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अद्भुत हिमाचल: एक ऐसा हिंदू परिवार जो कर रहा मजार की निगरानी, हिन्दू-मुस्लिम एकता को मिल रहा बढ़ावा

देवभूमि को यूं ही अद्भुत हिमाचल नहीं कहा जाता है. दरअसल यहां कई मान्यताएं और परंपराएं हैं जो देवभूमि की संस्कृति को समृद्ध करती है. हिंदू परिवार 1908 में कुल्लू आया था. उसके बाद से लेकर आज तक उनका परिवार पीर बाबा लाला वाले मजार की देखरेख कर रहा है. बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग इस मजार में मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं.

अद्भुत हिमाचल
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Published : Jan 4, 2021, 3:33 PM IST

कुल्लू: देश में जहां सांप्रदायिक तनाव के चलते कई बार माहौल हिंसक हो जाता है वहीं देवभूमि हिमाचल धार्मिक एकता की मिसाल पेश करता है. धर्म के नाम पर लोगों के बीच पैदा हुई खाई को कम करने का एक ऐसा उदाहरण हिमाचल में देखने को मिलता है जिसे देख हर कोई प्रशंसा करने से नहीं रुकता.

हम बात कर रहे है कुल्लू जिला के अखाड़ा बाजार में स्थित पीर बाबा लाला वाले मजार की. रोचक बात ये है कि वर्षों से एक हिंदू परिवार मजार की देखरेख कर रहा है.

अद्भुत हिमाचल

'हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है'

मान्यता है कि पीर बाबा लाला वाले की मजार में आने वाले हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है. बाबा के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता. मुरादों के साथ-साथ लोगों में सांप्रदायिक सद्भावना भी बढ़ रही है. मजार पर किसी भी जाति व कोई भी धर्म का व्यक्ति कभी भी आ सकता है. विशेष कर हिंदू समुदाय के लोगों की बाबा से एक अटूट आस्था है.

देश में अमन व शांति का माहौल कायम रहे

मजार की देखरेख में जुटे हिंदू परिवार का कहना है कि देश में दो समुदाय के बीच कई बार माहौल खराब होता है. उन्हें इसका मलाल है ऐसे में वह यही चाहते हैं कि देश में अमन व शांति का माहौल कायम रहे.

कुल्लू: देश में जहां सांप्रदायिक तनाव के चलते कई बार माहौल हिंसक हो जाता है वहीं देवभूमि हिमाचल धार्मिक एकता की मिसाल पेश करता है. धर्म के नाम पर लोगों के बीच पैदा हुई खाई को कम करने का एक ऐसा उदाहरण हिमाचल में देखने को मिलता है जिसे देख हर कोई प्रशंसा करने से नहीं रुकता.

हम बात कर रहे है कुल्लू जिला के अखाड़ा बाजार में स्थित पीर बाबा लाला वाले मजार की. रोचक बात ये है कि वर्षों से एक हिंदू परिवार मजार की देखरेख कर रहा है.

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'हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है'

मान्यता है कि पीर बाबा लाला वाले की मजार में आने वाले हर श्रद्धालु की मुराद पूरी होती है. बाबा के दरबार से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता. मुरादों के साथ-साथ लोगों में सांप्रदायिक सद्भावना भी बढ़ रही है. मजार पर किसी भी जाति व कोई भी धर्म का व्यक्ति कभी भी आ सकता है. विशेष कर हिंदू समुदाय के लोगों की बाबा से एक अटूट आस्था है.

देश में अमन व शांति का माहौल कायम रहे

मजार की देखरेख में जुटे हिंदू परिवार का कहना है कि देश में दो समुदाय के बीच कई बार माहौल खराब होता है. उन्हें इसका मलाल है ऐसे में वह यही चाहते हैं कि देश में अमन व शांति का माहौल कायम रहे.

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