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मनाली से लेह के लिए रवाना हुईं साइकिलिस्ट सविता महतो, दिलचस्प है इनकी इच्छाशक्ति की कहानी

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Published : Jul 22, 2019, 9:33 AM IST

Updated : Jul 22, 2019, 10:20 AM IST

सविता महतो जिन्होंने अपने बुलंद हौंसलों से बता दिया कि अगर आप कुछ भी करने की चाह रखते हैं तो कोई भी चीज आपको रोक नहीं सकती. सविता महतो युवाओं को यही संदेश देती हैं कि कुछ भी असंभव नहीं है. अगर आपके मन में कुछ करने की ललक हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है.

साइकिलिस्ट सविता महतो

कुल्लू: अगर आप दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति से आगे बढ़ते हैं तो मंजिल मिल ही जाती है. इस वाक्य पर बिहार की बेटी साइकिलिस्ट एवं पर्वतारोही सविता महतो सटीक बैठती हैं, जिन्होंने विपरीत हालातों में भी अपना हौसला बरकरार रखा और नेपाल से श्रीलंका तक की यात्रा की. सविता महतो अब तक कई ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहरा चुकी हैं और अब उनका लक्ष्य माउंट एवरेस्ट फतह करने का है. बता दें कि सविता महतो रविवार को पर्यटन नगरी मनाली से लेह के लिए रवाना हुईं.

बिहार के सारण में जन्मी सविता
बुलंद हौसले रखने वाली सविता महतो का जन्म बिहार के सारण जिले में हुआ. सविता जब छोटी थीं तो उनका परिवार कोलकाता चला गया. पिता ने परिवार के पालन-पोषण के लिए मछली बेचने का काम शुरू किया. बता दें कि सविता की पढ़ाई कोलकाता से ही हुई.

Cyclist Savita Mehto
साइकिलिस्ट सविता महतो
बचपन से ही खेलकूद में रखती हैं रूचि
बचपन से ही सविता को खेलकूद में काफी रुचि थी और वॉलीबॉल में लगातार तीन साल तक राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. लेकिन समाज की संकीर्ण सोच के चलते पिता ने उन्हें वॉलीबॉल खेलने से मना कर दिया. इसके बाद सविता ने ज्योग्राफी ऑनर्स में दाखिला लिया और पर्वतारोही के कोर्स की पढ़ाई करने की ठानी हालांकि परिवार का काफी हस्तक्षेप भी रहा. पर उन्होंने अपना कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया.
कई ऊंची चोटियों पर की चढ़ाई
सविता महतो ने वर्ष 2014 में कई ऊंची चोटियों को फतह किया. वर्ष 2015 में भी उनका सफर जारी रहा और एक पर्वत चोटी के साथ ही 12 मुश्किल ट्रैक पर चढ़ाई की. बता दें कि 2015 में उनका चयन इंडियन मॉन्टेर्निंग फाउंडेशन में हुआ जहां से उन्हें दो पर्वत चोटियों और दुर्गम ट्रैक पर जाने का मौका मिला.
कम उम्र की साइकिलिंग धावक का रिकॉर्ड बनाया
पर्वतारोहण के साथ ही उन्होंने साइकिलिंग में भी अपना हाथ आजमाया. उन्होंने महिला सुरक्षा के लिए आयोजित "ऑल इंडिया साइकिलिंग फॉर वीमेन सेफ्टी " में भाग लेते हुए सबसे कम उम्र की धावक का रिकॉर्ड बनाया और देश के 29 राज्यों में यात्रा की. बता दें कि यौन हिंसा के खिलाफ सविता महिला सुरक्षा का संदेश दे रही हैं.
स्वच्छता का दिया संदेश
वर्ष 2017 में गंगा-यमुना समेत अन्य नदी और नालों की स्वच्छता के लिए सविता ने साइकिल यात्रा की जो 750 कि.मी. लंबी दुर्गम यात्रा थी. इसके अलावा सुविधाओं के अभाव और वित्तीय समस्याओं के चलते उन्होंने समुद्रतल से 7075 मीटर की ऊंचाई पर स्थित स्टॉफन्थ पर्वत चोटी में भी तिरंगा फहराया.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में इस दिन शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया, पुलिस ने जारी किया शेड्यूल


मिल चुके हैं कई सम्मान
सविता को अब तक कई सम्मान मिल चुके हैं. उनके जोश और जुनून को देखते हुए असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस एवं असम पुलिस ने उन्हें सम्मानित किया है. बता दें कि वर्तमान में सविता उत्तराखण्ड और लेह लद्दाख में गाइड एवं ट्रेनर का काम कर रहीं हैं.

