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देवभूमि का एक ऐसा गांव जहां धूम्रपान और सीटी बजाने पर है प्रतिबंध, वजह जानकर रह जाएंगे हैरान

जनजातीय जिला किन्नौर के रारंग गांव में धूम्रपान पर पूरी तरह प्रतिबंध है. वहीं, इस गांव में सीटी बजाने पर भी मनाही है. इन नियमों को तोड़ने पर जुर्माना लगाया जा सकता है. गांव वालों की ओर से तय किए गए इन नियमों के पीछे की वजह सौ साल पहले हुई घटना से जुड़ी हुई है.

rarang village kinnaur
रारंग गांव किन्नौर
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Published : Mar 16, 2021, 3:57 PM IST

Updated : Mar 16, 2021, 4:49 PM IST

किन्नौर: हिमाचल प्रदेश में सर्दी और गर्मी के दोनों ही मौसम में जंगल और लोगों के घरों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं. प्रदेश के निचले जिलों के मुकाबले ऊपरी जिले जैसे किन्नौर, शिमला, चंबा और कुल्लू में ज्यादातर लोगों के घर लकड़ी के ही बने होते हैं.

rarang village kinnaur
रारंग का मुख्य गेट.

वहीं, इन इलाकों में हवा भी काफी तेज चलती है, जिस वजह से आग भी जल्दी फैलती है. वहीं, इन जिलों के ज्यादातर इलाकों में सड़क सुविधा न होने की वजह से दमकल विभाग भी समय पर मदद नहीं पहुंचा पाता और जानमाल का ज्यादा नुकसान होता है.

rarang village kinnaur
रारंग गांव में धूम्रपान पर प्रतिंबध.

रारंग गांव आग की घटनाओं को रोकने में कामयाब

आग लगने की इन घटनाओं को रोकने के लिए जिला किन्नौर के रारंग गांव के लोगों की पहल काफी असरदार होती हुई नजर आ रही है. बीते 15 सालों से इस गांव में आग लगने की कोई घटना सामने नहीं आई है.

वीडियो रिपोर्ट.

100 साल पहले हुए अग्निकांड में जल गया था सारा गांव

दरअसल रारंग गांव के इतिहास पर नजर डालें तो, यह गांव अब तक 7 बार बड़े अग्निकांड झेल चुका है. रारंग गांव के लोगों की मानें तो 100 साल पहले हुए अग्निकांड में सारा गांव जलकर राख हो गया था. इसके अलावा भी तीन बार पहले भी गांव आग की चपेट में आ चुका है.

rarang village kinnaur
खड़ी पहाड़ी बर बसा हुआ रारंग गांव.

स्मोकिंग बैन, सीटी बजाने पर भी मनाही

इन घटनाओं से सबक लेते हुए रारंग गांव में हुक्का, बीड़ी, सिगरेट पीने पर बैन लगा दिया गया. हालांकि बुजुर्गों की मानें तो, आजादी के बाद से ही इस गांव के लोग धूम्रपान नहीं करते हैं.

rarang village kinnaur
ज्यादातर घर लकड़ी से बने हुए हैं.

लोग सीटी का अलार्म की तरह करते हैं इस्तेमाल

इसके अलावा गांव में कोई भी स्थानीय या बाहरी व्यक्ति सीटी नहीं बजा सकता. सीटी न बजाने के पीछे की वजह भी आग लगने की घटना से ही जुड़ी हुई है. इस गांव में सीटी तभी बजाई जाती है, जब गांव के लोगों को किसी आग लगने की घटना के बारे में सूचित करना हो. इस तरह की स्थिति में सीटी का इस्तेमाल इमरजेंसी अलार्म की तरह किया जाता है.

rarang village kinnaur
खड़ी पहाड़ी बर बसा हुआ रारंग गांव.

खुले में भी आग लगाने पर मनाही

इसके साथ ही खुले में आग जलाना भी मना है. यदि किसी प्रकार की बड़े कार्यक्रम आयोजित करवाने हैं तो पंचायत व गांव के दिशा निर्देशों के पालन करते हुए आग जलाई जाती है. इन सब नियमों की अनदेखी पर जुर्माना भी गांव वालों की ओर से तय किया गया है. सीटी और धूम्रपान करते हुए पाए जाने पर 500 रुपये तक का चालान किया जा सकता है.

