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कुल्लू में सेब के पेड़ों पर सूली कीट का हमला, पुराने बगीचों को बनाया ज्यादा निशाना

सर्दियों के मौसम में जहां कुल्लू की खूबसुरती को निहारने पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. वहीं, देश-दुनिया में सेब पहुंचाने वाले बागवान सेब के पेड़ों पर सूली कीट के हमले से परेशान हैं. इस समय बागवानों को सुधारने का काम किया जा रहा है, लेकिन सूली कीट के हमले ने बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं.

insect attack on apple tree in Kullu
कुल्लू में सेब के पेड़ों पर कीट का हमला
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Published : Dec 6, 2019, 1:28 PM IST

कुल्लू: सर्दियों में कुल्लू घाटी बर्फ की सफेद चादर से लिपटी रहती है. पर्यटक भी बड़ी तादाद में सुहाने मौसम का लुत्फ उठाने दुनिया के कौने-कौने से आते हैं, लेकिन इस बार सेब के बगीचों पर सूली कीट के हमले ने बागवानों को चिंता में डाल रखा हैं.

सर्दियों के मौसम में जहां कुल्लू की खूबसूरती को निहारने पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. वहीं, देश-दुनिया में सेब पहुंचाने वाले बागवान सेब के पेड़ों पर सूली कीट के हमले से परेशान हैं. इस समय बागवानों को सुधारने का काम किया जा रहा है, लेकिन सूली कीट के हमले ने बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती है.

वीडियो रिपोर्ट

बागवान कैलाश ठाकुर, चमन ठाकुर, महेंद्र ठाकुर की मानें तो सूली कीट से बगीचों को नुकसान हो रहा है. कीड़े जड़ों को खोखला कर रहे हैं ज्यादातर सूली कीट से नुकसान पुराने बगीचों को हुआ है. बागवानी अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार कुल्लू जिले में 1.6 से 10 प्रतिशत तक पौधे इस बीमारी से ग्रस्त पाए गए हैं.

बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. राकेश गोयल ने बताया जड़ छेदक कीट पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है. ऐसे पौधों की पहचान कर उनकी जड़ों से मिट्टी हटाकर कीड़ों को मार देना चाहिए. उसके बाद डरमट, मासवान, डेनूसवान 20 ईसी कीटनाशक का घोल ग्रस्त पौधों के तौलियों में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार डालना चाहिए जिससे की इसे रोका जा सके.

वहीं डॉ. राकेश गोयल ने बताया मई-जून में कीट अंडे देते हैं. इस समय दवा की ड्रिचिंग तौलिए में करनी चाहिए. ग्रस्त पौधों के तौलिए में दवा उपचार तीन साल तक करना आवश्यक है. ऐसा करने के बाद कीट को रोका जा सकता है.

ये भी पढ़ें: कामगारों से मंत्री गोविंद ठाकुर की अपील, श्रम योगी मानधन योजना का उठाएं लाभ

कुल्लू: सर्दियों में कुल्लू घाटी बर्फ की सफेद चादर से लिपटी रहती है. पर्यटक भी बड़ी तादाद में सुहाने मौसम का लुत्फ उठाने दुनिया के कौने-कौने से आते हैं, लेकिन इस बार सेब के बगीचों पर सूली कीट के हमले ने बागवानों को चिंता में डाल रखा हैं.

सर्दियों के मौसम में जहां कुल्लू की खूबसूरती को निहारने पर्यटक बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं. वहीं, देश-दुनिया में सेब पहुंचाने वाले बागवान सेब के पेड़ों पर सूली कीट के हमले से परेशान हैं. इस समय बागवानों को सुधारने का काम किया जा रहा है, लेकिन सूली कीट के हमले ने बागवानों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती है.

वीडियो रिपोर्ट

बागवान कैलाश ठाकुर, चमन ठाकुर, महेंद्र ठाकुर की मानें तो सूली कीट से बगीचों को नुकसान हो रहा है. कीड़े जड़ों को खोखला कर रहे हैं ज्यादातर सूली कीट से नुकसान पुराने बगीचों को हुआ है. बागवानी अनुसंधान की रिपोर्ट के अनुसार कुल्लू जिले में 1.6 से 10 प्रतिशत तक पौधे इस बीमारी से ग्रस्त पाए गए हैं.

बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. राकेश गोयल ने बताया जड़ छेदक कीट पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है. ऐसे पौधों की पहचान कर उनकी जड़ों से मिट्टी हटाकर कीड़ों को मार देना चाहिए. उसके बाद डरमट, मासवान, डेनूसवान 20 ईसी कीटनाशक का घोल ग्रस्त पौधों के तौलियों में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार डालना चाहिए जिससे की इसे रोका जा सके.

वहीं डॉ. राकेश गोयल ने बताया मई-जून में कीट अंडे देते हैं. इस समय दवा की ड्रिचिंग तौलिए में करनी चाहिए. ग्रस्त पौधों के तौलिए में दवा उपचार तीन साल तक करना आवश्यक है. ऐसा करने के बाद कीट को रोका जा सकता है.

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Intro:कुल्लू में सेब के पेड़ों पर सूली कीट का हमला
वूली एफिड की चपेट में भी आ रहे बगीचे
बागवानी विभाग भी कर रहा लोगो को जागरूकBody:



सर्दियों के मौसम में बागवानों ने बगीचों को संवारने का कार्य शुरू कर दिया हैं। तौलिये बनाते समय छुपे हुए कीटों का हमला भी पूरी तरह पौधों पर दिख रहा है। इन्हीं कीटों में सूली नामक कीट का हमला भी सेब पौधों पर साफ दिखाई दे रहा है। पौधों की जड़ों को अपना भोजन बनाकर चट कर रहा है। कई पौधे कीट के प्रकोप से कुछ अरसे बाद सूख जाते हैं। बागवानी अनुसंधान की एक रिपोर्ट के अनुसार कुल्लू जिले में 1.6 से सौ प्रतिशत तक पौधे इस बीमारी से ग्रस्त पाए हैं। बागवानों ने कहा कि यदि बागवान एहतियात बरतें तो जड़ छेदक सूली पर पूर्ण रूप से काबू पाया जा सकता है। बागवान अमित, राम चंद, कैलाश ठाकुर, चमन ठाकुर, चुनी लाल, महेंद्र ठाकुर, ज्ञान ठाकुर, अशोक, खेख राम, प्रताप पठानिया तथा सुशील ने कहा कि सूली नामक कीट बगीचों को काफी नुकसान पहुंचा रहा है। कीड़े जड़ों को खोखला कर रहे हैं। कुछ समय बाद पेड़ सूख रहे हैं। अमूमन यह कीट पुराने बगीचों में ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। Conclusion:



उधर, बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ राकेश गोयल ने बताया कि जड़ छेदक कीट पर पूर्ण रूप से काबू पाया जा सकता है। ऐसे पौधों की पहचान कर उनकी जड़ों से मिट्टी हटाकर कीड़ों को मार देना चाहिए। उसके बाद डरमट, मासवान, डेनूसवान 20 ईसी कीटनाशक का घोल ग्रस्त पौधों के तौलियों में विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार डालें। मई और जून में कीट अंडे देते हैं। इस समय दवा की ड्रिचिंग तौलिए में करनी चाहिए। दवा उपचार तीन साल तक ग्रस्त पौधों के तौलिए करना जरूरी है। इससे कीडे़ पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
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