ETV Bharat / state

जलोड़ी टनल की डीपीआर तैयार करेगी अल्टीनोक कंपनी, निर्माण में खर्च होंगे 990 करोड़

कुल्लू जिले के उपमंडल बंजार व आनी को आपस में जोड़ने वाली जलोड़ी टनल का निर्माण अब जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. क्योंकि यहां पर अब एक निजी कंपनी को डीपीआर बनाने का काम सौंप दिया गया है. 97 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग 305 पर सर्दियों के मौसम में अब स्थानीय लोगों को जलोड़ी दर्रा नहीं सताएगा. पढे़ं पूरी खबर...

जलोड़ी टनल
जलोड़ी टनल
author img

By

Published : Dec 13, 2022, 4:59 PM IST

कुल्लू: जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार व आनी को आपस में जोड़ने वाली जलोड़ी टनल का निर्माण अब जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. क्योंकि यहां पर अब एक निजी कंपनी को डीपीआर बनाने का काम सौंप दिया गया (DPR of Jalori tunnel) है. 97 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग 305 पर सर्दियों के मौसम में अब स्थानीय लोगों को जलोड़ी दर्रा नहीं सताएगा. एनएच 305 के द्वारा खनाग से घीयगी के बीच 4.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के लिए रास्ता साफ कर दिया गया है. इसके लिए अल्टीनोक कंपनी को चुना गया है और यह कंपनी जलोड़ी दर्रा की टनल की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगी. तकनीकी मूल्यांकन के लिए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पास दो कंपनियों ने आवेदन किया था. जिसमें से अल्टीनोक कंपनी को यह काम दे दिया गया है.

मिली जानकारी के अनुसार जलोड़ी दर्रा में बनने वाली यह टनल डबल लेन होगी. वहीं, इस टनल में पानी, बिजली व टेलीफोन लाइन डालने के भी व्यवस्था होगी. टनल बनने के बाद लुहरी सैंज सड़क मार्ग पर साल भर वाहनों की आवाजाही होगी. इससे लोगों के समय के साथ-साथ पैसों की भी बचत होगी. वहीं, टनल बनने से लाहौल स्पीति, कुल्लू, मंडी, शिमला व किन्नौर के लाखों लोग इससे लाभान्वित होंगे. वहीं, इस सुरंग के निर्माण पर लगभग 990 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे. टनल के बनने से शिमला से मनाली की दूरी भी 40 से 45 किलोमीटर कम हो जाएगी.

गौर रहे कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर सर्दी और बरसात में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना जलोड़ी दर्रे के कारण लोगों को करना पड़ता है. भारी बर्फबारी के चलते जलोड़ी दर्रा वाहनों की आवाजाही के लिए बंद हो जाता है. ऐसे में लोगों को मंडी जिले के करसोग होकर आना जाना पड़ता है. शिमला जिले के लुहरी से कुल्लू की दूरी 120 किलोमीटर है. जलोड़ी दर्रा बंद होने से कुल्लू की दूरी 220 किलोमीटर हो जाती है. जिस कारण लोगों को आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ता है.

जलोड़ी दर्रा में टनल के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने वायु सेना की मदद से जियोलॉजिकल सर्वेक्षण एमआई 17 हेलीकॉप्टर के माध्यम से करवाया था. 19 दिसंबर 2019 को यह सर्वे किया गया था. इसमें जलोड़ी दर्रे में टनल के निर्माण को लेकर अंदर पत्थर व पानी का पता लगाया गया है. वहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग 305 के अधिशासी अभियंता के के एल सुमन ने बताया कि जलोड़ी दर्रे में टनल बनाने के लिए डीपीआर का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके लिए अल्टीनोक कंपनी का चयन किया गया है. कंपनी के द्वारा डीपीआर तैयार की जाएगी और उसके बाद उसे मंजूरी के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें: भुंतर हत्याकांड: पत्नी की हत्या कर फरार पति हरिद्वार से गिरफ्तार, नाम बदल कर चला रहा था रिक्शा

कुल्लू: जिला कुल्लू के उपमंडल बंजार व आनी को आपस में जोड़ने वाली जलोड़ी टनल का निर्माण अब जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है. क्योंकि यहां पर अब एक निजी कंपनी को डीपीआर बनाने का काम सौंप दिया गया (DPR of Jalori tunnel) है. 97 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग 305 पर सर्दियों के मौसम में अब स्थानीय लोगों को जलोड़ी दर्रा नहीं सताएगा. एनएच 305 के द्वारा खनाग से घीयगी के बीच 4.2 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के लिए रास्ता साफ कर दिया गया है. इसके लिए अल्टीनोक कंपनी को चुना गया है और यह कंपनी जलोड़ी दर्रा की टनल की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगी. तकनीकी मूल्यांकन के लिए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के पास दो कंपनियों ने आवेदन किया था. जिसमें से अल्टीनोक कंपनी को यह काम दे दिया गया है.

मिली जानकारी के अनुसार जलोड़ी दर्रा में बनने वाली यह टनल डबल लेन होगी. वहीं, इस टनल में पानी, बिजली व टेलीफोन लाइन डालने के भी व्यवस्था होगी. टनल बनने के बाद लुहरी सैंज सड़क मार्ग पर साल भर वाहनों की आवाजाही होगी. इससे लोगों के समय के साथ-साथ पैसों की भी बचत होगी. वहीं, टनल बनने से लाहौल स्पीति, कुल्लू, मंडी, शिमला व किन्नौर के लाखों लोग इससे लाभान्वित होंगे. वहीं, इस सुरंग के निर्माण पर लगभग 990 करोड रुपए खर्च किए जाएंगे. टनल के बनने से शिमला से मनाली की दूरी भी 40 से 45 किलोमीटर कम हो जाएगी.

गौर रहे कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर सर्दी और बरसात में सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना जलोड़ी दर्रे के कारण लोगों को करना पड़ता है. भारी बर्फबारी के चलते जलोड़ी दर्रा वाहनों की आवाजाही के लिए बंद हो जाता है. ऐसे में लोगों को मंडी जिले के करसोग होकर आना जाना पड़ता है. शिमला जिले के लुहरी से कुल्लू की दूरी 120 किलोमीटर है. जलोड़ी दर्रा बंद होने से कुल्लू की दूरी 220 किलोमीटर हो जाती है. जिस कारण लोगों को आर्थिक रूप से भी नुकसान उठाना पड़ता है.

जलोड़ी दर्रा में टनल के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने वायु सेना की मदद से जियोलॉजिकल सर्वेक्षण एमआई 17 हेलीकॉप्टर के माध्यम से करवाया था. 19 दिसंबर 2019 को यह सर्वे किया गया था. इसमें जलोड़ी दर्रे में टनल के निर्माण को लेकर अंदर पत्थर व पानी का पता लगाया गया है. वहीं, राष्ट्रीय राजमार्ग 305 के अधिशासी अभियंता के के एल सुमन ने बताया कि जलोड़ी दर्रे में टनल बनाने के लिए डीपीआर का कार्य शुरू कर दिया गया है. इसके लिए अल्टीनोक कंपनी का चयन किया गया है. कंपनी के द्वारा डीपीआर तैयार की जाएगी और उसके बाद उसे मंजूरी के लिए केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय को भेजा जाएगा.

ये भी पढ़ें: भुंतर हत्याकांड: पत्नी की हत्या कर फरार पति हरिद्वार से गिरफ्तार, नाम बदल कर चला रहा था रिक्शा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.