ETV Bharat / state

किन्नौर में एक महीने बाद खुलीं कई दुकानें, भावुक हुए छोटे व्यापारी

किन्नौर में कर्फ्यू ढील के दौरान रिकांगपिओं बाजार में लोगों की भीड़ देखने को मिली. इस दौरान लगभग एक महीने बाद व्यापारियों ने भी अपनी दुकानें खोली और कोरोना वायरस के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कामकाज शरू किया.

Reckongpeo Market
ईटीवी भारत ने रिकांगपिओं बाजार में मौची से बात की.
author img

By

Published : Apr 29, 2020, 12:24 AM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर में कर्फ्यू ढील के समय में बढ़ोतरी करने से व्यापारियों को अपनी दुकानें खोलने की छूट मिली है. कोरोना वायरस के चलते व्यापारियो को नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन कुछ व्यापार दिनभर काम करके शाम के लिए एक वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं. इसमें मोची का व्यवसाय भी एक ऐसा ही काम है. ऐसे में लंबे समय के बाद रिकांगपिओं व अन्य बाजारों में मोची का काम करने वालों की आंखे नम थी और वह कह रहे थे कि लंबे लॉकडाउन में गरीबों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

रिकांगपिओ बाजार में मंगलवार को कर्फ्यू ढील के दौरान केवल एक ही मोची की अस्थाई दुकान खुली रही. ईटीवी भारत ने रिकांगपिओं में राजस्थान से सबंध रखने वाले मोची दयानन्द से बात की. मोची ने कहा कि लंबे समय से बिना काम केउन्होंने बाजार से सब्जी, चावल, आटा व दूसरी चीजें उधारी में ली हुई हैं और इस उधार को चुकाने के लिए उन्हें महीनों लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह इसके लिए काम कर रहे है, लेकिन सरकार की ओर से तय कर्फ्यू ढील का समय बहुत कम है. इस समय में वह मुश्किल से 100 से 150 की कमाई ही कर पाएगें, जिसमे केवल एक वक्त की रोटी का इंतजाम हो सकता है. उन्होंने कहा कि उन्हें उधारी चुकाना मुश्किल हो रहा है.

बता दें कि रिकांगपिओ जिला का मुख्यालय और किन्नौर का सबसे बड़ा बाजार है. इस बाजार में रोजाना सैंकड़ो लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोटी कमाने आते है, लेकिन लॉकडाउन के बाद बाजार की रौनक कम हो गई है. ऐसी में छोटे व्यापारियों की कर्ज में डूबने की नोबत भी आ सकती है, लेकिन इस महामारी में छोटे व्यापारी भी सरकार के फैसले के साथ खड़े दिख रहे है.

किन्नौर: जिला किन्नौर में कर्फ्यू ढील के समय में बढ़ोतरी करने से व्यापारियों को अपनी दुकानें खोलने की छूट मिली है. कोरोना वायरस के चलते व्यापारियो को नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन कुछ व्यापार दिनभर काम करके शाम के लिए एक वक्त की रोटी का इंतजाम करते हैं. इसमें मोची का व्यवसाय भी एक ऐसा ही काम है. ऐसे में लंबे समय के बाद रिकांगपिओं व अन्य बाजारों में मोची का काम करने वालों की आंखे नम थी और वह कह रहे थे कि लंबे लॉकडाउन में गरीबों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

रिकांगपिओ बाजार में मंगलवार को कर्फ्यू ढील के दौरान केवल एक ही मोची की अस्थाई दुकान खुली रही. ईटीवी भारत ने रिकांगपिओं में राजस्थान से सबंध रखने वाले मोची दयानन्द से बात की. मोची ने कहा कि लंबे समय से बिना काम केउन्होंने बाजार से सब्जी, चावल, आटा व दूसरी चीजें उधारी में ली हुई हैं और इस उधार को चुकाने के लिए उन्हें महीनों लग सकते हैं. उन्होंने कहा कि वह इसके लिए काम कर रहे है, लेकिन सरकार की ओर से तय कर्फ्यू ढील का समय बहुत कम है. इस समय में वह मुश्किल से 100 से 150 की कमाई ही कर पाएगें, जिसमे केवल एक वक्त की रोटी का इंतजाम हो सकता है. उन्होंने कहा कि उन्हें उधारी चुकाना मुश्किल हो रहा है.

बता दें कि रिकांगपिओ जिला का मुख्यालय और किन्नौर का सबसे बड़ा बाजार है. इस बाजार में रोजाना सैंकड़ो लोग अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए रोटी कमाने आते है, लेकिन लॉकडाउन के बाद बाजार की रौनक कम हो गई है. ऐसी में छोटे व्यापारियों की कर्ज में डूबने की नोबत भी आ सकती है, लेकिन इस महामारी में छोटे व्यापारी भी सरकार के फैसले के साथ खड़े दिख रहे है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.