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केंद्र सरकार ने जारी किया 17 करोड़ का टेंडर, जल्द पूरा होगा जलोड़ी जोत टनल का सपना, आनी और बंजार की राह होगी आसान

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 29, 2023, 6:54 PM IST

Jalodi Jot Tunnel In Kullu: अब जल्द जलोड़ी जोत में टनल का सपना पूरा होगा. जिससे आनी और बंजार की राह आसान हो जाएगी. गौरतलब है कि सर्दियों में बर्फबारी के कारण रोहतांग दर्रा बंद हो जाता है. इस टनल निर्माण के लिए अल्टीनॉक कंपनी ने मिट्टी की जांच शुरू कर दी है. पढ़िए पूरी खबर...

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कुल्लू: जिला कुल्लू के उपमंडल आनी और बंजार को अब सर्दियों में भी जोड़े रखना आसान होगा. अब जलोड़ी दर्रा में टनल बनाने की दिशा में भी केंद्र सरकार द्वारा काम किया जा रहा है. यह टनल 10,280 फीट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रे के नीचे बनेगी. ऐसे में अब अल्टीनॉक कंपनी द्वारा पहाड़ी पर मिट्टी की टेस्टिंग की जा रही है. ताकि यह पता चल सके कि टनल बनाने के दौरान यहां पर पहाड़ी में कितनी मिट्टी होगी और कितनी चट्टानें होगी? ऐसे में अब कंपनी द्वारा जलोड़ी दर्रा के खनाग और घियागी की ओर से सर्वे किया जा रहा है. केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा यह काम किया जा रहा है. ऐसे में अब अल्टीनॉक कंपनी द्वारा पहाड़ी में बोर किया जा रहा है. इसके बाद पहाड़ी से सैंपल लिए जाएंगे. सैंपल के रिपोर्ट की आधार पर आगामी कार्य भी किया जाएगा.

कंपनी की एक टीम इस काम को अंजाम दे रही है. वहीं, इस टेस्टिंग में इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि पहाड़ी में मिट्टी की कितनी परतें हैं. ताकि आगामी समय में उन्हें काम करने में आसानी हो सके. एक माह तक टीम द्वारा इस पूरे इलाके में काम किया जाएगा और घियागी से लेकर खनाग तक कई जगह पर मिट्टी के सैंपल भी लिए जाएंगे. उसके बाद यह तय हो पाया था कि आखिर सुरंग को कहां से बनाना चाहिए. हालांकि, कंपनी की ओर से विभाग को सुरंग बनाने के लिए 10 जगह से प्रपोजल दिए गए हैं, जिसमें सुरक्षा, पर्यावरण और जमीन आदि को देखते हुए अब अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

alori Jot Tunnel
जल्द पूरा होगा जलोड़ी जोत में टनल का सपना

गौरतलब है कि समुद्रतल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रा सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाता है. वहीं बरसात में भी भूस्खलन के चलते यातायात बाधित रहता है. ऐसे में उप मंडल आनी के लोगों को जिला कुल्लू आने के लिए वाया शिमला या फिर मंडी जिला होते हुए 200 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता है. कई सालों से उपमंडल आनी के लोगों की मांग थी कि यहां पर जरूरी दर्रा मे टनल का निर्माण किया जाना चाहिए. ताकि सर्दियों में भी लोगों को आवागमन की सुविधा मिल सके. अब भारत सरकार द्वारा इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है और कंपनी द्वारा मिट्टी की जांच की जा रही है. अंतिम रिपोर्ट आने के बाद कंपनी द्वारा उसे केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा. उसके बाद ही टनल बनाने की दिशा में काम शुरू किया जाएगा.

alori Jot Tunnel
जल्द पूरा होगा जलोड़ी जोत में टनल का सपना

जानकारी के अनुसार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा अल्टीनॉक कंपनी के साथ 17 करोड़ 32 लाख रुपए का टेंडर किया गया है. टनल बनाने तक का कार्य भी कंपनी द्वारा किया जाएगा और टनल बनने के 10 साल तक कंपनी द्वारा ही इसकी देखरेख की जाएगी. ऐसे में सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर कंपनी के साथ टेंडर किया गया है. फिलहाल जलोड़ी जोत टनल की अनुमानित लंबाई 4 किलोमीटर बताई गई है, लेकिन सर्वे के बाद ही यह पता चल पाएगा कि सुरंग कहां से कहां तक बनेगी. इसके बाद लंबाई कम या फिर ज्यादा भी हो सकती है.

वही, नेशनल हाईवे विंग के अधिशासी अभियंता के केएल सुमन ने बताया कि जलोड़ी जोत टनल को लेकर कंपनी की ओर से आए भू वैज्ञानिक मिट्टी की जांच कर रहे हैं. इसमें घियागी से खनाग तक कई जगह में सैंपल लिए गए हैं और उसके बाद ही तय होगा की सुरंग कहां से कहां तक बनाई जाएगी.

