कुल्लू: 3 अक्टूबर को जहां देश के प्रधानमंत्री अटल टनल रोहतांग का उद्घाटन करेंगे. वहीं, इस टनल के खुलने से अब लाहौल की पूरी परिस्थितियों में भी बदलाव आएगा. एक ओर जहां लाहौल के लोगों को आवागमन की सुविधा मिलेगी तो वहीं, लाहौल घाटी में रोजगार व विकास के द्वार भी खुलेंगे.
अटल टनल लाहौल के लोगों के लिए वरदान बनकर सामने आएगी. इससे पहले भी सरकार के द्वारा लाहौल के विकास के लिए प्रयास किए जाते रहे, लेकिन हर बार उस विकास में रोहतांग दर्रा बाधा बनकर सामने खड़ा हो जाता था.
6 माह तक भारी बर्फबारी के कारण लाहौल का आवागमन पूरी तरह से बंद हो जाता था और विकास के कार्य भी बंद हो जाते थे. अब जहां टनल से हर मौसम में लाहौल पहुंचना आसान होगा तो वहीं, स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार के द्वार खुलेंगे.
हालांकि पर्यटन के हिसाब से लाहौल को विकसित होने में काफी लंबा समय लगेगा, लेकिन धार्मिक पर्यटन के बढ़ने से लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी. लाहौल घाटी में ऐसे कई मनोरम पर्यटन स्थल हैं जो देश विदेश से आने वाले पर्यटकों का मनमोह लेंगे.
वहीं, धार्मिक स्थानों की और भी पर्यटकों का रुझान बढ़ेगा. ट्रैकिंग रूट पर भी पर्यटकों का आकर्षण होगा और शीतकालीन खेलों के लिए भी लाहौल घाटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएगी.
पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि टनल बनने के बाद अब पर्यटन के क्षेत्र में प्रदेश सरकार को कार्य करना होगा. लाहौल में पर्यटन स्थल तो बहुत हैं, लेकिन पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाओं को जुटाना अभी एक बड़ी चुनौती है.
अगले साल गर्मियों में मनाली आने वाला पर्यटक लाहौल घाटी का भी रुख करेगा, लेकिन ठहरने के लिए होटल, पार्किंग व खाने पीने की वस्तुओं का भी उचित प्रबंध होना चाहिए, ताकि लाहौल घाटी आने वाला पर्यटक निराश न हो सके.
गर्मियों में रोहतांग दर्रा खुला होने से देश विदेश के पर्यटक लेह का रुख करते हैं तो ऐसे में वे अपना थोड़ा समय लाहौल में गुजारते हैं. टनल के खुलने से वे अब सर्दियों में भी बर्फबारी के मजा लेने के लिए सिस्सू का रुख कर सकते हैं और महाभारत कालीन मंदिर भी धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मील का पत्थर साबित होंगे.