में रखते हुए दशहरा उत्सव को अति सूक्ष्म रूप से मनाया जा रहा है.

देवता संग आए देवलुओं को रथ मैदान में आने से रोका

दोपहर बाद एक-एक करके देवी देवता रथ मैदान में अपने पूरे भक्तों के साथ पहुंचने लगे. देवता आदि ब्रह्मा के साथ कई देवलु थे. जैसे-जैसे देवता रथ मैदान के द्वार पर पहुंचे तो इसमें 15 से 20 लोगों को अंदर आने की अनुमति दी गई. देवता के साथ आए अन्य लोगों को वहां से वापस भेज दिया.

पांच जगहों पर पुलिस का कड़ा पहरा

धारा-144 का पालन करवाने के लिए कुल्लू में 635 पुलिस व होमगार्ड मौजूद रहे. सुबह 10 बजे से ही पांच जगहों बजौरा, गैमनपुल, वैली ब्रिज लेफ्ट बैंक, टिक्कर बाउडी, सैनिक चौक पर हर आने जाने वालों से कड़ी पूछताछ की गई. ढालपुर चौक, शीशामाटी चौक और उपायुक्त कार्यालय के सामने लोगों को रथ मैदान में आने से रोका गया. पुलिस कई जगहों पर लोगों के साथ सख्ती से पेश आती दिखाई दी.

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