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फागली उत्सव: बंजार में मुखौटे लगाकर ग्रामीणों ने किया नृत्य, भगाई गयी बुरी शक्तियां

बंजार घाटी के कई गांव में भी देवता प्रांगाण में फागली उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें गांव के कुछ लोग मुखौटा पहनकर देवता के साथ नृत्य करते हैं और ग्रामीण इस नृत्य का आनंद लेते हैं. फागली उत्सव के दौरान ग्रामीण मुखौटे पहन कर देवता के प्रांगण में नृत्य करते हैं.

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Published : Feb 13, 2021, 9:11 PM IST

fagli festival kullu
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कुल्लू:उपमंडल बंजार में फाल्गुन माह की संक्रांति से फागली उत्सव का आगाज हो गया है. बंजार घाटी के विभिन्न इलाकों में ग्रामीणों ने राक्षसी मुखौटे पहनकर नृत्य किया. साथ ही कंटीली झाड़ियों सहित राख फेंककर बुरी शक्तियों को भगाया गया है. वहीं, देवी देवताओं का भी आशीर्वाद लिया जा रहा है.

बता दें कि फागली उत्सव के दौरान ग्रामीण मुखौटे पहन कर देवता के प्रांगण में नृत्य करते हैं. बंजार घाटी के कई गांव में भी देवता प्रांगाण में फागली उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें गांव के कुछ लोग मुखौटा पहनकर देवता के साथ नृत्य करते हैं और ग्रामीण इस नृत्य का आनंद लेते हैं.

वीडियो

वाद्य यंत्रों के साथ होता है धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान

इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई और पाप पर पुण्य अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है. इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं. जिसमें लक्ष्मी नारायण के नेतृत्व में इस फागली का आगाज होता है.

फागली उत्सव में लोगों ने कांटेदार झाड़ियों पर नंगे पांव से नृत्य किया. सराज घाटी में भी देव शक्ति का प्रदर्शन हुआ. इससे पहले घाटी के विभिन्न गांव में लोगों ने कांटेदार झाड़ियां एकत्रित की.

पढ़ें: अब हिमाचल में भी कड़कनाथ मुर्गों का किया जाएगा पालन, पशुपालन विभाग कर रहा तैयारी

कुल्लू:उपमंडल बंजार में फाल्गुन माह की संक्रांति से फागली उत्सव का आगाज हो गया है. बंजार घाटी के विभिन्न इलाकों में ग्रामीणों ने राक्षसी मुखौटे पहनकर नृत्य किया. साथ ही कंटीली झाड़ियों सहित राख फेंककर बुरी शक्तियों को भगाया गया है. वहीं, देवी देवताओं का भी आशीर्वाद लिया जा रहा है.

बता दें कि फागली उत्सव के दौरान ग्रामीण मुखौटे पहन कर देवता के प्रांगण में नृत्य करते हैं. बंजार घाटी के कई गांव में भी देवता प्रांगाण में फागली उत्सव मनाया जा रहा है, जिसमें गांव के कुछ लोग मुखौटा पहनकर देवता के साथ नृत्य करते हैं और ग्रामीण इस नृत्य का आनंद लेते हैं.

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वाद्य यंत्रों के साथ होता है धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान

इस उत्सव में बुराई पर अच्छाई और पाप पर पुण्य अधर्म पर धर्म की विजय गाथाओं का गुणगान किया जाता है. इन गाथाओं को स्थानीय लोग परंपरागत तरीके से ढोल-नगाड़े, करनाही, शहनाई, डफला, भाणा, कांसा और काहुली की कलरव ध्वनि के साथ धूमधाम से गाते हैं और देवता की पालकी के साथ भाग लेते हैं. जिसमें लक्ष्मी नारायण के नेतृत्व में इस फागली का आगाज होता है.

फागली उत्सव में लोगों ने कांटेदार झाड़ियों पर नंगे पांव से नृत्य किया. सराज घाटी में भी देव शक्ति का प्रदर्शन हुआ. इससे पहले घाटी के विभिन्न गांव में लोगों ने कांटेदार झाड़ियां एकत्रित की.

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