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कुल्लू में 12 वन बीटों पर नजर रखेगा वन विभाग, आग को तुरंत काबू करेगी फायर वॉचर टीम

कुल्लू में जंगलों की आग पर तत्काल काबू पाने के लिए वन विभाग फायर वाचर टीम की तैनात कर रहा है. वन विभाग के 12 बीट महकमे की राडार पर रहेंगे. साथ ही अति संवेदनशील बीटों को जीपीएस से भी जोड़ा गया है, जिसके तहत मैसेज अलर्ट के माध्यम से भी जानकारी मिलेगी. (Himachal Forest Department)

kullu forest fire
कुल्लू जंगल आग
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Published : Nov 18, 2022, 5:04 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू में जंगल में लगने वाली आग पर वन विभाग नजर रखेगा और आग पर तुरंत काबू पाया जाएगा. इसके लिए वन विभाग के फायर वाचर टीम की तैनात कर रहा है. आग लगने पर पंचायतों का भी सहयोग लिया जाएगा, ताकि जंगल में लगने वाली आग के कारण करोड़ों रुपए के प्राकृतिक संपदा को जलने से बचाया जा सके. ऐसे में जिला कुल्लू के वन विभाग के 12 बीट महकमे के राडार पर रहेंगे. (fire watcher team) (Fire in forests of Kullu).

आग के कारण सबसे ज्यादा झुलसने वाले इन बीटों को वन विभाग ने अभी भी उच्च संवेदनशील बीटों की श्रेणी में रखा है. इन जंगलों में आग को रोकने के लिए वन महकमे सहित फायर कंट्रोल जवानों कार्य किया जाएगा, तो फायर सीजन के लिए मंडल स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना होगी. (Himachal Forest Department)

लिहाजा, इन जंगलों में आग लगते ही फायर कंट्रोल टीम यहां मोर्चा संभालेगी. जानकारी के अनुसार वन विभाग प्रदेश भर में आग के आगोश में स्वाह होते जंगलों की लिस्ट हर साल तैयार करता है और हर जंगल में लगने वाली आग की संवेदनशीलता को श्रेणीबद्ध किया जाता है.

कुल्लू वन वृत्त के तहत आने वाले कुल्लू, पार्वती, सराज व लाहुल वन मंडलों के 12 बीट उच्च संवेदनशील घोषित किए गए हैं. इनमें 11 बीट पार्वती और एक कुल्लू वन मंडल का है. मध्यम संवेदनशील श्रेणी में कुल्लू के 14, पार्वती वन मंडल के 15, सराज के 13 व लाहुल के दो बीट सहित 44 बीट शामिल हैं. कम संवेदनशीलता के तहत कुल्लू के 30, सराज के 14, पार्वती के 12 तथा लाहुल के 28 बीट संग 84 बीट शामिल हैं.

फायर सीजन के तहत की जाने वाले गतिविधियों के लिए वन विभाग अलर्ट होने लगा है. अति संवेदनशील बीटों को जीपीएस (Global Positioning System) से भी जोड़ा गया है, जिसके तहत मैसेज अलर्ट के माध्यम से भी जानकारी मिलेगी. वन निदेशालय से इस बार वनों की आग को रोकने के लिए जारी निर्देशों के बाद विभाग ने जिला स्तर से लेकर रेंज स्तर तक कंट्रोल रूम स्थापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

सभी बीटों के जवानों से लेकर पंचायतों तक इन कंट्रोल रूम के संपर्क नंबरों की सूची जारी की जा रही है. बताया जा रहा है कि हाई-सेंसेटिव बीटों पर विशेष नजर रखने को कहा गया है और इस लिस्ट से इन्हें बाहर निकालने के लिए भी योजना बनाने को कहा गया है. पार्वती वन मंडलाधिकारी ऐंजल चौहान के अनुसार आग से निपटने के लिए फायर वाचरों की तैनाती की जा रही है, जो वन रक्षकों के साथ मोर्चा संभालेंगे. इसके अलावा आग कंट्रोल करने के लिए जो टीम तैयार की गई है, उसे हर सुविधाओं से लैस किया गया है और इनके लिए महकमें ने विशेष वाहनों का भी इंतजाम किया है.

ये हैं उच्च संवेदनशील क्षेत्र: पार्वती वनमंडल के तहत आने वाले नरैश, भूईण, शियाह, दियार, नरोगी, गड़सा, छाकना, छिंछरा, कशावरी, मशगां, खोखण, डुग्गीलग शामिल किया है. इन जंगलों में यदि आग लगती है तो विभाग सबसे पहले इनकी एफआईआर दर्ज करेगी. घाटी के ऊंचे इलाकों के जंगलों को मध्यम व लो-सेंसेटिव जोन में रखा गया हैं, क्योंकि यहां आग लगने की संभावना कम रहती है.

