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शतकवीर मतदाता 110 वर्षीय शाड़ी देवी का सपना रह गया अधूरा, सरकार को लोकगीत के माध्यम से की थी अपील

कुल्लू की सबसे दुर्गम पंचायत गाड़ापारली के शाकटी गांव की 110 वर्षीय शाड़ी देवी का निधन हो गया. शाड़ी देवी की अंतिम इच्छा थी कि उनके गांव में बिजली और सड़क सुविधा मुहैया करवाई जाए, लेकिन उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने में प्रदेश और केन्द्र सरकार दोनों ही विफल रही. निर्वाचन विभाग द्वारा बुजुर्ग महिला को वोट प्रतिशतता बढ़ाने के प्रयास के लिए सम्मानित भी किया जा चुका था.

शतकवीर मतदाता 110 वर्षीय शाड़ी देवी
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Published : Aug 6, 2019, 7:46 PM IST

कुल्लूः जिले की सबसे दुर्गम पंचायत गाड़ापारली के शाकटी गांव की 110 वर्षीय शाड़ी देवी का शनिवार को निधन हो गया. शाड़ी देवी अपने पूरे जीवन में न तो सड़क का लाभ ले पाई और न ही बिजली की रोशनी देख पाई.

शाड़ी देवी की अंतिम इच्छा थी कि उनके गांव में बिजली और सड़क सुविधा मुहैया करवाई जाए, लेकिन उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने में प्रदेश और केन्द्र सरकार दोनों ही विफल रही.
शाड़ी देवी ने लोकगीत के माध्यम से गांव को सड़क व बिजली देने की अपील की थी जो चुनावी शोर में थम सी गई.

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कुल्लू की सबसे दुर्गम पंचायत गाड़ापारली का शाकटी गांव

गौर रहे कि निर्वाचन विभाग द्वारा लोकसभा चुनाव में शाड़ी देवी को कुल्लवी शॉल व गुलदस्ता देकर सम्मानित करके वोट प्रतिशतता को बढ़ाने का प्रयास किया जो सफल भी रहा, लेकिन इसी दौरान शाड़ी देवी ने लोकगीत के माध्यम से गांव को सड़क व बिजली देने की अपील की थी जो चुनावी शोर में थम सी गई.

जिला कुल्लू का यह शाकटी गांव देव परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. कुल्लू के साथ-साथ मंडी जिले से भी विभिन्न देवी-देवता अपनी शुद्धि के लिए शाकटी गांव में आते हैं, लेकिन देव मिलन से पहले यहां आने वाले सभी देवी देवता शाड़ी देवी से जरूर मिलन करते थे.

ये भी पढ़ें- सरपारा में पर्यटन की अपार संभावनाएं, लोगों ने की विकसित करने की मांग

शाकटी गांव के आराध्य देवता वशिष्ठ ऋषि के कारदार लूदर सिंह ने भावुक होते हुए बताया कि शाड़ी देवी की क्षतिपूर्ति देव समाज के लिए कभी पूरी नहीं हो सकती.

कुल्लूः जिले की सबसे दुर्गम पंचायत गाड़ापारली के शाकटी गांव की 110 वर्षीय शाड़ी देवी का शनिवार को निधन हो गया. शाड़ी देवी अपने पूरे जीवन में न तो सड़क का लाभ ले पाई और न ही बिजली की रोशनी देख पाई.

शाड़ी देवी की अंतिम इच्छा थी कि उनके गांव में बिजली और सड़क सुविधा मुहैया करवाई जाए, लेकिन उनकी अंतिम इच्छा पूरी करने में प्रदेश और केन्द्र सरकार दोनों ही विफल रही.
शाड़ी देवी ने लोकगीत के माध्यम से गांव को सड़क व बिजली देने की अपील की थी जो चुनावी शोर में थम सी गई.

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कुल्लू की सबसे दुर्गम पंचायत गाड़ापारली का शाकटी गांव

गौर रहे कि निर्वाचन विभाग द्वारा लोकसभा चुनाव में शाड़ी देवी को कुल्लवी शॉल व गुलदस्ता देकर सम्मानित करके वोट प्रतिशतता को बढ़ाने का प्रयास किया जो सफल भी रहा, लेकिन इसी दौरान शाड़ी देवी ने लोकगीत के माध्यम से गांव को सड़क व बिजली देने की अपील की थी जो चुनावी शोर में थम सी गई.

जिला कुल्लू का यह शाकटी गांव देव परंपरा के लिए प्रसिद्ध है. कुल्लू के साथ-साथ मंडी जिले से भी विभिन्न देवी-देवता अपनी शुद्धि के लिए शाकटी गांव में आते हैं, लेकिन देव मिलन से पहले यहां आने वाले सभी देवी देवता शाड़ी देवी से जरूर मिलन करते थे.

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शाकटी गांव के आराध्य देवता वशिष्ठ ऋषि के कारदार लूदर सिंह ने भावुक होते हुए बताया कि शाड़ी देवी की क्षतिपूर्ति देव समाज के लिए कभी पूरी नहीं हो सकती.

Intro:कुल्लू
बिजली-सड़क का अधूरा सपना लिए मौत की गोद में सोई शाकटी की शाड़ीBody:

जिला कुल्लू की सबसे दुर्गम पंचायत गाड़ापारली के अति दुर्गम गांव शाकटी में रहने वाली शाड़ी देवी की गत देर शाम स्वास्थ्य बिगड़ने से मौत हो गई । 110 वर्षीय शाड़ी देवी अपने पूरे जीवन में न तो भाग्य रेखा कही जाने बाली सड़क का लाभ ले पाई और न ही बिजली की रोशनी देख पाई । शाड़ी देवी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए न तो प्रदेश सरकार सामने आई और न ही केंद्र सरकार अभी तक कुछ कर पाई है । गौर रहे कि निर्वाचन विभाग द्वारा लोकसभा चुनावों इस महिला को कुल्लवी शॉल व गुलदस्ता देकर सम्मानित करके वोट प्रतिशतता को बढ़ाने का प्रयास किया जो सफल भी रहा लेकिन इसी दौरान शाढ़ी देवी ने लोकगीत के माध्यम से गांव को सड़क व बिजली देने की अपील की थी जो चुनावी शोर में थम सी गई । गत दिन को अपनी अंतिम इच्छा पूरी किए विना शाढ़ी देवी सभी को अलविदा कह गई।
Conclusion:बॉक्स
देव समाज से भी जुड़ा था रिश्ता.........
शाकटी गांव देव परंपरा के लिए प्रसिद्ध है जिला कुल्लू के अतिरिक्त मंडी जिला से भी विभिन्न देवी-देवता अपनी शुद्धि के लिए शाकटी गांव में आते हैं लेकिन देव मिलन से पहले यहां आने बाले सभी देवी देवता शाढ़ी देवी से जरूर मिलन करते थे । शाकटी गांव के आराध्य देवता वशिष्ठ ऋषि के कारदार लूदर सिंह ने भावुक होते हुए बताया कि शाढ़ी देवी की क्षतिपूर्ति देव समाज के लिए कभी पूरी नहीं हो सकती ।
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