ये भी पढ़ें: कांगड़ा चाय का उत्पादन बढ़ा, ऑक्शन में रुचि नहीं दिखा रहे खरीदार, रेट में 25 फीसदी की गिरावट

कुल्लू: जिला कुल्लू के उपमंडल आनी और बंजार को अब सर्दियों में भी जोड़े रखना आसान होगा. अब जलोड़ी दर्रा में टनल बनाने की दिशा में भी केंद्र सरकार द्वारा काम किया जा रहा है. यह टनल 10,280 फीट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रे के नीचे बनेगी. ऐसे में अब अल्टीनॉक कंपनी द्वारा पहाड़ी पर मिट्टी की टेस्टिंग की जा रही है. ताकि यह पता चल सके कि टनल बनाने के दौरान यहां पर पहाड़ी में कितनी मिट्टी होगी और कितनी चट्टानें होगी? ऐसे में अब कंपनी द्वारा जलोड़ी दर्रा के खनाग और घियागी की ओर से सर्वे किया जा रहा है. केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा यह काम किया जा रहा है. ऐसे में अब अल्टीनॉक कंपनी द्वारा पहाड़ी में बोर किया जा रहा है. इसके बाद पहाड़ी से सैंपल लिए जाएंगे. सैंपल के रिपोर्ट की आधार पर आगामी कार्य भी किया जाएगा.

कंपनी की एक टीम इस काम को अंजाम दे रही है. वहीं, इस टेस्टिंग में इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि पहाड़ी में मिट्टी की कितनी परतें हैं. ताकि आगामी समय में उन्हें काम करने में आसानी हो सके. एक माह तक टीम द्वारा इस पूरे इलाके में काम किया जाएगा और घियागी से लेकर खनाग तक कई जगह पर मिट्टी के सैंपल भी लिए जाएंगे. उसके बाद यह तय हो पाया था कि आखिर सुरंग को कहां से बनाना चाहिए. हालांकि, कंपनी की ओर से विभाग को सुरंग बनाने के लिए 10 जगह से प्रपोजल दिए गए हैं, जिसमें सुरक्षा, पर्यावरण और जमीन आदि को देखते हुए अब अंतिम निर्णय लिया जाएगा.

alori Jot Tunnel
जल्द पूरा होगा जलोड़ी जोत में टनल का सपना

गौरतलब है कि समुद्रतल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित जलोड़ी दर्रा सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाता है. वहीं बरसात में भी भूस्खलन के चलते यातायात बाधित रहता है. ऐसे में उप मंडल आनी के लोगों को जिला कुल्लू आने के लिए वाया शिमला या फिर मंडी जिला होते हुए 200 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ता है. कई सालों से उपमंडल आनी के लोगों की मांग थी कि यहां पर जरूरी दर्रा मे टनल का निर्माण किया जाना चाहिए. ताकि सर्दियों में भी लोगों को आवागमन की सुविधा मिल सके. अब भारत सरकार द्वारा इस दिशा में काम शुरू कर दिया गया है और कंपनी द्वारा मिट्टी की जांच की जा रही है. अंतिम रिपोर्ट आने के बाद कंपनी द्वारा उसे केंद्र सरकार को सौंपा जाएगा. उसके बाद ही टनल बनाने की दिशा में काम शुरू किया जाएगा.

alori Jot Tunnel
जल्द पूरा होगा जलोड़ी जोत में टनल का सपना

जानकारी के अनुसार केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा अल्टीनॉक कंपनी के साथ 17 करोड़ 32 लाख रुपए का टेंडर किया गया है. टनल बनाने तक का कार्य भी कंपनी द्वारा किया जाएगा और टनल बनने के 10 साल तक कंपनी द्वारा ही इसकी देखरेख की जाएगी. ऐसे में सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर कंपनी के साथ टेंडर किया गया है. फिलहाल जलोड़ी जोत टनल की अनुमानित लंबाई 4 किलोमीटर बताई गई है, लेकिन सर्वे के बाद ही यह पता चल पाएगा कि सुरंग कहां से कहां तक बनेगी. इसके बाद लंबाई कम या फिर ज्यादा भी हो सकती है.

वही, नेशनल हाईवे विंग के अधिशासी अभियंता के केएल सुमन ने बताया कि जलोड़ी जोत टनल को लेकर कंपनी की ओर से आए भू वैज्ञानिक मिट्टी की जांच कर रहे हैं. इसमें घियागी से खनाग तक कई जगह में सैंपल लिए गए हैं और उसके बाद ही तय होगा की सुरंग कहां से कहां तक बनाई जाएगी.

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