कुल्लूः पर्यटन नगरी मनाली से लेह तक सड़क बहाल के बाद अब बीआरओ ने शिंकुला दर्रे को भी बहाल कर दिया है. शिंकुला दर्रे के बहाल होने से अब सेना के वाहनों को कारगिल घाटी तक पहुंचना काफी आसान हो गया है.
वहीं, जास्कर घाटी के लोग भी शिंकुला दर्रे पर सफर कर सकेंगे. अटल टनल ने अबकी बार बीआरओ के सड़क बहाली के काम में काफी तेजी लाई है. वहीं, बीआरओ भी लगातार अन्य सड़कों के बहाली के काम में भी जुटा हुआ है. दारचा-पदुम-जांस्कर सड़क बहाल होने से मनाली से कारगिल का सफर 260 किलोमीटर कम हो गया है. बीआरओ ने इस बार अप्रैल व मई में लगातार बर्फ बारी जारी रहने के बाद भी शिंकुला दर्रे को पिछले साल की तुलना में एक महीना पहले बहाल कर दिया है. बीआरओ ने बारालाचा दर्रे के बाद कुंजुम दर्रे को बहाल किया और वीरवार को शिंकुला दर्रे को बहाल करने में सफलता पाई है.
कारगिल की दूरी में आई कमी
कुछ जगह सड़क चौड़ाई का कार्य चल रहा है जिसके पूरा होते ही भारतीय सेना के लिए सरहद में पहुंचना और आसान हो जाएगा. आपात स्थिति में यह मार्ग सबसे सुरक्षित है. इस मार्ग की दूरी कम होने से समय भी कम लगेगा. पहले कारगिल पहुंचने के लिए मनाली से सरचू-लेह व कारगिल तक 885 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी जो अटल टनल बनते ही 830 किमी रह गई थी. तो वहीं, अब शिंकुला से जास्कर घाटी होते हुए कारगिल की दूरी 634 किलोमीटर ही रह गई है.
एक दिन के भीतर जास्कर घाटी से पहुंच सकेंगे मनाली
जास्कर घाटी के लोगों को पहले कारगिल, लेह व सरचू होते हुए 4 दिन का सफर करना पड़ता था. अब शिंकुला दर्रा के बहाल होते ही एक दिन के भीतर जास्कर घाटी से मनाली पहुंच सकेंगे. बीआरओ कमांडर कर्नल उमा शंकर का कहा कि सरचू होते हुए लेह-लद्दाख को पहले ही मनाली से जोड़ दिया था. मंगलवार को कुंजुम दर्रे को भी बहाल कर लिया था अब जास्कर व कारगिल घाटी को शिंकुला होते हुए मनाली से जोड़ा है. जल्द ही रोहतांग दर्रे को भी बहाल कर लिया जाएगा.
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