युवाओं को संदेश- कुछ भी नहीं असंभव
सहभागिता हमारी और आपकी टीम के जिला संयोजक बीजू ने बताया कि सविता महतो का सभी युवाओं से यही कहना है कि असम्भव कुछ भी नहीं है. अगर आपके मन में कुछ करने की ललक हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल के 26वें राज्यपाल के रूप में शपथ लेंगे कलराज मिश्र, सभी तैयारियां पूरी

कुल्लू: अगर आप दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति से आगे बढ़ते हैं तो मंजिल मिल ही जाती है. इस वाक्य पर बिहार की बेटी साइकिलिस्ट एवं पर्वतारोही सविता महतो सटीक बैठती हैं, जिन्होंने विपरीत हालातों में भी अपना हौसला बरकरार रखा और नेपाल से श्रीलंका तक की यात्रा की. सविता महतो अब तक कई ऊंची चोटियों पर तिरंगा फहरा चुकी हैं और अब उनका लक्ष्य माउंट एवरेस्ट फतह करने का है. बता दें कि सविता महतो रविवार को पर्यटन नगरी मनाली से लेह के लिए रवाना हुईं.

बिहार के सारण में जन्मी सविता
बुलंद हौसले रखने वाली सविता महतो का जन्म बिहार के सारण जिले में हुआ. सविता जब छोटी थीं तो उनका परिवार कोलकाता चला गया. पिता ने परिवार के पालन-पोषण के लिए मछली बेचने का काम शुरू किया. बता दें कि सविता की पढ़ाई कोलकाता से ही हुई.

Cyclist Savita Mehto
साइकिलिस्ट सविता महतो
बचपन से ही खेलकूद में रखती हैं रूचि
बचपन से ही सविता को खेलकूद में काफी रुचि थी और वॉलीबॉल में लगातार तीन साल तक राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. लेकिन समाज की संकीर्ण सोच के चलते पिता ने उन्हें वॉलीबॉल खेलने से मना कर दिया. इसके बाद सविता ने ज्योग्राफी ऑनर्स में दाखिला लिया और पर्वतारोही के कोर्स की पढ़ाई करने की ठानी हालांकि परिवार का काफी हस्तक्षेप भी रहा. पर उन्होंने अपना कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया.
कई ऊंची चोटियों पर की चढ़ाई
सविता महतो ने वर्ष 2014 में कई ऊंची चोटियों को फतह किया. वर्ष 2015 में भी उनका सफर जारी रहा और एक पर्वत चोटी के साथ ही 12 मुश्किल ट्रैक पर चढ़ाई की. बता दें कि 2015 में उनका चयन इंडियन मॉन्टेर्निंग फाउंडेशन में हुआ जहां से उन्हें दो पर्वत चोटियों और दुर्गम ट्रैक पर जाने का मौका मिला.
कम उम्र की साइकिलिंग धावक का रिकॉर्ड बनाया
पर्वतारोहण के साथ ही उन्होंने साइकिलिंग में भी अपना हाथ आजमाया. उन्होंने महिला सुरक्षा के लिए आयोजित "ऑल इंडिया साइकिलिंग फॉर वीमेन सेफ्टी " में भाग लेते हुए सबसे कम उम्र की धावक का रिकॉर्ड बनाया और देश के 29 राज्यों में यात्रा की. बता दें कि यौन हिंसा के खिलाफ सविता महिला सुरक्षा का संदेश दे रही हैं.
स्वच्छता का दिया संदेश
वर्ष 2017 में गंगा-यमुना समेत अन्य नदी और नालों की स्वच्छता के लिए सविता ने साइकिल यात्रा की जो 750 कि.मी. लंबी दुर्गम यात्रा थी. इसके अलावा सुविधाओं के अभाव और वित्तीय समस्याओं के चलते उन्होंने समुद्रतल से 7075 मीटर की ऊंचाई पर स्थित स्टॉफन्थ पर्वत चोटी में भी तिरंगा फहराया.

ये भी पढ़ें: कुल्लू में इस दिन शुरू होगी भर्ती प्रक्रिया, पुलिस ने जारी किया शेड्यूल


मिल चुके हैं कई सम्मान
सविता को अब तक कई सम्मान मिल चुके हैं. उनके जोश और जुनून को देखते हुए असम राइफल्स, मणिपुर पुलिस एवं असम पुलिस ने उन्हें सम्मानित किया है. बता दें कि वर्तमान में सविता उत्तराखण्ड और लेह लद्दाख में गाइड एवं ट्रेनर का काम कर रहीं हैं.