ये भी पढ़ें: कांगड़ा: आर्जीमोन सीड मिले सरसाें के तेल के सेवन से एक व्यक्ति की मौत, DC ने उपयोग न करने की दी हिदायत

कुल्लू: जिला कुल्लू में जंगल में लगने वाली आग पर वन विभाग नजर रखेगा और आग पर तुरंत काबू पाया जाएगा. इसके लिए वन विभाग के फायर वाचर टीम की तैनात कर रहा है. आग लगने पर पंचायतों का भी सहयोग लिया जाएगा, ताकि जंगल में लगने वाली आग के कारण करोड़ों रुपए के प्राकृतिक संपदा को जलने से बचाया जा सके. ऐसे में जिला कुल्लू के वन विभाग के 12 बीट महकमे के राडार पर रहेंगे. (fire watcher team) (Fire in forests of Kullu).

आग के कारण सबसे ज्यादा झुलसने वाले इन बीटों को वन विभाग ने अभी भी उच्च संवेदनशील बीटों की श्रेणी में रखा है. इन जंगलों में आग को रोकने के लिए वन महकमे सहित फायर कंट्रोल जवानों कार्य किया जाएगा, तो फायर सीजन के लिए मंडल स्तर पर कंट्रोल रूम की स्थापना होगी. (Himachal Forest Department)

लिहाजा, इन जंगलों में आग लगते ही फायर कंट्रोल टीम यहां मोर्चा संभालेगी. जानकारी के अनुसार वन विभाग प्रदेश भर में आग के आगोश में स्वाह होते जंगलों की लिस्ट हर साल तैयार करता है और हर जंगल में लगने वाली आग की संवेदनशीलता को श्रेणीबद्ध किया जाता है.

कुल्लू वन वृत्त के तहत आने वाले कुल्लू, पार्वती, सराज व लाहुल वन मंडलों के 12 बीट उच्च संवेदनशील घोषित किए गए हैं. इनमें 11 बीट पार्वती और एक कुल्लू वन मंडल का है. मध्यम संवेदनशील श्रेणी में कुल्लू के 14, पार्वती वन मंडल के 15, सराज के 13 व लाहुल के दो बीट सहित 44 बीट शामिल हैं. कम संवेदनशीलता के तहत कुल्लू के 30, सराज के 14, पार्वती के 12 तथा लाहुल के 28 बीट संग 84 बीट शामिल हैं.

फायर सीजन के तहत की जाने वाले गतिविधियों के लिए वन विभाग अलर्ट होने लगा है. अति संवेदनशील बीटों को जीपीएस (Global Positioning System) से भी जोड़ा गया है, जिसके तहत मैसेज अलर्ट के माध्यम से भी जानकारी मिलेगी. वन निदेशालय से इस बार वनों की आग को रोकने के लिए जारी निर्देशों के बाद विभाग ने जिला स्तर से लेकर रेंज स्तर तक कंट्रोल रूम स्थापित करने की प्रक्रिया तेज कर दी है.

सभी बीटों के जवानों से लेकर पंचायतों तक इन कंट्रोल रूम के संपर्क नंबरों की सूची जारी की जा रही है. बताया जा रहा है कि हाई-सेंसेटिव बीटों पर विशेष नजर रखने को कहा गया है और इस लिस्ट से इन्हें बाहर निकालने के लिए भी योजना बनाने को कहा गया है. पार्वती वन मंडलाधिकारी ऐंजल चौहान के अनुसार आग से निपटने के लिए फायर वाचरों की तैनाती की जा रही है, जो वन रक्षकों के साथ मोर्चा संभालेंगे. इसके अलावा आग कंट्रोल करने के लिए जो टीम तैयार की गई है, उसे हर सुविधाओं से लैस किया गया है और इनके लिए महकमें ने विशेष वाहनों का भी इंतजाम किया है.

ये हैं उच्च संवेदनशील क्षेत्र: पार्वती वनमंडल के तहत आने वाले नरैश, भूईण, शियाह, दियार, नरोगी, गड़सा, छाकना, छिंछरा, कशावरी, मशगां, खोखण, डुग्गीलग शामिल किया है. इन जंगलों में यदि आग लगती है तो विभाग सबसे पहले इनकी एफआईआर दर्ज करेगी. घाटी के ऊंचे इलाकों के जंगलों को मध्यम व लो-सेंसेटिव जोन में रखा गया हैं, क्योंकि यहां आग लगने की संभावना कम रहती है.

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