किन्नौर: जिला के पूह खण्ड के तहत रारंग गांव में पांच दिवसीय गुरु सांगयास मेला का समापन हो गया है. बता दें कि पांच दिनों में गुरु सांगयास कार्यक्रम में अलग-अलग नृत्य, धार्मिक, अनुष्ठान, हवन किये जाते हैं, जिसमें सम्पूर्ण समाज के सुखी रहने कामना की जाती है.
डुकपा गुरु छोग्योंन रिनपोछे ने बताया कि गुरु सांगयास गुरुओं की याद व उनके तपस्या से किन्नौर की भूमि को पवित्र बनाया गया है, इसलिए हिमालयी क्षेत्रों में इस पर्व को मनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इस पर्व को पचास वर्षों से मनाया जा रहा है और इस पर्व में छम्म मेले को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं.
बता दें कि छम्म मेला का आयोजन 7 जुलाई से 11 जुलाई तक किया गया था. छम्म मेला बोदिस्ट में एक कलाकारी नृत्य है. जिसमें लामा नृत्य कर लोगों को आकर्षित किया जाती है. साथ ही मुखटे पहनकर बोदिस्ट व किन्नौरी नृत्य करते हैं, जिसे कायनग कहते है. कार्यक्रम में आए गुरु छोग्योंन रिंपोछे का जन्म पहले रारंग में हुआ था, लेकिन इस जन्म में उन्होंने लद्दाख में जन्म लिया है. हर साल अपने पुराने जन्म स्थल रारंग में गुरु सांगयास कार्यक्रम में आते हैं, जिसका इंतजार तमाम किन्नौरवासियों को रहता है.