गांव के इतिहास में नहीं हुआ कोई चालान

रारंग गांव में इन नियमों का कितनी सख्ती से पालन किया जाता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांव के इतिहास में आज तक एक भी चालान नहीं हुआ है. यहां के लोग जितनी सख्ती से खुद नियमों का पालन करते हैं, उतनी सजगता से गांव में बाहर से आने वाले लोगों को भी जागरूक करते हैं.

रारंग गांव की बसावट और भूगोल भी है जिम्मेदार

इन सभी कड़े नियमों के पीछे इलाके का भूगोल और दूसरे पहाड़ी गांवों के मुकाबले रारंग की पेचीदा बसावट भी एक वजह है. गांव की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो, यह एक धार यानी खड़ी पहाड़ी पर बसा हुआ है. जहां आस पास कोई पानी का स्त्रोत भी नहीं है और हवा भी काफी तेज गति से चलती है.

ज्यादातर लकड़ी के घर, पास-पास बने घर, 45 किमी दूर दमकल केंद्र

दूसरी ओर गांव में ज्यादातर घर लकड़ी से बने हुए हैं. वहीं, पहाड़ी और ढलान पर बसने के कारण इस गांव के घर एक दूसरे के काफी पास बसे हुए हैं. वहीं, गांव तक सड़क सुविधा भी नहीं, ताकि मुश्किल समय पर दमकल विभाग पहुंच सके. रारंग गांव से सबसे नजदीकी दमकल केंद्र 45 किमी दूर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में है.

हर गांव में हों ऐसे दूरदर्शी लोग

इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर यह नियम बनाए गए हैं. लोगों ने गांव की सुरक्षा को लेकर सजगता दिखाते हुए, जिस तरह मुश्किल समय पर पूरा गांव एकता के साथ मदद के लिए जुट जाता है, यह रारंग गांव की दूरदर्शी सोच और एकता की देश-प्रदेश के लोगों के लिए एक बेहतरीन मिसाल है.

ये भी पढ़ें: इस परिवार से जुड़ा है रिकांगपिओ शहर का नाम, 1960 में बॉर्डर पुलिस ने किया था नामकरण

ये भी पढ़ें: किन्नौर की रिब्बा पंचायत: जहां सुविधाओं को देखकर आप भी कहेंगे...वाह!

किन्नौर: हिमाचल प्रदेश में सर्दी और गर्मी के दोनों ही मौसम में जंगल और लोगों के घरों में आग लगने की घटनाएं सामने आती हैं. प्रदेश के निचले जिलों के मुकाबले ऊपरी जिले जैसे किन्नौर, शिमला, चंबा और कुल्लू में ज्यादातर लोगों के घर लकड़ी के ही बने होते हैं.

rarang village kinnaur
रारंग का मुख्य गेट.

वहीं, इन इलाकों में हवा भी काफी तेज चलती है, जिस वजह से आग भी जल्दी फैलती है. वहीं, इन जिलों के ज्यादातर इलाकों में सड़क सुविधा न होने की वजह से दमकल विभाग भी समय पर मदद नहीं पहुंचा पाता और जानमाल का ज्यादा नुकसान होता है.

rarang village kinnaur
रारंग गांव में धूम्रपान पर प्रतिंबध.

रारंग गांव आग की घटनाओं को रोकने में कामयाब

आग लगने की इन घटनाओं को रोकने के लिए जिला किन्नौर के रारंग गांव के लोगों की पहल काफी असरदार होती हुई नजर आ रही है. बीते 15 सालों से इस गांव में आग लगने की कोई घटना सामने नहीं आई है.

वीडियो रिपोर्ट.

