कुल्लू: कभी पर्यटकों से गुलजार रहने वाला हिमाचल प्रदेश, आज आपदा के बाद उजड़ा हुआ है. हिमाचल में जुलाई और अगस्त माह में आई प्राकृतिक आपदा से अब प्रदेश की परिस्थितियों बदल गई है. हिमाचल को जहां ₹8000 करोड़ से अधिक का नुकसान बारिश पर बाढ़ के चलते हुआ है. वहीं दर्जनों जानें भी प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ गई. आपदा ने प्रदेश में इतनी तबाही मचाई है कि आगामी 6 माह तक का पर्यटन कारोबार भी पटरी पर नहीं लौट पायेगा. ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार को कड़े प्रयास करने होंगे. बारिश के कारण सैंकड़ों सड़कें खराब हैं. जब तक सड़कों की हालत नहीं सुधरती, तब तक पर्यटन कारोबार भी प्रदेश में ठप रहेगा.
हिमाचल के पर्यटन स्थल सूने पड़ें: हिमाचल प्रदेश में पर्यटन कारोबार यहां की आर्थिकी का एक मुख्य हिस्सा है. शिमला, कुल्लू, धर्मशाला, चंबा और मंडी सहित किन्नौर के कई इलाके पर्यटन गतिविधियों के लिए जाने जाते हैं. हर साल यहां प्राकृतिक सुंदरता का मजा लेने के लिए करोड़ों सैलानी पहुंचते हैं, लेकिन खराब सड़कों के चलते अब इन सभी जगह पर पर्यटन कारोबार ठप हो गया है. जिससे लाखों लोगों के कारोबार पर भी बुरा असर पड़ा है. इन सभी जगहों पर पर्यटक नहीं होने के चलते पर्यटन स्थल सूने पड़ गए है. पर्यटन कारोबार से जो लोग जुड़े हुए थे. वह भी आजकल बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं. अब सभी लोग मौसम की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं कि कब मौसम के हालात सुधरते हैं और उसके बाद सड़कों को बहाल करने का काम किस तरह से सरकार के द्वारा किया जाता है.
होटल इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान: हिमाचल प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर 10,000 से अधिक होटल व होमस्टे रजिस्टर्ड है. सबसे अधिक होटल कुल्लू, शिमला व कांगड़ा जिला के धर्मशाला में रजिस्टर्ड है. ऐसे में इस होटल इंडस्ट्री से प्रदेश में 3 लाख लोगों को भी प्रत्यक्ष रूप से कारोबार मिलता है. जबकि 5 लाख ऐसे लोग हैं, जो अप्रत्यक्ष रूप से इस कारोबार से अपना घर बार चला रहे हैं. जुलाई माह में आई प्राकृतिक आपदा के बाद होटल इंडस्ट्री को सबसे अधिक नुकसान हुआ है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार हर साल पर्यटन कारोबार से 15000 करोड़ रुपए का कारोबार होता है. अब खराब सड़कों के चलते यह कारोबार इस साल 8000 करोड़ तक ही सीमित कर रह जाएगा.
हिमाचल में हर साल लाखों सैलानी आते हैं: हिमाचल प्रदेश की अगर बात करें तो 70 लाख की आबादी वाले इस प्रदेश में दो करोड़ के करीब सैलानी घूमने के लिए प्रदेश के विभिन्न इलाकों का रुख करते हैं. सरकारी आंकड़ों की अगर बात करें तो साल 2018 में 89 लाख पर्यटक हिमाचल प्रदेश घूमने आए थे, जिनमें 2 लाख विदेशी पर्यटक शामिल थे. साल 2019 की बात करें तो 90 लाख 50 हजार पर्यटक हिमाचल घूमने आए थे. जिनमें 2 लाख विदेशी पर्यटक शामिल थे. साल 2020 में 22 लाख पर्यटक हिमाचल घूमने आए थे, जिनमें 41803 पर्यटक विदेशी थे. साल 2021 की अगर बात करें तो 19 लाख 75 हजार पर्यटक हिमाचल घूमने आए थे.जिसमें 2843 पर्यटक विदेशी थे.
