किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के परियोजना प्रभावित क्षेत्र पंगी गांव में पिछले दो वर्षों से ग्रामीणों को एचपीपीसीएल द्वारा रॉयल्टी की धनराशि नहीं दी गई है. साथ ही और केट प्लानिंग के तहत कोई काम भी शुरू नहीं किया गया है, जिस कारण लोगों के मकान खतरे की जद में आए हैं.
इस बारे में पंगी के स्थानीय निवासी श्यामा नंद नेगी ने कहा कि उनके गांव मे एचपीपीसीएल जल विद्युत परियोजना को कई वर्ष निर्माणाधीन कार्य करते हुए हुआ है. इनका काम लगभग खत्म हो चुका है और बिजली उत्पादन से इनकी आय के साधन भी बढ़ गए हैं.
ऐसे में नियमानुसार एचपीपीसीएल ने पंगी गांव को विद्युत निर्माणाधीन कार्य समाप्ति के बाद परियोजना विद्युत से लाभान्वित होने पर ग्रामीणों को 1 प्रतिशत की हिस्सेदारी में धनराशि का लाभ देने की बात हुई थी. ये बात सारे कागजी दस्तावेजों में लिखित रूप में भी है, लेकिन दो वर्ष बीत जाने पर भी अब तक ग्रामीणों को एचपीपीसीएल ने एक रुपया नहीं दिया है. इसके चलते ग्रामीणों में भी प्रशासन व एचपीपीसीएल प्रबंधन के खिलाफ नाराजगी है.
स्थानीय निवासी श्यामा नंद नेगी ने कहा कि एचपीपीसीएल के निर्माणाधीन कार्य के समय कई ग्रामीणों के मकानों को नुकसान हुआ है और जमीन भी खिसक गई थी, लेकिन अबतक वन विभाग को परियोजना ने केट प्लानिंग के तहत पैसा जमा नहीं किया है. इस कारण पंगी के भूस्खलन व लोगों के मकानों के आसपास अब तक सुरक्षा दीवार नहीं लगाई गई है. इससे पंगी में कई ग्रामीणों के मकान व जमीन भी खतरे में आ सकते है.
वहीं, दूसरी ओर डीसी किन्नौर ने कहा कि अबतक पंगी गांव को मिलने वाले 1 प्रतिशत रॉयल्टी की धनराशि डारेक्टर पावर एनर्जी से प्रशासन के पास जमा नहीं हुई है. पंगी के ग्रामीणों का पैसा प्रशासन तक पहुंचने पर ग्रामीणों को उनकी राशि दी जाएगी. साथ ही भूस्खलन को रोकने के लिए भी जल्द ही संबंधित विभाग को आदेश दिए जाएंगे.
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