किन्नौर: जिला किन्नौर खेतीबाड़ी के लिए प्रदेशभर में जाना जाता है. जहां की प्रमुख फसलों में मक्की, गेहूं, ओगला, फाफड़ा, मटर, राजमाह, माश व दूसरी कई फसल शामिल है. किन्नौर के किसान हर वर्ष अपने सीजन के अनुसार क्रमबद्ध बिजाई करते हैं और अच्छी फसल के लिए गोबर के साथ कुछ रासायनिक छिड़काव का प्रयोग भी कर रहे हैं.
कल्पा खण्ड विकास विभाग ने रासायनिक खेती को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए है और शतप्रतिशत प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण शुरू कर दिया है. कल्पा विकास खण्ड के प्राकृतिक खेती के योजना अधिकारी नीलम नेगी ने कहा कि किन्नौर के अधिकतर क्षेत्रों में किसान प्राकृतिक खेती करते हैं लेकिन अब कुछ क्षेत्रों में किसानों ने अपनी फसल को दोगुनी करने के लिये रासायनिक छिड़काव भी शुरू किये हैं.
लोगों को प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित करने के लिए महिलाओं व पुरुष वर्ग को प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने के लिए कल्पा के आसपास के क्षेत्रों में प्राकृतिक खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो सफल भी हो रहा है. लोग प्राकृतिक खेती की ओर आकर्षित भी हो रहे हैं.
बता दें कि जिला किन्नौर में किसान कुछ वर्षों से रासायनिक खेती की ओर बढ़ रहे थे ऐसे में यहां की फसल में भी रसायन की मात्रा अधिक होने से लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता होने लगी है हालांकि अभी तक जिला के बहुत कम क्षेत्रों में रासायनिक खेती होती थी, लेकिन जिला किन्नौर को शतप्रतिशत प्राकृतिक खेती की ओर ले जाने के लिए कल्पा विकास खण्ड ने शुरुआत की है.
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