कुल्लू: लगघाटी में पर्यटन की लौ जलाने के लिए कदम ताल शुरू हो गई है. प्रदेश सरकार ने लगघाटी की प्राकृतिक छटा से लबरेज अनछुए पर्यटन स्थलों को विकसित करने का फैसला लिया है. इसी को लेकर वन महकमे के अधिकारियों समेत लगघाटी पर्यावरणीय पर्यटन विकास समिति के पदाधिकारियों ने मठासौर और बड़ासौर साइट दौरा किया.
ब्रिटिश शासन काल के दौरान घाटी में एक पैदल मार्ग हुआ करता था जो कि आज अपना अस्तित्व खो चुका है. इसका पुनर्निर्माण कर घाटी को देसी विदेशी सैलानियों की सैरगाह के रूप में विकसित किया जाएगा.
प्रदेश सरकार ने घाटी में पर्यटन विकास को विकसित कर घाटी के लोगों की आर्थिकी को मजबूत करने का फैसला लिया है. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इसके लिए विभागाधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिए हैं. इसी को लेकर वन महकमे की टीम ने साइट पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया.
जिला भाजपा के मीडिया प्रभारी खुशहाल सिंह राठौर ने कहा कि सरकार घाटी के लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के साथ साथ इलाका वासियों की आर्थिकी को भी सुदृढ़ करना चाहती है. इसी को लेकर सरकार और विभागों ने घाटी के अनछुए पर्यटन स्थलों को चिन्हित करने का काम शुरू किया है. उन्होंने कहा कि अगले हफ्ते विभाग के अधिकारी लगघाटी के गोरूडुघ जाकर स्थिति का जायजा लेंगे.
वन महकमे ने ब्रिटिशों द्वारा निर्मित पैदल मार्ग का पुनर्निर्माण करने का फैसला लिया है. इसके साथ पर्यटन और धार्मिक पर्यटन को कैसे विकसित किया जाएगा. इसे लेकर प्राकलन तैयार किया जाएगा. वन विभाग के अरण्यपाल अनिल शर्मा ने कहा कि कुल्लू-काईसधार-कडौन रेस्ट हाउस तक पैदल मार्ग का पुनर्निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज मठासौर और बड़ासौर को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए लोगों और विभिन्न विभागों का सहयोग लिया जाएगा.
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