किन्नौर: जिला किन्नौर की पहाड़ियों अब बर्फ की सफेद चादर से ढक चुकी हैं. जिसके चलते अब जिले की पहाड़ियों पर पतझड़ भी शुरू होने लगा है. ऊंचे पहाड़ों में सबसे पहले किन्नर कैलाश की पहाड़ियां हैं जहां बर्फबारी के बाद महादेव के शीतकालीन तपस्वी स्थल किन्नर कैलाश अब अप्रैल माह तक बर्फ की चादर से ढका रहता है और अब जिले में ठंड शुरू हो गई है.
जिला किन्नौर के ऊंचाई वाले ग्रामीण इलाकों में भी बर्फ की हल्की चादर बिछ गई थी जो चिलचिलाती धूप खिलते ही पिघल गई, लेकिन इस बर्फबारी ने जिले के लोगों को अब ठंड से सतर्क रहने के लिए संदेश दिया है. बढ़ती ठंड के बाद किन्नौर जिले में अब पीने के पानी के जलस्त्रोत पहाड़ों पर जमने शुरू हो जाते हैं. जिसके बाद निचले क्षेत्रों में पीने के पानी की दिक्कतें भी बढ़ जाती हैं. फिलहाल सीजन की पहली बर्फबारी को देख लोगों में खुशी की लहर भी देखी जा सकती है, लेकिन इसी तरह मौसम खराब रहा और बर्फबारी हुई तो जिले के ऊंचे ग्रामीण इलाकों में जहां सेब का सीजन शुरू हुआ है वहां पर बागवानों को परेशानियां हो सकती हैं.
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जिला किन्नौर के ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी के बाद प्रशासन ने पर्यटकों को भी ट्रेकिंग व साहसिक खेलों की गतिविधियों से दूर रहने का आग्रह किया है और अब ऊंचे पहाड़ों पर रहने वाले पशुपालक भी बढ़ती ठंड के बाद निचले क्षेत्रों की ओर पलायन शुरू कर देते हैं, ताकि पहाड़ों पर बर्फबारी के दौरान जानमाल के नुकसान से स्वयं व पशुओं को बचाया जा सके.
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