युवाओं को संदेश- कुछ भी नहीं असंभव
सहभागिता हमारी और आपकी टीम के जिला संयोजक बीजू ने बताया कि सविता महतो का सभी युवाओं से यही कहना है कि असम्भव कुछ भी नहीं है. अगर आपके मन में कुछ करने की ललक हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें: हिमाचल के 26वें राज्यपाल के रूप में शपथ लेंगे कलराज मिश्र, सभी तैयारियां पूरी

Intro:कुल्लू
मनाली से लेह के लिए रवाना हुई साइकिलिस्ट सबीता Body:

आपका दृढ़ निश्चय और इच्छाशक्ति ही आपको मुकाम पर ले जाता है । इस वाक्य पर बिहार की बेटी साइकिलिस्ट एवं पर्वतारोही सटीक बैठती है । 24 वर्षीय साईकल धावक ने देश के सभी राज्यों समेत दो केंद्रशासित प्रदेशों में साईकल के ज़रिए यात्रा करते हुए सामाजिक समरसता का संदेश दिया है । विपरीत हालातों में भी उन्होंने अपना हौसला बरकरार रखा और नेपाल से श्रीलंका तक की यात्रा की । अब तक कई ऊंची चोटियों पर भी तिरंगा फहरा चुकी है और अब उनका लक्ष्य माउंट एवरेस्ट फ़तह करने का है ।साईकल के ज़रिए यात्रा करने वाली इस बेटी का नाम है सबिता महतो। पर्यटन नगरी मनाली पहुंची पर्वतारोही एवं साइकिलिस्ट रविवार को मनाली से लेह के लिए रवाना हुई।
बिहार के सारण जिले में जन्मी सबिता का परिवार कम उम्र में ही कोलकाता चला गया। पिता ने परिवार के पालन-पोषण के लिए मछली बेचने का काम शुरू किया। सबिता की पढ़ाई कोलकाता से ही हुई ।
बचपन से ही सबिता को खेलकूद में काफ़ी रुचि थी और वॉलीबाल में लगातार तीन साल तक राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया । समाज की संकीर्ण सोच के चलते पिता ने उन्हें वॉलीबाल खेलने से मना कर दिया । इसके बाद सबिता ने ज्योग्राफी ऑनर्स में दाखिला लिया और पर्वतारोही के कोर्स की पढ़ाई करने की ठानी हालांकि परिवार का काफ़ी हस्तक्षेप भी रहा। उन्होंने अपना कोर्स सफलतापूर्वक पूरा किया । वर्ष 2014 में कई ऊँची चोटियों को फ़तह किया । वर्ष 2015 में उनका सफ़र जारी रहा और एक पर्वत चोटी के साथ ही 12 मुश्किल ट्रैक पर चढ़ाई की। वर्ष 2015 में उनका चयन इंडियन मॉन्टेर्निंग फाउंडेशन में हुआ जहां से उन्हें दो पर्वत चोटियों और दुर्गम ट्रैक ओर जाने का मौका मिला ।
सबिता का सफ़र यहीं नहीं रुका । पर्वतारोहण के साथ ही उन्होंने साइकिलिंग में भी अपना हाथ आजमाया । उन्होंने महिला सुरक्षा के लिए आयोजित "आल इंडिया साइकिलिंग फ़ॉर वीमेन सेफ्टी " में भाग लेते हुए सबसे कम उम्र की धावक का रिकॉर्ड बनाते हुए देश के 29 राज्यों में यात्रा की । यौन हिंसा के ख़िलाफ़ सबिता महिला सुरक्षा का संदेश दे रही है ।
वर्ष 2017 में गंगा-यमुना समेत अन्य नदी और नालों की स्वच्छता के लिए सबिता ने साईकल यात्रा की जो 750 किमी लंबी दुर्गम यात्रा थी ।
सुविधाओं के अभाव और वित्तीय समस्याओं के चलते भी सबिता ने समुद्रतल से 7075 मीटर ऊंचाई की पर्वत चोटी स्टॉफन्थ में तिरंगा फहराया ।
वर्तमान में सबिता उत्तराखण्ड और लेह लद्दाख में गाइड एवं ट्रेनर का काम कर रही है ।
सबिता को अब तक कई सम्मान मिल चुके हैं । सबिता के जोश और जुनून को देखते हुए असम राइफल्स,मणिपुर पुलिस एवं असम पुलिस ने सम्मानित किया ।



Conclusion:सहभागिता हमारी और आपकी टीम के जिला संयोजक बीजू ने बताया कि सबिता महतो का सभी युवाओं से यही कहना है कि असम्भव कुछ भी नहीं है । अगर आपके मन में कुछ करने की ललक हो तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है ।
Last Updated : Jul 22, 2019, 10:20 AM IST
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