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भगवान रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा दशहरा पर्व का आगाज, 7 देवी-देवता ही ले सकेंगे भाग

कोरोना के चलते देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव सीमित होगा और मात्र सात देवी-देवता ही रथयात्रा में भाग ले सकेंगें. रविवार से देवभूमि कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा पर्व का आगाज कुल्लू के अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा.

Kullu Dussehra
कुल्लू दशहरा
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Published : Oct 25, 2020, 10:01 AM IST

कुल्लू: इस बार कोरोना के चलते देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव सीमित होगा और मात्र सात देवी-देवता ही रथयात्रा में भाग ले सकेंगें. रविवार से देवभूमि कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा पर्व का आगाज कुल्लू के अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा.

रथ मैदान से ढालपुर मैदान की चानणी तक होगी रथ यात्रा

गौरतलब हैं कि इस रथ यात्रा में भाग लेने के लिए जनपद के सैकड़ों देवी-देवता ढालपुर मैदान पहुंचते थे, लेकिन इस बार सिर्फ सात देवी-देवता ही बुलाए गए हैं. इस साल न तो व्यापार और न ही सांस्कृतिक संध्या होगी. यह रथ यात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच परंपरागत तरीके से रथ मैदान से ढालपुर मैदान की चानणी तक होगी.

वीडियो

पर्व में सिर्फ 7 देवी-देवता आएंगे

करीब 25 हजार लोगों की क्षमता रखने वाला लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र इस बार सुनसान होगा. पहले कुल्लू के दशहरा पर्व में ढालपुर मैदान स्वर्ग बन जाता था, लेकिन इस बार स्वर्ग के सिर्फ सात देवी-देवता ही नजर आएंगे. सीमित तौर पर ही स्वर्ग लोक में मधुर शंख धुनी व पुरातन वाद्य यंत्रों की गूंज से सुनाई देगी. इस बार जनपद के सभी देवी-देवताओं के दर्शन नहीं होंगें. मेले में आए सात देवी-देवताओं के साथ भी सीमित लोग रह पाएंगे. सभी का कोविड टेस्ट होगा. उधर, सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही कई परंपराओं के भी दशहरा पर्व में दर्शन नहीं हो पाएंगे.

नरसिंह की जलेब आकर्षण का केंद्र

देव संस्कृति के मुताबिक हर दिन निकलने वाली नरसिंह की जलेव आकर्षण का केंद्र रहेगी, लेकिन यह भी सीमित तौर पर ही निकलेगी. चंद्राउली नृत्य के भी कहीं दर्शन नहीं होंगे.उधर, प्रशासन व मेला कमेटी ने दशहरा की सभी तैयारियां पूरी कर दी है और चप्पे-चप्पे पर पहरा बिठा दिया है.

सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे

सात देवी-देवता रघुनाथ के साथ मिलने के बाद अपने-अपने अस्थायी स्थानों में सात दिनों के लिए विराजमान होंगे. पहले महामहिम राज्यपाल प्रदर्शनी मैदान में लगी विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन करने के बाद सांयकाल अंतरराष्ट्रीय लाल चंदप्रार्थी कलाकेंद्र में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उदघाटन करते थे, लेकिन इस बार प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे और न ही राज्यपाल आएंगे.

दशहरा पर्व को लेकर कड़े इंतजाम

दशहरा पर्व को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा होगा और हर जगह को सुरक्षा के चलते सील कर दिया गया है .सीसीटीवी कैमरे में दशहरा पर्व में आने वाले लोगों की हर गतिविधियां कैद होगी. दशहरा पर्व में शांति व्यवस्था व कोरोना नियम बनाए रखने के लिए विशेष दस्ते सात दिनों तक कुल्लू में डेरा डाले रहेंगे.

31 अक्टूबर को होगा समापन

अनूठी संस्कृति व देव परंपरा वाले इस देवमहाकुंभ का समापन 31 अक्टूबर को लंका दहन के साथ होगा. सीएम जयराम ठाकुर भी इस पर्व में शिरकत नहीं कर पाएंगे. इस दिन भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा होगी और लंका दहन के बाद दशहरा पर्व समाप्त होगा. बता दें कि इस बार दशहरा में देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दल और न ही विदेशी सांस्कृतिक दलों के दर्शन हो पाएंगे.

