कुल्लू: इस बार गंगा सप्तमी का त्योहार 27 अप्रैल यानी गुरुवार को मनाया जाएगा. सनातन धर्म में गंगा नदी को महान तीर्थ का दर्जा दिया गया है. गंगा मां के रूप में हिंदू धर्म में इसकी पूजा की जाती है. वहीं, शास्त्रों में मां गंगा को मोक्षदायिनी के नाम से भी पुकारा जाता है. हिंदू धर्म की मान्यता है कि मां गंगा की उपासना और गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति पापों से मुक्त हो जाता है और उसके जीवन में सुख -समृद्धि आती है.
सप्तमी का दिन सबसे उत्तम माना जाता: ऐसे में मां गंगा की उपासना के लिए सप्तमी का दिन सबसे उत्तम माना गया है, क्योंकि सप्तमी के दिन ही मां गंगा का धरती पर आगमन हुआ था. ऐसे में अब वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गंगा सप्तमी के नाम से मनाया जाएगा.
26 अप्रैल को 11 बजकर 27 मिनट पर होगी शुरू: आचार्य आशीष शर्मा का कहना है कि हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि का शुभारंभ 26 अप्रैल को सुबह 11:27 पर होगा और इसका समापन 27 अप्रैल को दोपहर 1:28 पर होगा. ऐसे में गंगा सप्तमी का पर्व 27 अप्रैल वीरवार के दिन मनाया जाएगा और शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 से दोपहर 1:28 तक रहेगा.
तीन शुभ योग बनेंगे: साल 2023 में गंगा सप्तमी के दिन तीन शुभ योगों का निर्माण हो रहा है. ऐसे में इस विशेष दिन पर गुरु पुष्य योग सुबह 7 बजे से अगले दिन सुबह 5:45 तक रहेगा. अमृत सिद्धि योग भी सुबह 7 बजे से अगले दिन सुबह 5:43 तक रहेगा. इसके अलावा सर्वार्थ सिद्धि योग भी पूरा दिन रहेगा और शुभ मुहूर्त में देवी- देवताओं की उपासना करने से भक्तों के सभी कष्ट भी दूर होंगे.
उपासना से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती: सनातन धर्म में गंगा सप्तमी पर्व का विशेष महत्व है और इस दिन गंगा की उपासना करने के लिए भक्त गंगा नदी के तट पर जाते हैं. गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति को समस्याओं से छुटकारा मिलता है और उसके जीवन में सुख -समृद्धि आती है. वहीं, गंगा सप्तमी के दिन की गई उपासना से साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है.
ये भी पढ़ें : केदारनाथ में पहली बार श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से बरसे फूल, बाबा के जयकारों से गूंजा धाम