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एक सदी के बाद हुआ इन देवताओं का मिलन, विदाई के वक्त भावुक हुए कारकून - पारंपरिक लोकगीत

जिला कुल्लू के शौंशधार में पांच दिवसीय हारगी उत्सव का समापन हो गया है. इस आयोजन में कोठी बुंगा के गढ़पति देव बड़ा छमांहू से देवता का करीब एक सदी के बाद ऐतिहासिक मिलन हुआ है.

देवताओं का मिलन
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Published : Sep 14, 2019, 3:21 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू की सैंज घाटी के कोटला क्षेत्र के शौंशधार में पांच दिवसीय हारगी उत्सव का समापन हो गया है. इस उत्सव में देव रीति और नियमों के अनुरूप अनोखी परंपराओं का निर्वाह किया गया. कोठी बुंगा के गढ़पति देव बड़ा छमांहू से देवता का करीब एक सदी के बाद ऐतिहासिक मिलन हुआ है.


हारगी के अंतिम दिन देवताओं की विदाई के समय कारकून भावुक हो आए और उनके आंखें छलक गई. मेहमान देवता को विदाई देने के लिए देव बड़ा छमांहू के अलावा देव धामणी छमांहू, देवता खोडू और देवता आईडू भी कारकूनों के साथ समारोह में शामिल हुए.

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देवता पुंडरिक के कारकून चमन राणा ने बताया कि इस तरह का देव मिलन कई सालों के बाद होता है. मिलन के साक्षी रहे लोग स्वयं को खुशनसीब मानते हैं. शौंशधार में पांच दिन तक पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाडों की थाप पर देवलु खूब झूमे. इस दौरान हजारों लोगों ने उत्सव का लुत्फ उठाया. देवता ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं.

कुल्लू: जिला कुल्लू की सैंज घाटी के कोटला क्षेत्र के शौंशधार में पांच दिवसीय हारगी उत्सव का समापन हो गया है. इस उत्सव में देव रीति और नियमों के अनुरूप अनोखी परंपराओं का निर्वाह किया गया. कोठी बुंगा के गढ़पति देव बड़ा छमांहू से देवता का करीब एक सदी के बाद ऐतिहासिक मिलन हुआ है.


हारगी के अंतिम दिन देवताओं की विदाई के समय कारकून भावुक हो आए और उनके आंखें छलक गई. मेहमान देवता को विदाई देने के लिए देव बड़ा छमांहू के अलावा देव धामणी छमांहू, देवता खोडू और देवता आईडू भी कारकूनों के साथ समारोह में शामिल हुए.

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देवता पुंडरिक के कारकून चमन राणा ने बताया कि इस तरह का देव मिलन कई सालों के बाद होता है. मिलन के साक्षी रहे लोग स्वयं को खुशनसीब मानते हैं. शौंशधार में पांच दिन तक पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाडों की थाप पर देवलु खूब झूमे. इस दौरान हजारों लोगों ने उत्सव का लुत्फ उठाया. देवता ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं.

Intro:कुल्लू
देवताओं के बिछोह से भावुक हुए कारकूनBody:

जिला कुल्लू की सैंज घाटी के कोटला क्षेत्र के शौंशधार में पांच दिवसीय हारगी उत्सव का समापन हो गया है। इस उत्सव में देव रीति और नियमों के अनुरूप अनोखी परंपराओं का निर्वाह किया गया। सैंज घाटी के बनोगी क्षेत्र के अधिष्ठाता देव पुंडरिक ऋषि पूरे लाव लश्कर के साथ कोटला दौरे पर निकले थे। कोठी बुंगा के गढ़पति देव बड़ा छमांहू से देवता का करीब एक सदी के बाद ऐतिहासिक मिलन हुआ। हारगी के अंतिम दिन देवताओं की विदाई के समय कारकून भावुक हो आए और उनके आंखें छलक गई। मेहमान देवता को विदाई देने के लिए देव बड़ा छमांहू के अलावा देव धामणी छमांहू, देवता खोडू और देवता आईडू भी कारकूनों के साथ समारोह में शामिल रहे। देवता पुंडरिक के कारकून चमन राणा ने बताया कि विदाई के समय कारकूनों समेत लोगों की आंखें नम हो गई। देवताओं में भी अलग होने का गम साफ झलक रहा था। उन्होंने बताया कि इस तरह का देव मिलन कई सालों के बाद होता है। मिलन के साक्षी रहे लोग स्वयं को खुशनसीब मानते हैं। देवताओं के प्रति अटूट आस्था बनी रहती है। शौंशधार में पांच दिन तक पारंपरिक लोकगीत और ढोल-नगाडों की थाप पर देवलु झूमे। हजारों लोगों ने उत्सव का लुत्फ उठाया। देवता ने कारकूनों को शराब से दूरी और देव नियमों के पालन के सख्त आदेश दिए हैं। गूर किशोरी लाल ने कहा कि आदिकाल से चल रही परंपराओं को निभाया गया।
Conclusion:हारगी उत्सव में खिंड्डू परंपरा का निर्वाह हुआ। मेहमान देवता के साथ आए हजारों कारकून देवता बड़ा छमांहू के कारकूनों के घरों में खिंड्डू बनकर रहे। पुंडरिक ऋषि के कारदार लोतम राम ने कहा कि देवताओं के मिलन से दोनों क्षेत्र के लोगों के आपसी रिश्ते मजबूत हुए हैं।
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