कुल्लू: इस बार कोरोना के चलते देवमहाकुंभ अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव सीमित होगा और मात्र सात देवी-देवता ही रथयात्रा में भाग ले सकेंगें. रविवार से देवभूमि कुल्लू में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा पर्व का आगाज कुल्लू के अधिष्ठाता देवता रघुनाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा से होगा.

रथ मैदान से ढालपुर मैदान की चानणी तक होगी रथ यात्रा

गौरतलब हैं कि इस रथ यात्रा में भाग लेने के लिए जनपद के सैकड़ों देवी-देवता ढालपुर मैदान पहुंचते थे, लेकिन इस बार सिर्फ सात देवी-देवता ही बुलाए गए हैं. इस साल न तो व्यापार और न ही सांस्कृतिक संध्या होगी. यह रथ यात्रा कड़ी सुरक्षा के बीच परंपरागत तरीके से रथ मैदान से ढालपुर मैदान की चानणी तक होगी.

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पर्व में सिर्फ 7 देवी-देवता आएंगे

करीब 25 हजार लोगों की क्षमता रखने वाला लाल चंद प्रार्थी कलाकेंद्र इस बार सुनसान होगा. पहले कुल्लू के दशहरा पर्व में ढालपुर मैदान स्वर्ग बन जाता था, लेकिन इस बार स्वर्ग के सिर्फ सात देवी-देवता ही नजर आएंगे. सीमित तौर पर ही स्वर्ग लोक में मधुर शंख धुनी व पुरातन वाद्य यंत्रों की गूंज से सुनाई देगी. इस बार जनपद के सभी देवी-देवताओं के दर्शन नहीं होंगें. मेले में आए सात देवी-देवताओं के साथ भी सीमित लोग रह पाएंगे. सभी का कोविड टेस्ट होगा. उधर, सैंकड़ों वर्षों से चली आ रही कई परंपराओं के भी दशहरा पर्व में दर्शन नहीं हो पाएंगे.

नरसिंह की जलेब आकर्षण का केंद्र

देव संस्कृति के मुताबिक हर दिन निकलने वाली नरसिंह की जलेव आकर्षण का केंद्र रहेगी, लेकिन यह भी सीमित तौर पर ही निकलेगी. चंद्राउली नृत्य के भी कहीं दर्शन नहीं होंगे.उधर, प्रशासन व मेला कमेटी ने दशहरा की सभी तैयारियां पूरी कर दी है और चप्पे-चप्पे पर पहरा बिठा दिया है.

सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे

सात देवी-देवता रघुनाथ के साथ मिलने के बाद अपने-अपने अस्थायी स्थानों में सात दिनों के लिए विराजमान होंगे. पहले महामहिम राज्यपाल प्रदर्शनी मैदान में लगी विभिन्न प्रदर्शनियों का अवलोकन करने के बाद सांयकाल अंतरराष्ट्रीय लाल चंदप्रार्थी कलाकेंद्र में सात दिनों तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यक्रमों का उदघाटन करते थे, लेकिन इस बार प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे और न ही राज्यपाल आएंगे.

दशहरा पर्व को लेकर कड़े इंतजाम

दशहरा पर्व को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं. चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा होगा और हर जगह को सुरक्षा के चलते सील कर दिया गया है .सीसीटीवी कैमरे में दशहरा पर्व में आने वाले लोगों की हर गतिविधियां कैद होगी. दशहरा पर्व में शांति व्यवस्था व कोरोना नियम बनाए रखने के लिए विशेष दस्ते सात दिनों तक कुल्लू में डेरा डाले रहेंगे.

31 अक्टूबर को होगा समापन

अनूठी संस्कृति व देव परंपरा वाले इस देवमहाकुंभ का समापन 31 अक्टूबर को लंका दहन के साथ होगा. सीएम जयराम ठाकुर भी इस पर्व में शिरकत नहीं कर पाएंगे. इस दिन भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा होगी और लंका दहन के बाद दशहरा पर्व समाप्त होगा. बता दें कि इस बार दशहरा में देश के विभिन्न राज्यों के सांस्कृतिक दल और न ही विदेशी सांस्कृतिक दलों के दर्शन हो पाएंगे.

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