कुल्लू: प्रदेश में अभी तक 62 हजार से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है. अब साल 2020 में प्रदेश के 2 लाख किसानों को इसका प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि प्रदेश की खेती को जहर मुक्त बनाया जा सके.
कृषि मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि हिमाचल में रासायनिक और जैविक खेती को बंद कर दिया है. प्रदेश में पूरी तरह से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल में एक साल में 50 हजार से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती के साथ जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि प्रदेश में प्राकृतिक खेती पर किसानों की बढ़ रही रुचि से यह आंकड़ा एक लाख भी हो सकता है.
कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों के रासायनिक खेती छोड़ प्राकृतिक खेती अपनाने पर किसानों द्वारा की जाने वाली आत्महत्या पर भी रोक लग सकेगी. प्रदेश में हर साल एक लाख 20 हजार टन अंग्रेजी खाद इस्तेमाल होती है, लेकिन बीते साल में 3000 टन अंग्रेजी खाद की डिमांड कम हुई है. इससे प्रदेश में प्राकृतिक खेती पर लोगों की रुचि बढ़ने का अंदाजा लगाया जा सकता है. बागवान भी बागबान भी जीरो बजट खेती के बारे में जानना चाहते हैं.
डॉ. रामलाल मारकंडा ने कहा कि प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य कृषि लागत को कम कर इसे लाभदायक बनाना है. साथ ही कई तरह के कृषि उत्पादों को बढ़ावा देना है. प्राकृतिक खेती से भूमि उपजाऊ बनती है और पर्यावरण सुरक्षित रहता है. साथ ही किसानों की आर्थिकी में भी सुधार आता है. राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभाग किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है.
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