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अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा: 300 साल बाद कुल्लू दशहरे में पहुंचे 280 देवी-देवता

359 साल के दशहरा इतिहास में दावा किया जा रहा है कि 300 साल बाद इस बार 280 देवी देवताओं ने शिरकत की है. इससे पहले, 17वीं शताब्दी में महोत्सव में 365 देवी-देवताओं पहुंचे थे.

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा: तीन सौ साल बाद कुल्लू दशहरे में पहुंचे 280 देवी-देवता
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Published : Oct 11, 2019, 4:50 PM IST

कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव में इस बार तीन सौ साल के बाद 280 देवी-देवताओं ने शिरकत की है. इससे पहले 17वीं शताब्दी में इस महोत्सव में 365 देवी-देवताओं के आने का दावा किया जाता रहा है.

कुल्लू के ढालपुर मैदान में पिछले 359 साल से इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इस बार दशहरे में करीब 300 साल बाद रिकॉर्ड 280 देवी-देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे हैं. दशहरा उत्सव समिति ने भी रिकॉर्ड 331 देवी-देवताओं को इस महोत्सव में आने के लिए निमंत्रण दिया था.

यही नहीं, इस बार आठ देवता बिना निमंत्रण के पहली बार उत्सव की शोभा बढ़ा रहे हैं. अयोध्या से भगवान रघुनाथ की धातु की प्रतिमा लाने के बाद कुल्लू में दशहरा मनाया जा रहा है. दशहरे के करीब एक दशक के भीतर जिले भर से 365 देवी-देवता ढालपुर पहुंचे. बाद में इनकी संख्या में कमी आने लगी है और यह संख्या घटकर करीब 150 तक पहुंच गई.

वीडियो.

साठ के दशक के बाद दशहरे के लिए देवी-देवताओं को जिला प्रशासन की तरफ से निमंत्रण देना शुरू किया. वर्ष 2000 के बाद यह आंकड़ा 200 के पार पहुंच गया. दशहरा उत्सव समिति के राजस्व रिकॉर्ड में पंजीकृत 290 देवी-देवताओं में 130 गैर माफीदार, माफीदार 142 और आठ देवरथ बिना बुलाए पहुंचे हैं.

सेवानिवृत्त जिला भाषा अधिकारी डॉ. सीता राम ठाकुर ने कहा कि 17वीं शताब्दी के दौरान दशहरा में 365 देवी-देवताओं ने भाग लिया था, लेकिन पिछले 300 सालों में पहली बार दशहरा में 280 देवरथ दशहरा की शान बढ़ाने पहुंचे हैं.

भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि ढालपुर मैदान में वर्ष 1660 से कुल्लू दशहरे का आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले मणिकर्ण और नग्गर में भी दशहरे का आयोजन किया जाता रहा है.

कुल्लू: अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव में इस बार तीन सौ साल के बाद 280 देवी-देवताओं ने शिरकत की है. इससे पहले 17वीं शताब्दी में इस महोत्सव में 365 देवी-देवताओं के आने का दावा किया जाता रहा है.

कुल्लू के ढालपुर मैदान में पिछले 359 साल से इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इस बार दशहरे में करीब 300 साल बाद रिकॉर्ड 280 देवी-देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे हैं. दशहरा उत्सव समिति ने भी रिकॉर्ड 331 देवी-देवताओं को इस महोत्सव में आने के लिए निमंत्रण दिया था.

यही नहीं, इस बार आठ देवता बिना निमंत्रण के पहली बार उत्सव की शोभा बढ़ा रहे हैं. अयोध्या से भगवान रघुनाथ की धातु की प्रतिमा लाने के बाद कुल्लू में दशहरा मनाया जा रहा है. दशहरे के करीब एक दशक के भीतर जिले भर से 365 देवी-देवता ढालपुर पहुंचे. बाद में इनकी संख्या में कमी आने लगी है और यह संख्या घटकर करीब 150 तक पहुंच गई.

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साठ के दशक के बाद दशहरे के लिए देवी-देवताओं को जिला प्रशासन की तरफ से निमंत्रण देना शुरू किया. वर्ष 2000 के बाद यह आंकड़ा 200 के पार पहुंच गया. दशहरा उत्सव समिति के राजस्व रिकॉर्ड में पंजीकृत 290 देवी-देवताओं में 130 गैर माफीदार, माफीदार 142 और आठ देवरथ बिना बुलाए पहुंचे हैं.

सेवानिवृत्त जिला भाषा अधिकारी डॉ. सीता राम ठाकुर ने कहा कि 17वीं शताब्दी के दौरान दशहरा में 365 देवी-देवताओं ने भाग लिया था, लेकिन पिछले 300 सालों में पहली बार दशहरा में 280 देवरथ दशहरा की शान बढ़ाने पहुंचे हैं.

भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि ढालपुर मैदान में वर्ष 1660 से कुल्लू दशहरे का आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले मणिकर्ण और नग्गर में भी दशहरे का आयोजन किया जाता रहा है.

Intro:300 साल बाद दशहरा उत्सव में पहुंचे 280 देवी देवताBody:
कुल्लू
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा महोत्सव में इस बार तीन सौ साल के बाद 280 देवी-देवताओं ने शिरकत की है। इससे पहले 17वीं शताब्दी में इस महोत्सव में 365 देवी-देवताओं के आने का दावा किया जाता रहा है। कुल्लू के ढालपुर मैदान में कि पिछले 359 साल से इस महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इस बार दशहरे में करीब 300 साल बाद रिकॉर्ड 280 देवी-देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे हैं। दशहरा उत्सव समिति ने भी रिकॉर्ड 331 देवी-देवताओं को इस महोत्सव में आने के लिए निमंत्रण दिया था। यही नहीं, इस बार आठ देवता बिना निमंत्रण के पहली बार उत्सव की शोभा बढ़ा रहे हैं। अयोध्या से भगवान रघुनाथ की धातु की प्रतिमा लाने के बाद कुल्लू में दशहरा मनाया जा रहा है। दशहरे के करीब एक दशक के भीतर जिले भर से 365 देवी-देवता ढालपुर पहुंचे। बाद में इनकी संख्या में कमी आने लगी है और यह संख्या घटकर करीब 150 तक पहुंच गई। साठ के दशक के बाद दशहरे के लिए देवी-देवताओं को जिला प्रशासन की तरफ से निमंत्रण देना शुरू किया। वर्ष 2000 के बाद यह आंकड़ा 200 के पार पहुंच गया। दशहरा उत्सव समिति के राजस्व रिकॉर्ड में पंजीकृत 290 देवी-देवताओं में 130 गैर माफीदार, माफीदार 142 और आठ देवरथ बिना बुलाए पहुंचे हैं। सेवानिवृत्त जिला भाषा अधिकारी डॉ. सीता राम ठाकुर ने कहा कि 17वीं शताब्दी के दौरान दशहरा में 365 देवी-देवताओं ने भाग लिया था, Conclusion:लेकिन पिछले 300 सालों में पहली बार दशहरा में 280 देवरथ दशहरा की शान बढ़ाने पहुंचे हैं। भगवान रघुनाथ के मुख्य छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि ढालपुर मैदान में वर्ष 1660 से कुल्लू दशहरे का आयोजन किया जा रहा है। इससे पहले मणिकर्ण और नग्गर में भी दशहरे का आयोजन किया जाता रहा है।
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