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इतिहास में पहली बार कुल्लू मंडी और लाहौल स्पीति मंत्रिमंडल से बाहर, क्या कांग्रेस को भुगतना होगा इसका खामियाजा ?

हिमाचल प्रदेश में कैबिनेट गठन के साथ साथ विभागों का बंटवारा भी हो गया है. प्रदेश में सात मंत्री बन चुके हैं. वहीं, अभी भी तीन मंत्री बनना बाकी है. खैर अभी तक की लिस्ट में देखें तो प्रदेश के इतिहास में पहली दफा ऐसा हुआ है कि कुल्लू मंडी और लाहौल स्पीति मंत्रिमंडल से बाहर हैं. यानी कि इन तीनों जिलों से कोई भी मंत्री नहीं बना है. (himachal cabinet ministers)

himachal cabinet ministers 2023
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Published : Jan 14, 2023, 10:39 AM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार जिला कुल्लू, मंडी व लाहौल-स्पीति मंत्रिमंडल से बाहर हो गए हैं. मंडी को हर बार तीन से चार मंत्री व कुल्लू को एक मंत्री मिलता रहा है. अधिकतर समय तय कुल्लू, मंडी व लाहौल स्पीति तीन जिलों में पांच से छह मंत्री रहे हैं लेकिन सुक्खू सरकार में पहली बार सिफर लग गई है. प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि तीन जिलों को दरकिनार किया गया है. तीनों जिलों में कुल्लू सदर के विधायक सुंदर ठाकुर डिजर्व कर रहे थे और वे तीनों जिलों का नेतृत्व भी कर सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. (himachal cabinet ministers)

माना जा रहा था कि कुल्लू- लाहौल से सुंदर ठाकुर व मंडी से चंद्रशेखर मंत्री होंगें. क्योंकि मंडी से सिर्फ एक ही उम्मीदवार चंद्रशेखर जीत कर आए हैं. वहीं, कुल्लू से सुंदर ठाकुर दूसरी बार जीते थे. आज से पहले चाहे भाजपा सरकार रही हो या कांग्रेस की सरकार कुल्लू व मंडी को मंत्री पद मिलते रहे हैं. वहीं, लाहौल को भी बीच बीच में मंत्री पद मिलते रहे हैं. 1998 में मंडी में तीन,कुल्लू में एक और लाहौल में एक मंत्री रहे हैं. इस तरह तीनों जिलों को 5 मंत्री मिलते रहे हैं और 2007 में भी इन तीन जिलों में 5 मंत्री थे. (No MLA included in Himachal cabinet from Mandi)

सवर्गीय लाल चंद प्रार्थी हिमाचल सरकार में पहले भाषा एवं संस्कृति मंत्री रहे हैं और वे कुल्लू जिले से भी पहले मंत्री थे. इसके बाद राजकृष्ण गौड कांग्रेस सरकार में दो बार मंत्री रहे और भाजपा सरकार में ठाकुर कुंज लाल भी मंत्री रहे. सत्य प्रकाश ठाकुर कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और एक बार सीपीएस व एक बार विपणन बोर्ड के अध्यक्ष रहे. वहीं, भाजपा सरकार में खीमी राम शर्मा डिप्टी स्पीकर व मंत्री रहे. कर्ण सिंह एक बार भाजपा में व दूसरी बार कांग्रेस में मंत्री रहे. गोविंद सिंह ठाकुर भी पिछली सरकार में मंत्री रहे. लेकिन इस बार कुल्लू जिला को मंत्री पद न देने से जनता में आक्रोश नजर आ रहा है. (No MLA included in Himachal cabinet from Kullu)

जयराम सरकार में तो कुल्लू व लाहौल को दो मंत्री पद मिले थे. कुल्लू जिले से गोविंद सिंह ठाकुर और लाहौल से रामलाल मारकंडा मंत्री बने थे. इस बार क्यास लगाए जा रहे थे कि कुल्लू जिला का मंत्री पद पक्का है और लाहौल को सीपीएस मिल सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ ऐसे में जनता में निराशा झलकती नजर आ रही है. चर्चा यह थी कि सुक्खू मंत्रिमंडल शिमला व कांगड़ा की लड़ाई में लटक रहा है और कुल्लू में तो किसी तरह का बाधा नहीं थी. बावजूद इसके कुल्लू को मंत्रिमंडल में जगह न मिलना जनता के लिए हैरतअंगेज है. (No MLA included in Himachal cabinet from Lahaul)

वहीं, कुल्लू जिला लाहौल-स्पीति का भी नेतृत्व करता है. यदि सुंदर ठाकुर को मंत्री पद मिलता तो तीनों जिलों को कुछ समय के लिए शांत किया जा सकता था. माना जा रहा था कि कुल्लू व लाहौल जिले के लिए सुंदर ठाकुर के रूप मंत्री पद मिलेगा और लाहौल को सीपीएस. लाहौल में भाजपा सरकार में राम लाल मारकंडा 2 बार मंत्री रहे. इससे पहले भी कुल्लू व लाहौल दोनों जिलों को सरकार में दो-दो मंत्री मिलते रहे हैं जबकि इस बार इन दोनों जिलों को दरकिनार करना कितना तर्कसंगत है. इसका परिणाम भविष्य के गर्व में छुपा है. इसी तरह मंडी जिला में दोनों सरकारों में तीन-तीन मंत्री रहे हैं.

