कुल्लू: जिला कुल्लू की गड़सा घाटी के जुल्ली गांव में देवता घटोत्कच को जल्द से जल्द वापस अपने मूल स्थान में लाये जाने की मांग उठ रही है. ग्रामीण शांतिपूर्ण तरीके से देवता की पूजा आराधना करना चाहते हैं. इसी मांग को लेकर वीरवार को ग्रामीणों का एक प्रतिनिधिमंडल ढालपुर में डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग से मिला. ग्रामीणों ने पिछले 6 महीने से चल रहे विवाद से डीसी को अवगत करवाया. (ghatotkach temple kullu) (ghatotkach temple julli village)
जुल्ली गांव में है देवता घटोत्कच का मंदिर: प्रतिनिधिमंडल में शामिल ग्रामीण पवन कुमार का कहना है कि देवता घटोत्कच का मंदिर गड़सा घाटी की भलान एक पंचायत के जुल्ली गांव में स्थित है, लेकिन कुछ माह पहले यह मंदिर गिर गया था. ऐसे में गांव के ही एक व्यक्ति के द्वारा देवता को किसी अन्य व्यक्ति के घर में रख दिया गया. जब कुछ ग्रामीण अपने समारोह में देवता के रथ को लाने के लिए गए तो वहां पर दूसरे पक्ष के लोग मारपीट करने पर उतारू हो गए.
6 महीने से नहीं है देवता की मूर्ति: ग्रामीणों का कहना है कि दूसरा पक्ष अपने समारोह में देवता को अपनी मर्जी से ले जा रहे हैं. ग्रामीण पवन कुमार ने डीसी कुल्लू आशुतोष को अवगत करवाया कि 6 माह पहले भी इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की गई थी और एसडीएम कुल्लू इस रिपोर्ट को तैयार कर रहे थे, लेकिन इस रिपोर्ट में किसके बयान लिए गए हैं और क्या दर्ज किया गया है, इसके बारे में अभी तक उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग: ऐसे में प्रतिनिधिमंडल में शामिल ग्रामीणों ने डीसी आशुतोष से आग्रह किया कि जल्द इस रिपोर्ट को पूरा करें और सभी ग्रामीण चाहते हैं कि देवता अपने मूल स्थान पर वापस लौट आएं. ताकि सभी लोग शांतिपूर्ण तरीके से देवता की पूजा आराधना कर सके.
भीम के पुत्र हैं देवता घटोत्कच: घटोत्कच का जन्म भीम की राक्षस कुल की पत्नी हिडिम्बा से हुआ था. राक्षसी पुत्र होने की वजह से घटोत्कच मायावी भी थे. घटोत्कच बहुत ही शक्तिशाली और चमत्कारी योद्धा थे. वो इतने बलशाली थे कि कौरव सेना को अपने पैरों तले ही कुचल देते थे.
ये भी है मान्यता: मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के आठवें दिन घटोत्कच ने कौरव सेना के कई वीरों का वध किया और दुर्योधन और दु:शासन को भी बुरी तरह से घायल कर दिया था. इरावन ने भी अपने बड़े भाई का इस युद्ध में साथ दिया और कौरव सेना के कई शूरवीरों को मौत के घाट उतार दिया था. ऐसे में कर्ण को घटोत्कच का वध करना पड़ा था.
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