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इस साल घटेगी पर्यटकों की संख्या: पिछले साल 2022 की बात करें तो 86 लाख 40 हजार पर्यटक हिमाचल घूमने आए. जिसमें 7032 पर्यटक विदेशी शामिल रहे. ऐसे में साल 2023 की बात करें तो जनवरी माह में ही से लेकर जून माह तक सैलानियों की कुल संख्या एक करोड़ 6 हजार का आंकड़ा पार कर चुकी है. जिसमें 99 लाख 78 हजार 504 भारतीय और 28 हजार 239 विदेशी पर्यटक शामिल है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि इस साल यह आंकड़ा दो करोड़ को पार करेगा, लेकिन खराब मौसम ने अब इस संख्या पर संशय बना दिया है.
सड़कें खराब होने से पर्यटन कारोबार प्रभावित: होटल कारोबारी अनिल कांत शर्मा का कहना है कि किरतपुर मनाली फोरलेन से इस साल पर्यटकों को आने-जाने की सुविधा मिल रही है. ऐसे में हिमाचल आने वाले सैलानियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, लेकिन खराब मौसम के चलते इस सड़क मार्ग को काफी बुरा असर हुआ है. मंडी से लेकर मनाली तक करीब 100 किलोमीटर सड़क मार्ग पूरी तरह से खराब हुआ है. अगर जल्द ही प्रदेश सरकार द्वारा इस सड़क की मरम्मत नहीं की गई तो, जिला कुल्लू का पर्यटन कारोबार बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगा.
पर्यटन बंद होने से होटल कारोबारी चिंतिति: होटल कारोबारी नवनीत सूद का कहना है कि उनके होटल में दो दर्जन से अधिक लोगों को भी रोजगार मिल रहा है, लेकिन होटल कारोबार बारिश व बरसात के चलते बुरी तरह से प्रभावित हुआ है. ऐसे में उन्हें अपने सभी स्टाफ को छुट्टी पर भेजना पड़ा है और उनका होटल भी बंद चल रहा है. पर्यटक ना होने के चलते कमाई का कोई साधन नहीं है और बैंक का कर्ज भी उन्हें सता रहा है.
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युवाओं के सामने गहराया रोजगार का संकट: ट्रैवल एजेंसी के संचालक अभिनव वशिष्ट का कहना है कि होटल कारोबार के अलावा यहां पर सभी पर्यटन गतिविधियां भी प्रभावित हुई है. यहां पर पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, गाइड के माध्यम से भी हजारों युवा रोजगार कमा रहे थे. सड़कें पर्यटन के विकास का मुख्य कारण थी, लेकिन सड़कों के खराब होने के चलते अब न तो पर्यटक आ रहे हैं और न ही युवाओं को रोजगार मिल रहा है. इस दिशा में भी सरकार को विशेष ध्यान देना होगा.
इस बार आपदा से हुआ सबसे ज्यादा नुकसान: हिमालय नीति अभियान संस्था के राष्ट्रीय संयोजक गुमान सिंह का कहना है कि इससे पहले भी कई बार पहाड़ी इलाकों में बादल फटे हैं और नदियों में बाढ़ आई है, लेकिन इतना नुकसान पहले कभी नहीं हुआ है. आज अगर नुकसान का आंकड़ा बड़ा है तो इसके लिए जगह-जगह पर अवैध डंपिंग भी जिम्मेदार है. फोरलेन सड़क निर्माण व हाइड्रो प्रोजेक्ट का निर्माण कर रही कंपनियों के द्वारा जगह-जगह पर अवैध डंपिंग की गई और डंपिंग का मलबा विनाश का बड़ा कारण बना है. ऐसे में अब आगामी समय में भी सरकार को विशेष ध्यान रखना होगा. क्योंकि विकास को कभी रोका नहीं जा सकता है.
