कुल्लू: सर्दियों में कुल्लू घाटी बर्फ की सफेद चादर से लिपटी रहती है. पर्यटक भी बड़ी तादाद में सुहाने मौसम का लुत्फ उठाने दुनिया के कौने-कौने से आते हैं, लेकिन इस बार सेब के बगीचों पर सूली कीट के हमले ने बागवानों को चिंता में डाल रखा हैं.
सर्दियों के मौसम में जहां कुल्लू की खूबसूरती को निहारने पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. वहीं, देश-दुनिया में सेब पहुंचाने वाले बागवान सेब के पेड़ों पर सूली कीट के हमले से परेशान हैं. इस समय बागवानों को सुधारने का काम किया जा रहा है, लेकिन सूली कीट के हमले ने बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती है.
बागवान कैलाश ठाकुर, चमन ठाकुर, महेंद्र ठाकुर की मानें तो सूली कीट से बगीचों को नुकसान हो रहा है. कीड़े जड़ों को खोखला कर रहे हैं ज्यादातर सूली कीट से नुकसान पुराने बगीचों को हुआ है. बागवानी अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार कुल्लू जिले में 1.6 से 10 प्रतिशत तक पौधे इस बीमारी से ग्रस्त पाए गए हैं.
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. राकेश गोयल ने बताया जड़ छेदक कीट पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है. ऐसे पौधों की पहचान कर उनकी जड़ों से मिट्टी हटाकर कीड़ों को मार देना चाहिए. उसके बाद डरमट, मासवान, डेनूसवान 20 ईसी कीटनाशक का घोल ग्रस्त पौधों के तौलियों में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार डालना चाहिए जिससे की इसे रोका जा सके.
वहीं डॉ. राकेश गोयल ने बताया मई-जून में कीट अंडे देते हैं. इस समय दवा की ड्रिचिंग तौलिए में करनी चाहिए. ग्रस्त पौधों के तौलिए में दवा उपचार तीन साल तक करना आवश्यक है. ऐसा करने के बाद कीट को रोका जा सकता है.
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