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किन्नौर में नवरात्रि को कहा जाता है 'निरात्र', ऐसे मनाया जाता है पर्व - कल्पा में नवरात्रि

हिमाचल प्रदेश में नवरात्रि के त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहीं, जिला किन्नौर में नवरात्रि को निरात्र कहा जाता है. साथ ही देवी-देवता नवरात्रि में गांव के लोगों की समस्याओं को सुनते हैं. साथ ही उन्हें आशीर्वाद भी देते हैं. पढ़ें पूरी खबर...

किन्नौर में नवरात्रि
किन्नौर में नवरात्रि
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Published : Mar 27, 2023, 4:27 PM IST

Updated : Mar 27, 2023, 4:47 PM IST

हिमाचल के साथ-साथ जिला किन्नौर में भी नवरात्रि की धूम.

किन्नौर: नवरात्रि के खास मौके पूरे देश में शाक्ति की देवी मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जा रही है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में भी नवरात्रि पर काफी धूम है. वहीं, जिला किन्नौर के कल्पा में हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के अवसर पर स्थानीय देवता ब्रह्मा विष्णु, नारेनस व नागिन माता मंदिर प्रांगण में निकलर सभी ग्रामीणों को आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं

जिला किन्नौर में नवरात्रि को निरात्र कहा जाता है और इस अवसर पर स्थानीय देवी-देवता मंदिर के बाहर निकते हैं. इस दौरान वे गांव के सभी लोगों के सुख, दुख व समस्याओं को सुनते हैं. इसी के साथ करीब तीन दिन तक मंदिर प्रांगण में हवन किया जाता है और देवी-देवता तीन दिन तक तपस्या में बैठते हैं. इस दौरान मंदिर की कोई अन्य गतिविधियां और कार्रवाई नहीं होती है.

मान्यताओं के अनुसार कल्पा के स्थानीय देवता ब्रह्मा विष्णु, नारेनस व नागिन माता इस तपस्या को तीन दिन तक इसलिए करते हैं ताकि गांव के लोगों की पूरे वर्ष अच्छी फसल हो और पूरा साल गांव में सुख-शांति बनी रहे. तीन दिन के बाद दोबारा देवी-देवता मंदिर में तपस्या से उठकर ग्रामीणों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

नवरात्रि के अवसर पर कल्पा के सभी स्थानीय देवता के समक्ष ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा पहनकर लोक नृत्य करते हैं और स्थानीय देवी-देवताओं से सुख समृद्धि की कामना करते हैं. नवरात्रि के अवसर पर कल्पा स्थित ब्रह्मा विष्णु नारेनस व नागिन माता के मंदिर प्रांगण में तामसिक भोजन कर प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध होता है और मंदिर के अंदर टोपी, ऊन से बने कोट, आदि पहनना अनिवार्य होता है. यदि इन नियमों की कोई उल्लंघन करता है तो ऐसी परिस्थिति में मंदिर कमेटी द्वारा जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: कांगड़ा दौरे पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, मां ज्वालाजी, बज्रेश्वरी देवी माता और चामुंडा माता मंदिर में की पूजा

हिमाचल के साथ-साथ जिला किन्नौर में भी नवरात्रि की धूम.

किन्नौर: नवरात्रि के खास मौके पूरे देश में शाक्ति की देवी मां दुर्गा के सभी नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जा रही है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश के मंदिरों में भी नवरात्रि पर काफी धूम है. वहीं, जिला किन्नौर के कल्पा में हर साल की तरह इस साल भी नवरात्रि के अवसर पर स्थानीय देवता ब्रह्मा विष्णु, नारेनस व नागिन माता मंदिर प्रांगण में निकलर सभी ग्रामीणों को आशीर्वाद प्रदान कर रहे हैं

जिला किन्नौर में नवरात्रि को निरात्र कहा जाता है और इस अवसर पर स्थानीय देवी-देवता मंदिर के बाहर निकते हैं. इस दौरान वे गांव के सभी लोगों के सुख, दुख व समस्याओं को सुनते हैं. इसी के साथ करीब तीन दिन तक मंदिर प्रांगण में हवन किया जाता है और देवी-देवता तीन दिन तक तपस्या में बैठते हैं. इस दौरान मंदिर की कोई अन्य गतिविधियां और कार्रवाई नहीं होती है.

मान्यताओं के अनुसार कल्पा के स्थानीय देवता ब्रह्मा विष्णु, नारेनस व नागिन माता इस तपस्या को तीन दिन तक इसलिए करते हैं ताकि गांव के लोगों की पूरे वर्ष अच्छी फसल हो और पूरा साल गांव में सुख-शांति बनी रहे. तीन दिन के बाद दोबारा देवी-देवता मंदिर में तपस्या से उठकर ग्रामीणों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

नवरात्रि के अवसर पर कल्पा के सभी स्थानीय देवता के समक्ष ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा पहनकर लोक नृत्य करते हैं और स्थानीय देवी-देवताओं से सुख समृद्धि की कामना करते हैं. नवरात्रि के अवसर पर कल्पा स्थित ब्रह्मा विष्णु नारेनस व नागिन माता के मंदिर प्रांगण में तामसिक भोजन कर प्रवेश करने पर भी प्रतिबंध होता है और मंदिर के अंदर टोपी, ऊन से बने कोट, आदि पहनना अनिवार्य होता है. यदि इन नियमों की कोई उल्लंघन करता है तो ऐसी परिस्थिति में मंदिर कमेटी द्वारा जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

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Last Updated : Mar 27, 2023, 4:47 PM IST
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