एनएचएआई व हाइड्रो प्रोजेक्ट पर कार्रवाई की मांग: गुमान सिंह ने कहा इसी मुद्दे को लेकर संस्था के द्वारा प्रधानमंत्री को भी पत्र भेजा गया है. बाढ़ के चलते जो लोग प्रभावित हुए हैं, उनकी मदद के लिए भी अब केंद्र सरकार को कहा गया है कि यह सब एनएचएआई व हाइड्रो प्रोजेक्ट की गलती है. इसलिए इन प्रोजेक्ट के माध्यम से ही प्रभावित परिवारों की मदद की जानी चाहिए. जिन लोगों के घर व जमीन नदी नालों के किनारे हैं. वह सरकार को अपने कब्जे में लेनी चाहिए और उसके बदले में लोगों को वन भूमि देनी चाहिए. ताकि आगामी समय में बाढ़ और बारिश के चलते लोगों की संपत्ति नष्ट ना हो सके. वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भी सरकार को ग्रामीण नियोजन विभाग का गठन किया जाना चाहिए.
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अवैज्ञानिक निर्माण से भी बढ़ा भूस्खलन का खतरा: पर्यावरणविद् किशन लाल का कहना है कि हिमाचल प्रदेश में जो भूस्खलन की घटनाएं हो रही है, उसके लिए आम आदमी द्वारा किया जा रहा अवैज्ञानिक निर्माण भी जिम्मेदार है. अवैज्ञानिक तरीके से पहाड़ों को काटा जा रहा है और इस बात का भी ख्याल नहीं रखा जा रहा है कि आने वाले दिनों में यह जमीन ढह सकती है. शिमला जिला में जो भूस्खलन के मामले सामने आए हैं. उसमें भी यही देखा जा रहा है कि लोगों ने ढांक पर गलत तरीके से घरों का निर्माण किया है. अब बारिश का पानी जमीन में घुस रहा है, जो भूस्खलन का बड़ा कारण बन रहा है. प्रदेश सरकार को ऐसे भवन निर्माण पर भी विशेष ध्यान देना होगा.
सोशल मीडिया में गलत प्रचार से पर्यटन पर असर: मणिकरण में ट्रैकिंग का कारोबार करने वाले डी आर सुमन का कहना है कि सोशल मीडिया में भी प्राकृतिक आपदा के बारे में गलत प्रचार किया जा रहा है. हालांकि यहां पर प्राकृतिक आपदा के चलते काफी नुकसान हुआ है, लेकिन जल्द ही स्थिति सुधर भी जाएगी. सरकार जहां सड़कों को बहाल करने का काम कर रही है. वहीं, इस तरह से सोशल मीडिया में प्राकृतिक आपदा का गलत प्रचार करने वालों पर भी कार्रवाई करें, क्योंकि इससे देश के कई राज्यों में गलत संदेश जाता है और यहां पर पर्यटक भी आने से कतराते हैं. उन्होंने बताया कई राज्यों के पर्यटकों ने यहां ट्रैकिंग के लिए बुकिंग की थी, लेकिन प्राकृतिक आपदा के बाद वह सब कैंसिल हो गए. जिससे उन्हें काफी नुकसान भी उठाना पड़ा है. इसका एक कारण सोशल मीडिया में गलत प्रचार भी है.
हिमाचल पर्यटन निगम के होटल हुए खाली: हिमाचल प्रदेश की अगर बात करें तो यहां पर भी हिमाचल पर्यटन निगम के द्वारा कई होटलों में 50% तक डिस्काउंट दिया जा रहा था. हिमाचल प्रदेश में पर्यटन निगम के 54 होटल हैं. जिसमें मंडी कुल्लू मनाली परिसर में 12 होटल, धरमशाला जवालाजी पालमपुर परिसर में 12, होटल चंबा डलहौजी परिसर के 9 होटल, शिमला कंपलेक्स के 6 होटल, चायल परिसर के दो होटल, परवाणु के 6 होटल, रामपुर परिसर के 7 शामिल है. जुलाई माह में आई बाढ़ के बाद यहां पर पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए डिस्काउंट 50% दिया जा रहा था, लेकिन फिर से मंडी से पंडोह तक सड़क खराब होने के चलते पर्यटक आने बंद हो गए हैं और पर्यटन निगम के होटल भी इन दोनों खाली चल रहे हैं.