100 साल पहले हुए अग्निकांड में जल गया था सारा गांव

दरअसल रारंग गांव के इतिहास पर नजर डालें तो, यह गांव अब तक 7 बार बड़े अग्निकांड झेल चुका है. रारंग गांव के लोगों की मानें तो 100 साल पहले हुए अग्निकांड में सारा गांव जलकर राख हो गया था. इसके अलावा भी तीन बार पहले भी गांव आग की चपेट में आ चुका है.

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खड़ी पहाड़ी बर बसा हुआ रारंग गांव.

स्मोकिंग बैन, सीटी बजाने पर भी मनाही

इन घटनाओं से सबक लेते हुए रारंग गांव में हुक्का, बीड़ी, सिगरेट पीने पर बैन लगा दिया गया. हालांकि बुजुर्गों की मानें तो, आजादी के बाद से ही इस गांव के लोग धूम्रपान नहीं करते हैं.

rarang village kinnaur
ज्यादातर घर लकड़ी से बने हुए हैं.

लोग सीटी का अलार्म की तरह करते हैं इस्तेमाल

इसके अलावा गांव में कोई भी स्थानीय या बाहरी व्यक्ति सीटी नहीं बजा सकता. सीटी न बजाने के पीछे की वजह भी आग लगने की घटना से ही जुड़ी हुई है. इस गांव में सीटी तभी बजाई जाती है, जब गांव के लोगों को किसी आग लगने की घटना के बारे में सूचित करना हो. इस तरह की स्थिति में सीटी का इस्तेमाल इमरजेंसी अलार्म की तरह किया जाता है.

rarang village kinnaur
खड़ी पहाड़ी बर बसा हुआ रारंग गांव.

खुले में भी आग लगाने पर मनाही

इसके साथ ही खुले में आग जलाना भी मना है. यदि किसी प्रकार की बड़े कार्यक्रम आयोजित करवाने हैं तो पंचायत व गांव के दिशा निर्देशों के पालन करते हुए आग जलाई जाती है. इन सब नियमों की अनदेखी पर जुर्माना भी गांव वालों की ओर से तय किया गया है. सीटी और धूम्रपान करते हुए पाए जाने पर 500 रुपये तक का चालान किया जा सकता है.

गांव के इतिहास में नहीं हुआ कोई चालान

रारंग गांव में इन नियमों का कितनी सख्ती से पालन किया जाता है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गांव के इतिहास में आज तक एक भी चालान नहीं हुआ है. यहां के लोग जितनी सख्ती से खुद नियमों का पालन करते हैं, उतनी सजगता से गांव में बाहर से आने वाले लोगों को भी जागरूक करते हैं.

रारंग गांव की बसावट और भूगोल भी है जिम्मेदार

इन सभी कड़े नियमों के पीछे इलाके का भूगोल और दूसरे पहाड़ी गांवों के मुकाबले रारंग की पेचीदा बसावट भी एक वजह है. गांव की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो, यह एक धार यानी खड़ी पहाड़ी पर बसा हुआ है. जहां आस पास कोई पानी का स्त्रोत भी नहीं है और हवा भी काफी तेज गति से चलती है.

ज्यादातर लकड़ी के घर, पास-पास बने घर, 45 किमी दूर दमकल केंद्र

दूसरी ओर गांव में ज्यादातर घर लकड़ी से बने हुए हैं. वहीं, पहाड़ी और ढलान पर बसने के कारण इस गांव के घर एक दूसरे के काफी पास बसे हुए हैं. वहीं, गांव तक सड़क सुविधा भी नहीं, ताकि मुश्किल समय पर दमकल विभाग पहुंच सके. रारंग गांव से सबसे नजदीकी दमकल केंद्र 45 किमी दूर जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में है.

हर गांव में हों ऐसे दूरदर्शी लोग

इन सभी चीजों को ध्यान में रखकर यह नियम बनाए गए हैं. लोगों ने गांव की सुरक्षा को लेकर सजगता दिखाते हुए, जिस तरह मुश्किल समय पर पूरा गांव एकता के साथ मदद के लिए जुट जाता है, यह रारंग गांव की दूरदर्शी सोच और एकता की देश-प्रदेश के लोगों के लिए एक बेहतरीन मिसाल है.

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Last Updated : Mar 16, 2021, 4:49 PM IST
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