किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में इन दिनों ऊपरी क्षेत्रों में गेहूं की फसल तैयार हो चुकी है और अब गेहूं को सुखाने के बाद मढ़ाई शुरू कर दी है. इससे पहले किन्नौर के लोग मजदूरों के सहारे गेहूं की मड़ाई हाथों से करवाया करते थे, लेकिन अब कोरोना संक्रमण और मजदूरों की कमी के कारण लोग अपनी पुराने तौर तरीकों की ओर रुख कर रहे हैं.
जिला किन्नौर के कानम, लाबरनग, नेसङ्ग, रोपा वैली में इन दिनों गेहूं पक कर तैयार हो गई है और लोगों ने अब अपने खेतों से गेहूं को खलियानों के मध्य लेकर पुराने तौर तरीकों से मड़ाई शुरू कर दी है.
इससे पहले जिला किन्नौर के लोग मजदूरों पर निर्भर हुआ करते थे और गेहूं की कटाई से लेकर मड़ाई तक मजदूरों से करवाते थे, लेकिन अब मजदूरों की कमी के चलते जिला के लोगों ने गेहूं की कटाई खुद स्थानीय खच्चरों व गधों से मड़ाई करवा रहे हैं. इस पारंपरिक मढ़ाई से गेहूं के दाने नहीं बिखरते हैं और लोगों की फसल व्यर्थ भी नहीं होती है.
बता दें कि जिला किन्नौर में इस साल कोरोनाकाल के चलते लोगों ने अपने सैकड़ों वर्ष पुराने तौर तरीकों से भी काम करना शुरू किया है और लोग आत्मनिर्भरता के साथ खेतों से लेकर घर के सारे कार्य खुद करने लगे हैं. जिससे स्थानीय लोगों की सेहत के साथ मजदूरों को देने वाली मजदूरी भी बच रही है और लोगों की आर्थिक स्थिति पहले के मुताबिक ज्यादा ठीक होने लगी है.
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