ये भी पढ़ें: सुखविंदर सरकार ने रखा प्रियंका वाड्रा के वादे का मान, अब OPS पर नोटिफिकेशन का इंतजार

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार जिला कुल्लू, मंडी व लाहौल-स्पीति मंत्रिमंडल से बाहर हो गए हैं. मंडी को हर बार तीन से चार मंत्री व कुल्लू को एक मंत्री मिलता रहा है. अधिकतर समय तय कुल्लू, मंडी व लाहौल स्पीति तीन जिलों में पांच से छह मंत्री रहे हैं लेकिन सुक्खू सरकार में पहली बार सिफर लग गई है. प्रदेश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि तीन जिलों को दरकिनार किया गया है. तीनों जिलों में कुल्लू सदर के विधायक सुंदर ठाकुर डिजर्व कर रहे थे और वे तीनों जिलों का नेतृत्व भी कर सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. (himachal cabinet ministers)

माना जा रहा था कि कुल्लू- लाहौल से सुंदर ठाकुर व मंडी से चंद्रशेखर मंत्री होंगें. क्योंकि मंडी से सिर्फ एक ही उम्मीदवार चंद्रशेखर जीत कर आए हैं. वहीं, कुल्लू से सुंदर ठाकुर दूसरी बार जीते थे. आज से पहले चाहे भाजपा सरकार रही हो या कांग्रेस की सरकार कुल्लू व मंडी को मंत्री पद मिलते रहे हैं. वहीं, लाहौल को भी बीच बीच में मंत्री पद मिलते रहे हैं. 1998 में मंडी में तीन,कुल्लू में एक और लाहौल में एक मंत्री रहे हैं. इस तरह तीनों जिलों को 5 मंत्री मिलते रहे हैं और 2007 में भी इन तीन जिलों में 5 मंत्री थे. (No MLA included in Himachal cabinet from Mandi)

सवर्गीय लाल चंद प्रार्थी हिमाचल सरकार में पहले भाषा एवं संस्कृति मंत्री रहे हैं और वे कुल्लू जिले से भी पहले मंत्री थे. इसके बाद राजकृष्ण गौड कांग्रेस सरकार में दो बार मंत्री रहे और भाजपा सरकार में ठाकुर कुंज लाल भी मंत्री रहे. सत्य प्रकाश ठाकुर कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और एक बार सीपीएस व एक बार विपणन बोर्ड के अध्यक्ष रहे. वहीं, भाजपा सरकार में खीमी राम शर्मा डिप्टी स्पीकर व मंत्री रहे. कर्ण सिंह एक बार भाजपा में व दूसरी बार कांग्रेस में मंत्री रहे. गोविंद सिंह ठाकुर भी पिछली सरकार में मंत्री रहे. लेकिन इस बार कुल्लू जिला को मंत्री पद न देने से जनता में आक्रोश नजर आ रहा है. (No MLA included in Himachal cabinet from Kullu)

जयराम सरकार में तो कुल्लू व लाहौल को दो मंत्री पद मिले थे. कुल्लू जिले से गोविंद सिंह ठाकुर और लाहौल से रामलाल मारकंडा मंत्री बने थे. इस बार क्यास लगाए जा रहे थे कि कुल्लू जिला का मंत्री पद पक्का है और लाहौल को सीपीएस मिल सकता है. लेकिन ऐसा नहीं हुआ ऐसे में जनता में निराशा झलकती नजर आ रही है. चर्चा यह थी कि सुक्खू मंत्रिमंडल शिमला व कांगड़ा की लड़ाई में लटक रहा है और कुल्लू में तो किसी तरह का बाधा नहीं थी. बावजूद इसके कुल्लू को मंत्रिमंडल में जगह न मिलना जनता के लिए हैरतअंगेज है. (No MLA included in Himachal cabinet from Lahaul)

वहीं, कुल्लू जिला लाहौल-स्पीति का भी नेतृत्व करता है. यदि सुंदर ठाकुर को मंत्री पद मिलता तो तीनों जिलों को कुछ समय के लिए शांत किया जा सकता था. माना जा रहा था कि कुल्लू व लाहौल जिले के लिए सुंदर ठाकुर के रूप मंत्री पद मिलेगा और लाहौल को सीपीएस. लाहौल में भाजपा सरकार में राम लाल मारकंडा 2 बार मंत्री रहे. इससे पहले भी कुल्लू व लाहौल दोनों जिलों को सरकार में दो-दो मंत्री मिलते रहे हैं जबकि इस बार इन दोनों जिलों को दरकिनार करना कितना तर्कसंगत है. इसका परिणाम भविष्य के गर्व में छुपा है. इसी तरह मंडी जिला में दोनों सरकारों में तीन-तीन मंत्री रहे हैं.

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